रांची : 170 करोड़ की 52 पेयजल योजनाओं में वन, रेलवे और एनएचआइ का पेच

केंद्र सरकार की ओर से वित्तीय वर्ष 2019 में ‘जल जीवन मिशन’ के तहत ‘हर घर नल जल’ योजना शुरू की थी.

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 21, 2024 3:28 AM

वन विभाग, एनएचआइ और रेलवे की ओर से क्लियरेंस नहीं मिलने की वजह से ‘जल जीवन मिशन’ के तहत झारखंड में चल रही ग्रामीण पेयजलापूर्ति की 52 योजनाएं लंबित हैं. लंबित योजनाओं की कुल लागत 170.54 करोड़ रुपये है. इसमें से आधा दर्जन योजनाएं तो एक से डेढ़ वर्षों से लंबित हैं. योजनाओं पर अब तक कोई निर्णय नही होने की वजह से लगभग एक लाख घरों तक पेयजल नहीं पहुंचाया जा सका है.वन विभाग के 26 पेयजल योजनाएं लंबित हैं. इसमें साहिबगंज-पाकुड़-दुमका मेगा बल्क वाटर सप्लाई स्कीम, पाकुड़िया फुल ब्लॉक रूरल पाइप वाटर सप्लाई स्कीम, करमाटांड़, शिकारीपाड़ा व काठीकुंड की जलापूर्ति समेत कई योजनाएं शामिल हैं. वहीं, बृंदाबनी, कुमरीडाहा, शखजोर, पटजोर मल्टी विलेज स्कीम, तालझरी ग्रामीण जलापूर्ति योजना व बोरियो ग्रामीण जलापूर्ति वर्ष 2022 से लंबित है. इसी प्रकार एनएचएआइ के पास 10 व रेलवे के 16 जलापूर्ति योजनाएं क्लियरेंस के लिए लंबित हैं. गोड्डा जिला में चार योजनाएं लंबित हैं, जिनकी लागत 125.68 करोड़ रुपये है. कोडरमा जिले में 11 योजनाएं लंबित हैं, जिनकी लागत 27.97 करोड़ रुपये है. वहीं, साहिबगंज में 5.50 करोड़, गिरिडीह में 9.00 करोड़ और दुमका में 2.38 करोड़ की योजनाएं लंबित हैं. इसमें कई योजनाओं पर करोड़ों रुपये खर्च भी हो चुके हैं.

30 लाख घरों को अब भी शुद्ध पेयजल का इंतजार

केंद्र सरकार की ओर से वित्तीय वर्ष 2019 में ‘जल जीवन मिशन’ के तहत ‘हर घर नल जल’ योजना शुरू की थी. इसके तहत 31 मार्च 2024 तक राज्य के 62.16 लाख घरों तक शुद्ध पेयजल पहुंचाना था, लेकिन अब तक सिर्फ 32 लाख घरों तक पानी पहुंच पाया है. अब भी 30 लाख घरों को पेयजल का इंतजार है. राज्य सरकार की ओर से झारखंड की भौगोलिक स्थिति का हवाला देते हुए इस योजना को दिसंबर 2024 तक विस्तार देने का आग्रह किया गया है.

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