रांची. पहाड़ी मंदिर के जीर्णोद्धार की निविदा प्रक्रिया में एक का रेट बिड शिलान्यास के बाद पूरा किया गया है. जीर्णोद्धार के लिए सात दिसंबर को शिलान्यास किया गया, जबकि एक निविदा की प्रक्रिया 16 दिसंबर को पूरी की गयी. ऐसे में पूर्व समिति के सदस्यों ने आपत्ति दर्ज की है.
शिलान्यास में जल्दबाजी क्यों दिखायी?
सदस्यों का कहना है कि जीर्णोद्धार के लिए शिलान्यास में इतनी जल्दबाजी क्यों दिखायी गयी है. वहीं, जीर्णोद्धार के लिए मिट्टी की जांच से संबंधित कोई रिपोर्ट भी जियोलाॅजिकल विभाग से नहीं ली गयी है. चहारदीवारी के लिए क्या योजना है, इसे भी स्पष्ट नहीं किया गया है. पहाड़ी का कुल रकबा 26 एकड़ छह कड़ी है, ऐसे में चहारदीवारी इस भूमि में होनी चाहिए. हालांकि अभी तक चहारदीवारी के लिए पहाड़ी की मापी नहीं हुई है. हालांकि प्रशासन का कहना है कि सभी कार्य पर्यटन विभाग के आदेश के बाद ही हो रहा है.
राजस्व वृद्धि के लिए लोहा की बिक्री
पहाड़ी मंदिर के जीर्णोद्धार के दौरान निकलने वाले लोहा और प्लास्टिक की बिक्री की गयी है. अर्जित राशि समिति के खाते में जमा होगी. लोहा और प्लास्टिक की बिक्री समिति का राजस्व बढ़ाने के लिए हो रही है. इससे संबंधित आदेश प्रशासन ने 26 दिसंबर को जारी किया. वहीं, 28 दिसंबर की रात से इसकी ढुलाई भी शुरू हो गयी है. पूर्व समिति के सदस्यों का कहना है कि आखिर इसकी सूचना जन साधारण को नहीं दी गयी. प्रशासन का कहना है निविदा के माध्यम से प्रक्रिया शुरू की गयी है.
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