रांची रिम्स में ब्रेन और स्पाइन सर्जरी मुफ्त, निजी अस्पताल में तीन लाख का खर्च

रांची रिम्स के न्यूरो सर्जरी विभाग में ब्रेन और स्पाइन की सर्जरी मुफ्त में होती है, जिसका निजी अस्पताल में ढाई से तीन लाख रुपये तक खर्च आता है. हेड इंज्यूरी की सर्जरी का खर्च भी निजी अस्पताल में दुर्घटना की जटिलता के हिसाब से एक से दो लाख रुपये तक है.

By Prabhat Khabar News Desk | June 12, 2023 12:08 PM

रांची रिम्स के न्यूरो सर्जरी विभाग में ब्रेन और स्पाइन की सर्जरी मुफ्त में होती है, जिसका निजी अस्पताल में ढाई से तीन लाख रुपये तक खर्च आता है. हेड इंज्यूरी की सर्जरी का खर्च भी निजी अस्पताल में दुर्घटना की जटिलता के हिसाब से एक से दो लाख रुपये तक है. ब्रेन ट्यूमर की सर्जरी निजी अस्पताल में दो से 2.50 लाख, स्पाइन इंज्यूरी में 2.50 से तीन लाख और वीपी स्टंट में 80 से 90 हजार रुपये का खर्च आता है. ये सभी सर्जरी रिम्स में मुफ्त में की जाती है.

इधर, रिम्स में ब्रेन और स्पाइन की सर्जरी होने पर आयुष्मान योजना के मरीजों को इंप्लांट का खर्च नहीं देना पड़ता है. यानी आयुष्मान योजना के मरीजों को सर्जरी में एक रुपये भी खर्च नहीं करना पड़ता है. वहीं, सामान्य मरीजों को इंप्लांट भी आयुष्मान योजना के तहत उपलब्ध कराने वाली एजेंसी उसी दर पर करा देती है. इससे सामान्य मरीज के इलाज का खर्च निजी अस्पताल की तुलना में एक तिहाई से भी कम आता है.

– न्यूरो सर्जरी विभाग में हर सप्ताह औसतन 12 ब्रेन और स्पाइन की होती है सर्जरी

– औसतन 30 हेड इंज्यूरी के मरीजों की इमरजेंसी में होती है सर्जरी

प्रतिदिन तीन से चार हेड इंज्यूरी की सर्जरी

बताया गया कि रिम्स के न्यूरो सर्जरी विभाग में प्रतिदिन तीन से चार हेड इंज्यूरी की सर्जरी होती है. वहीं, प्रत्येक सप्ताह 12 गंभीर मरीजों की नियमित ब्रेन और स्पाइन की सर्जरी की जाती है. इसके अलावा प्रत्येक ओपीडी में औसतन 200 मरीजों काे परामर्श दिया जाता है.

न्यूरो सर्जरी के विभागाध्यक्ष डॉ सीबी सहाय ने बताया कि न्यूरो सर्जरी में आयुष्मान के अलावा सामान्य मरीजों की सर्जरी मुफ्त की जाती है. सामान्य मरीजों को सिर्फ इंप्लांट में आने वाला पैसा ही लगता है, जिसको एजेंसी से आयुष्मान की दर पर उपलब्ध कराया जाता है. प्रत्येक सप्ताह 30 के करीब हेड इंज्यूरी और 12 ब्रेन और स्पाइन की सर्जरी होती है. पूरे राज्य के अलावा पड़ोसी राज्य के मरीज भी इलाज कराने यहां आते हैं, जिससे वार्ड ओवरलोड रहता है.

वार्ड में मरीज के साथ सिर्फ एक परिजन रहेंगे

रांची रिम्स के वार्डों में परिजनों की अनावश्यक आवाजाही पर रोक लगायी जायेगी. वार्ड में मरीज के सिर्फ एक परिजन को रहने की अनुमति दी जायेगी. जूनियर डॉक्टरों की मांग पर सोमवार को अधिकारियों की बैठक में इस पर फैसला लिया जायेगा. अधीक्षक डॉ हिरेंद्र बिरुआ ने बताया कि महत्वपूर्ण वार्डों में होमगार्ड के जवानों की संख्या भी बढ़ायी जायेगी. होमगार्ड के साथ-साथ सैफ जवानों को भी तैनात किया जायेगा. गौरतलब है कि रिम्स में रविवार की रात जूनियर डॉक्टर और मरीज के परिजनों के बीच मारपीट हुई थी. इसके बाद जूनियर डॉक्टरों ने सेंट्रल इमरजेंसी को करीब दो घंटे तक प्रभावित रखा. जूनियर डॉक्टरों ने इसी आश्वासन पर सेंट्रल इमरजेंसी में काम शुरू किया था कि उनको वार्ड में अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान की जायेगी.

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