झारखंड: हृदय रोगियों के लिए 13 व 14 मई को रिम्स में लगेगा निःशुल्क कैंप, राशन कार्डधारी ऐसे उठाएं लाभ

निदेशक प्रमुख स्वास्थ्य सेवाएं डॉ बीरेंद्र प्रसाद सिंह ने सभी सिविल सर्जन को पत्र जारी कर ह्रदय रोग से ग्रसित मरीजों की सूची विहित प्रपत्र में भेजने का निर्देश दिया है. सभी जिला मुख्यालय से चिकित्सा पदाधिकारी की देखरेख में मरीजों को स्क्रीनिंग के लिए रिम्स लाया जाएगा एवं वापस पहुंचाया जाएगा.

By Guru Swarup Mishra | May 6, 2023 9:51 PM
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रांची: खाद्य सुरक्षा अधिनियम से आच्छादित झारखंड के कार्डधारी जो ह्रदय रोग से ग्रसित हैं, उनके लिए अच्छी खबर है. झारखंड सरकार के स्वास्थ्य विभाग और प्रशांति मेडिकल सर्विसेज एंड रीसर्च फाउंडेशन की ओर से दो दिवसीय निःशुल्क ह्रदय जांच शिविर का आयोजन किया जा रहा है. निःशुल्क ह्रदय चिकित्सा योजना के तहत कैंप 13 एवं 14 मई को रिम्स में लगेगा. ह्रदय रोग से ग्रसित बच्चे, वयस्क एवं बुजुर्ग इस कैंप का लाभ ले सकते हैं.

निदेशक प्रमुख स्वास्थ्य सेवाएं डॉ बीरेंद्र प्रसाद सिंह ने सभी सिविल सर्जन को पत्र जारी कर ह्रदय रोग से ग्रसित मरीजों की सूची विहित प्रपत्र में भेजने का निर्देश दिया है. सभी जिला मुख्यालय से चिकित्सा पदाधिकारी की देखरेख में मरीजों को स्क्रीनिंग के लिए रिम्स लाया जाएगा एवं वापस जिला मुख्यालय तक पहुंचाया जाएगा. मरीजों के लिए यात्रा के क्रम में अल्पाहार की भी व्यवस्था स्वास्थ्य विभाग की ओर से की जाएगी. खाद्य सुरक्षा अधिनियम से आच्छादित राज्यभर के कार्डधारी ह्रदय रोग के मरीज अपने नजदीकी सरकारी स्वास्थ्य केंद्र में जाकर स्क्रिनिंग के लिए अपना नाम दर्ज करा सकते हैं. रिम्स में गहन स्क्रीनिंग के बाद गंभीर मरीजों का इलाज एवं सर्जरी प्रशांति मेडिकल सर्विसेज एंड रीसर्च फाउंडेशन की ओर से राजकोट और अहमदाबाद में संचालित श्री सत्य साईं ह्रदय अस्पताल में किया जाएगा.

स्वास्थ्य विभाग के उप निदेशक सह राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी(आईईसी) डॉ अनिल कुमार ने बताया कि निःशुल्क हृदय चिकित्सा योजना का आयोजन वर्ष 2022 के नवंबर महीने में रिम्स में किया गया था. जिसमें राज्य के सभी जिलों से लगभग 1400 बच्चों एवं व्यक्तियों को स्वास्थ्य जांच के लिए रिम्स भेजा गया था. रिम्स एवं प्रशांति मेडिकल सर्विसेज़ एवं रिसर्च फाउंडेशन के सहयोग से कुल लगभग 400 बच्चों एवं व्यक्तियों का इलाज शल्य क्रिया के माध्यम से राजकोट एवं अहमदाबाद में किया गया था. मरीजों के इलाज, आवासान, भोजन एवं आने-जाने की निःशुल्क व्यवस्था झारखंड सरकार की ओर से की गई थी.

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