Loading election data...

रांची मेगा फूड पार्क का भविष्य अधर में, 100 करोड़ रुपये की संपत्ति हो रही बर्बाद

मेगा फूड पार्क में 21 बड़े खाद्य प्रसंस्करण व 12 छोटे खाद्य प्रसंस्करण की यूनिट लगाने का प्लॉट तैयार है. एक 10 एमवीए क्षमता का 33/11 केवी पावर सब स्टेशन भी बना हुआ है. लेकिन रांची मेगा फूड पार्क का भविष्य अधर में है. 100 करोड़ रुपये की संपत्ति बर्बाद हो रही है.

By Prabhat Khabar News Desk | January 1, 2023 7:58 AM
an image

Jharkhand News: झारखंड मेगा फूड पार्क का भविष्य अब भी अधर में है. इसे चलाने की दिशा में अब तक कोई उल्लेखनीय पहल नहीं हो पायी है. द नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) ने कॉरपोरेट दिवालिया समाधान के तहत इंडियन ओसियन ग्रुप पीटीइ लिमिटेड के समाधान योजना को मंजूरी दी थी. यह मंजूरी 10 फरवरी 2022 को मिली थी. इसके तहत कंपनी को राशि जमा करनी थी, पर कंपनी डिफाॅल्टर हो गयी. फिर एनसीएलटी ने नोटिस दिया. तब कंपनी के लोग आये, तो एनसीएलटी ने आखिरी मौका देते हुए 31 दिसंबर तक पहली किस्त की राशि जमा करने को कहा. हालांकि कंपनी की ओर से अब-तक संपर्क नहीं किया गया है. इंडियन ओसियन ग्रुप पीटीइ लिमिटेड कंपनी सिंगापुर की है और फूड प्रोसेसिंग का कारोबार करती है. बताया गया कि एनसीएलटी द्वारा निर्धारित अवधि तक राशि जमा नहीं की गयी, तो एक बार फिर से दिवालिया समाधान के लिए बिड की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है.

100 करोड़ की लागत से बना है मेगा फूड पार्क

इलाहाबाद बैंक द्वारा मेगा फूड पार्क का मूल्यांकन कराया गया था. जिसमें इसकी परिसंपत्ति 100 करोड़ आंकी गयी थी. वर्ष 2009 में तत्कालीन केंद्र की यूपीए सरकार द्वारा रांची में मेगा फूड पार्क योजना की स्वीकृति दी गयी थी. इसके लिए रियाडा (अब जियाडा) द्वारा 56 एकड़ जमीन दी गयी थी. मेगा फूड पार्क के निर्माण के लिए उद्योग विभाग ने एसपीवी बनवा दिया था. एसपीवी का नाम झारखंड मेगा फूड पार्क प्राइवेट लिमिटेड है. इसके निदेशक नितिन शिनोई थे. कंपनी द्वारा रांची के इलाहाबाद बैंक हरमू ब्रांच से 33.95 करोड़ रुपये का लोन लिया गया.

इसके अलावा खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय द्वारा करीब 43 करोड़ का अनुदान दिया गया था. फरवरी 2009 में तत्कालीन केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री सुबोधकांत सहाय, बाबा रामदेव और तत्कालीन राज्यपाल सैयद सिब्ते रजी ने इसका शिलान्यास किया था, जबकि उदघाटन 15 फरवरी 2016 को तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास, केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल, साध्वी निरंजन ज्योति और पतंजलि के आचार्य बालकृष्ण ने किया, जबकि वहां कोई यूनिट नहीं लगी थी. इधर, वर्ष 2017 में झारखंड मेगा फूड पार्क के निदेशक नितिन शिनोई का दुबई में निधन हो गया. इसके बाद ही पूरा प्रबंधन फेल हो गया. बैंक के लोन पर ब्याज बढ़ता रहा और बैंक का 39 करोड़ 21 लाख 83 हजार 559 रुपये 26 फरवरी 2018 से बकाया हो गया है. फिर इलाहाबाद बैंक ने सरफेसी एक्ट के तहत इसे अपने कब्जे में ले लिया. इस दौरान केंद्र सरकार से भी बात की गयी. पर कोई सफलता नहीं मिली. केंद्र सरकार ने मेगा फूड पार्क को ही रद्द कर दिया.

Also Read: Sarkari Jobs: झारखंड के युवाओं को है नये साल में उम्मीद, एक लाख से अधिक मिलेंगी सरकारी नौकरियां
क्या -क्या है फूड पार्क में

मेगा फूड पार्क में 21 बड़े खाद्य प्रसंस्करण व 12 छोटे खाद्य प्रसंस्करण की यूनिट लगाने का प्लॉट तैयार है. एक 10 एमवीए क्षमता का 33/11 केवी पावर सब स्टेशन भी बना हुआ है. फूड पार्क के अंदर की सड़क बनी थी, पर अब टूट रही है. दो वेयर हाउस है, जो जर्जर हो चुके हैं. वर्कर हॉस्टल भी खंडहर हो चुका है. प्रशासनिक भवन वीरान हो चुका है. वे ब्रिज भी बना हुआ है. चार कोल्ड स्टोरेज है, जो जहां-तहां से टूट रहे हैं. एक फूड टेस्टिंग लैब बना हुआ है. इसके अलावा 10 ट्रक और दो फ्रीजर वैन गोदाम में पड़े हैं. कई मशीनें और लोडर बेकार पड़े हुए हैं.

अधिकार भी जब्त किये गये

बैंक द्वारा इसे एनसीएलटी को सौंप दिया गया. मेगा फूड पार्क एनसीएलटी के कब्जे में चला गया. दिवालिया घोषित करते हुए कॉरपोरेट इनसोल्वेसी रिज्यूल्यूशन प्रोसेशन यानी दिवालिया समाधान की प्रक्रिया आरंभ की गयी. झारखंड मेगा फूड पार्क के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के सारे अधिकार जब्त कर लिये गये. एनसीएलटी द्वारा कोलकाता के नीरज अग्रवाल को इंटरिम रिज्यूलेशन प्रोफेशनल नियुक्त किया जा चुका था. इसके बाद दिवालिया समाधान के लिए नोटिस जारी किया गया. इसमें एक मात्र कंपनी इंडियन ओसियन ग्रुप पीटीइ लिमिटेड ने ही समाधान की योजना पेश की. इसके तहत कंपनी द्वारा 20 करोड़ का ऑफर दिया गया. इसे स्वीकार कर लिया गया था पर कंपनी द्वारा राशि जमा नहीं की गयी.

क्या कहते हैं अधिकारी

मेगा फूड पार्क का बैंकर इलाहाबाद बैंक हरमू ब्रांच था. लोन की रकम न चुकाने के कारण बैंक ने सरफेसी एक्ट के तहत मेगा फूड पार्क का अधिग्रहण कर लिया. बाद में यह मामला एनसीएलटी कोलकाता बेंच के पास चला गया. एनसीएलटी ने आर्डर पास किया कि जो न्यूनतम राशि देगा, मेगा फूड पार्क सौंप दिया जाये. सिंगापुर की एक कंपनी बिडिंग में सफल हुई. सफल होने के बाद करीब चार-पांच माह पहले कंपनी के लोग आये थे. जियाडा से उन्होंने बात की कि उनके नाम से कैसे कंपनी ट्रांसफर होगी. इसके बाद कंपनी के लोग कभी नहीं आये.

-अजय कुमार सिंह, क्षेत्रीय निदेशक, जियाडा रांची

रिपोर्ट : सुनील चौधरी, रांची

Exit mobile version