विशेष संवाददाता, रांची़ सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड के संयुक्त आयुक्त उत्पाद गजेंद्र सिंह की याचिका खारिज कर दी है. उन्होंने छत्तीसगढ़ हाइकोर्ट द्वारा अंतरिम राहत देने से इनकार करने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. गजेंद्र सिंह और विनय चौबे सहित अन्य के खिलाफ छत्तीसगढ़ एंटी करप्शन ब्यूरो(एसीबी) ने शराब घोटाले के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की है. गजेंद्र सिंह द्वारा दायर एसएलपी (क्रिमिनल) की सुनवाई न्यायाधीश सुधांशु धुलिया और न्यायाधीश अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ में हुई. सुनवाई के बाद न्यायालय ने गजेंद्र सिंह की याचिका खारिज कर दी. हालांकि, उन्हें यह आजादी दी है कि अगर वह चाहें, तो अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए छत्तीसगढ़ हाइकोर्ट में याचिका दायर कर सकते हैं. न्यायालय ने अपने फैसले में कहा है कि याचिकादाता छत्तीसगढ़ एसीबी द्वारा दर्ज प्राथमिकी (36/2024) में अभियुक्त है. यह प्राथमिकी भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धरा-7 और आइपीसी की धारा-420, 120बी के तहत दर्ज की गयी है. अभियुक्त ने छत्तीसगढ़ हाइकोर्ट में याचिका दायर कर अंतरिम राहत देने की अपील की थी. हालांकि, हाइकोर्ट ने झारखंड सरकार में कार्यरत इस अधिकारी को अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया. हाइकोर्ट द्वारा दिया गया आदेश अंतरिम है. याचिका अभी हाइकोर्ट में विचाराधीन है. इसलिए यह न्यायालय इस मामले में हस्तक्षेप करने के पक्ष में नहीं है. इसके मद्देनजर याचिका को निरस्त किया जाता है. साथ ही याचिकादाता को यह आजादी दी जाती है कि वह अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए हाइकोर्ट में याचिका दायर कर सकता है. अगर ऐसी याचिका दायर की जाती है, तो सुप्रीम कोर्ट ने हाइकोर्ट को उसे त्वरित गति से निष्पादित करने का निर्देश दिया.
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