रांची, आनंद मोहन : गांडेय से जेएमएम विधायक डॉ सरफराज अहमद ने पद से इस्तीफा दे दिया है. बताया जा रहा है कि पार्टी से नाराज होकर उन्होंने यह फैसला लिया. 31 दिसंबर 2023 को विधानसभा अध्यक्ष ने विधायक का इस्तीफा स्वीकार कर लिया. इस संबंध में झारखंड विधानसभा सचिवालय की ओर से एक सूचना भी जारी की गई है. बता दें कि लंबे समय से राजनीतिक गलियारों में विधायक सरफराज अहमद के इस्तीफा देने की चर्चा चल रही थी. अब सचिवालय की ओर से जारी की गई इस अधिसूचना ने इन चर्चाओं पर मुहर लगा दी है.
खबर है कि लंबे समय से डॉ सरफराज अहमद पार्टी से नाराज चल रहे थे. अब 2023 को बाय बोलने के साथ-साथ उन्होंने विधायक के पद को भी अलविदा कह दिया. विधायक पद से इस्तीफा देने के साथ ही, इस मुद्दे पर राजनीतिक बयानबाजी का दौर भी शुरू हो गया है. पूर्वी जमशेदपुर से निर्दलीय विधायक सरयू राय ने अपने एक्स (ट्विटर) हैंडल पर अधिसूचना जारी होने से पहले ही जेएमएम विधायक के इस्तीफा देने की बात कह दी थी. वहीं, गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे ने विधानसभा से जारी अधिसूचना को एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, “झारखंड के गांडेय विधायक सरफराज अहमद ने विधानसभा से इस्तीफा दिया, इस्तीफा स्वीकार हुआ. हेमंत सोरेन जी मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देंगे, झारखंड की अगली मुख्यमंत्री उनकी पत्नी कल्पना सोरेन जी होंगी. नया साल सोरेन परिवार के लिए कष्टदायक.”
झारखंड के गांडेय विधायक सरफराज अहमद ने विधानसभा से इस्तीफ़ा दिया,इस्तीफ़ा स्वीकार हुआ । हेमंत सोरेन जी मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा देंगे,झारखंड की अगली मुख्यमंत्री उनकी पत्नी कल्पना सोरेन जी होंगी । नया साल सोरेन परिवार के लिए कष्टदायक @itssuniltiwari pic.twitter.com/jl06AtXurh
— Dr Nishikant Dubey (@nishikant_dubey) January 1, 2024
2019 में थामा था जेएमएम का हाथ
मालूम हो कि डॉ सरफराज अहमद ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत कांग्रेस पार्टी के साथ की थी. उन्होंने पहली बार कांग्रेस के टिकट पर गांडेय विधानसभा सीट से चुनाव जीता था. जिसके बाद उन्होंने कांग्रेस के ही टिकट पर 2009 में फिर से गांडेय विधानसभा से चुनाव जीता था. 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस-झामुमो गठबंधन में सीटों के बंटवारे में गांडेय विधानसभा की सीट झामुमो के खाते में आई थी. जिसके बाद उन्होंने झामुमो का दामन थाम लिया और एक बार फिर गांडेय सीट से चुनाव जीत गए, लेकिन मंत्री नहीं बन पाए. अल्पसंख्यक कोटे से झामुमो ने हाजी हुसैन अंसारी को मंत्री बनाया. हाजी हुसैन अंसारी के निधन के बाद उनके मंत्री बनने की चर्चा तेज हुई लेकिन एक बार फिर डॉक्टर सरफराज अहमद मंत्री की दौड़ में पिछड़ गए और हाजी हुसैन अंसारी के बेटे हफीजुल अंसारी मंत्री बन गए.