18.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Gandhi Jayanti 2022: रांची की यादों में हैं महात्मा गांधी, स्मृतियां आज भी मौजूद

महात्मा गांधी का झारखंड की राजधानी रांची से काफी गहरा रिश्ता रहा है. कई सरकारी दस्तावेज और पत्र इस बात की पुष्टि करते हैं कि सन 1917 से 1940 के बीच महात्मा गांधी का रांची 12 बार आना हुआ है. रांची शहर से महात्मा गांधी के जुड़ाव और उपलब्ध स्मृतियों को साझा करती विशेष रपट...

Ranchi News: महात्मा गांधी का झारखंड की राजधानी रांची से काफी गहरा रिश्ता रहा है. रांची में मौजूद स्मृतियां उनके कनेक्शन का एहसास दिलाते हैं. कई सरकारी दस्तावेज और पत्र इस बात की पुष्टि करते हैं कि महात्मा गांधी रांची केवल लोगों से मिलने नहीं आये. दस्तावेज और मीडिया रिपोर्ट्स बताती है की सन 1917 से 1940 के बीच महात्मा गांधी का रांची 12 बार आना हुआ है. इन 12 यात्रा के दौरान उन्होंने लंबा समय रांची में बिताया है. दस्तावेज बताते हैं कि चंपारण आंदोलन की रूपरेखा रांची में ही बनायी गयी थी.

संत पॉल स्कूल ग्राउंड और मेयर्स रोड का आड्रे हाउस

महात्मा गांधी का रांची शहर के कनेक्शन को हम इन जगहों पर भी पाते हैं. दस्तावेज बताते हैं कि चंपारण आन्दोलन के दौरान महात्मा गांधी रांची पहुंचे थे. जब चंपारण आंदोलन अपने चरम पर था तब अंग्रेजी सरकार महात्मा गांधी को चंपारण से हटाना चाहती थी. उस समय महात्मा गांधी रांची आये और रांची में रह रहे बिहार ओडिशा के तत्कालीन लेफ्टिनेंट गर्वनर सर एडवर्ट गेट मुलाकात की थी. उनकी यह मुलाकात आड्रे हाउस में हुई थी. वर्तमान में यह आड्रे हाउस आज भी महात्मा गांधी की यादें समेटे कांके रोड के करीब मेयर्स रोड में खड़ा है. इसके अलावा रांची में उनका कनेक्शन चर्च रोड के संत पॉल स्कूल के मैदान से भी है. यहां महात्मा गांधी ने 17 सितंबर, 1925 को एक सभा को संबोधित किया था.

आज भी शान से चल रहा शहीद चौक का कोल्हू

रांची से बापू के कनेक्शन की बात की जाये और मेन रोड शहीद चौक स्थित कोल्हू की चर्चा न हो ऐसा नहीं हो सकता है. इस कोल्हू की शुरुआत रांची के व्यवसायी और गांधीवादी श्याम किशोर साहू और उनकी पत्नी सवित्री साहू ने गांधीजी की प्रेरणा से रांची के शहीद चौक के पास शुरू किया था. दस्तवेजों के मुताबिक साल 1940 में महात्मा गांधी कई बार रांची आये थे. इस दौरान उन्होंने वर्तमान शहर के कई जगहों का भ्रमण किया था. उस समय वे शहीद चौक पर स्थित इस कोल्हू में भी गए थे. तब वे ग्रामउद्योग और स्वदेशी के प्रति प्रेम को देखते हुए उन्होंने इसकी सराहना की थी और शुभकामनाएं थी. इस कोल्हू में आज भी उस शुभकामना संदेश को देखा जा सकता है.

राय साहेब लक्ष्मी नारायण और वो फोर्ड कार

साल 1940 के रामगढ़ कांग्रेस अधिवेशन में भाग लेने वे जिस कार से गए थे, वो फोर्ड कंपनी की कार थी. यह कार कोकर लालपुर रोड में रहने वाले राय साहब लक्ष्मी नारायण की थी. इस अधिवेशन में भाग लेने वे रांची आये थे और यहां से इसी बीआरएफ-50 नंबर की फोर्ड कार से रामगढ़ गए थे. यह कार आज भी सुरक्षित रखी है. इस कार को परिवार के सदस्य आदित्य विक्रम जायसवाल सुरक्षित रखे हुए हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें