रांची. मारवाड़ी समाज का लोकप्रिय पर्व गणगौर 11 अप्रैल को धूमधाम से मनाया जायेगा. रंगों का तैयार होली फागुन मास की पूर्णिमा को आती है. होलिका दहन के दूसरे दिन सौभाग्यदायिनी मां गौरी का पूजन, जिसे मारवाड़ी समाज गणगौर पूजन कहते हैं, श्रद्धाभाव से किया जाता है. यह होलिका दहन के दूसरे दिन से शुरू होकर चैत्र शुक्ल की तृतीया को संपन्न होती है. इस तरह मारवाड़ी समाज में पूरे 16 दिन ईसर यानी कि शंकर और गौरा यानी की मां पार्वती की पूजा होती है. कुंवारी लड़कियां एवं नव विवाहित महिलाएं लगातार 16 दिन पूजा कर अखंड सुहाग की कामना करती हैं. शुरू के दिनों में होलिका की राख से पिंडलिया बनाकर दुबली घास से पूजा की जाती है. फिर होली के सात या आठ दिन बाद मां शीतला की पूजा कर शाम से गौरा संग ईश्वर, बहन रोवा, भाई कनीराम, मालन की मूर्ति रूप में पूजा-अर्चना की जाती है. उसके बाद घर- घर बहू बेटियों का गणगौर सिंधारा आरंभ होता है. इस तरह मारवाड़ी समाज में घर-घर बहू बेटियों का सिंधारा आरंभ हो गया है. घर-घर महिलाएं गणगौर गीत गा रही हैं. गणगौर पर्व का उल्लास दिख रहा है. खरीदारी कर रही हैं, जिसे लेकर बाजार भी सज गये हैं.
गणगौर महोत्सव 11 को, तैयारी जोरों पर
मारवाड़ी समाज का लोकप्रिय पर्व गणगौर 11 अप्रैल को धूमधाम से मनाया जायेगा.
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