झारखंड में गैरमजरुआ जमीन की अवैध खरीद-बिक्री व जमाबंदी का मामला सामने आया है. पूरे राज्य में तीन लाख 62 हजार 867 एकड़ गैरमजरुआ जमीन की अवैध खरीद-बिक्री और जमाबंदी हुई है. अंचल कार्यालय की मिलीभगत से यह काम हो रहा है. पूरे राज्य में अवैध जमाबंदी के 1़ 75 लाख से ज्यादा मामलों के निबटारे के लिए आवेदन लंबित हैं. अवैध जमाबंदी में बोकारो जिला सबसे आगे है.
यहां 50 हजार से ज्यादा मामले दर्ज हैं. बोकारो जिला में 96 हजार 150 एकड़ जमीन की जामबंदी की गयी है. वहीं, चतरा में 99 हजार एकड़ से ज्यादा जमीन की जामबंदी हुई है. शुक्रवार को राज्यसभा में शून्य काल के दौरान भाजपा सांसद आदित्य साहू ने गैरमजरुआ जमीन की लूट का मामला उठाया. सांसद ने कहा कि झारखंड के हर जिले में गैरमजरुआ जमीन की अवैध जमाबंदी हो रही है.
इस जमीन की धड़ल्ले से खरीद-बिक्री हो रही है. झारखंड जमीन के अवैध कारोबार का केंद्र बन गया है. उन्होंने सदन में कहा कि झारखंड में सत्ता के संरक्षण में पदाधिकारियों की मिलीभगत बिचौलिये जमीन बेच कहा कि एक तरफ दबंगों द्वारा दलितों, आदिवासियों की जमीन लूटी जा रही है. वहीं, सरकारी गैमाजरुआ जमीन की धड़ल्ले से बंदोबस्ती की जा रही.
इन मामलों में जमीन दलाल, बिचौलियों के साथ राज्य सरकार के अधिकारी भी शामिल हैं. उन्होंने सदन को बताया कि राज्य में तीन लाख एकड़ से ज्यादा जमीन की अवैध जमाबंदी की गयी है. सांसद ने कहा कि केंद्र सरकार पूरे मामले की जांच करा कर दोषियों पर कार्रवाई करे. पूरे मामले में शामिल रहनेवाले अधिकारी, बिचौलिओं को चिह्नित कर कार्रवाई हो.
ओरमांझी के मूटा गांव में वर्ष 1980-82 में भूमिहीनों को बीच 100 एकड़ जमीन का पट्टा वितरित किया था़ इस जमीन पर ग्रामीण वर्षों से खेती-बारी व घर बना कर रह रहे हैं. सांसद ने सदन में बताया कि भू-माफियाओं की नजर अब इस जमीन पर है. ग्रामीणों को डराने-धमकाने का मामला सामने आया है. इस जमीन पर कब्जा का प्रयास हो रहा है. सरकार ने आदिवासी-दलित सहित अन्य भूमिहीनों को जमीन दी थी.