प्रभात खबर इंपैक्ट: गवई बराज परियोजना की नहर टूटने के मामले में सरकार ने दिया जांच का आदेश

झारखंड सरकार के जनसंपर्क निदेशालय ने कहा है कि अभी योजना का उदघाटन नहीं हुआ है. केवल मुख्य नहर का ट्रायल रन किया गया है. जिससे खरीफ फसल को सिंचाई की सुविधा प्रदान की जा रही है.

By Prabhat Khabar News Desk | August 5, 2023 7:16 AM

ट्रायल शुरू होने के चार दिन बाद ही टूट जानेवाली गवई बराज परियोजना की नहर की जांच उड़नदस्ता करेगा. जल संसाधन विभाग ने अधीक्षण अभियंता की अध्यक्षतावाले उड़नदस्ते को जांच की जिम्मेवारी दी गयी है. विभाग के अभियंता प्रमुख नागेश मिश्र ने बताया कि उड़नदस्ता को नहर के टूटने की जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है.

इधर, राज्य सरकार के जनसंपर्क निदेशालय ने कहा है कि अभी योजना का उदघाटन नहीं हुआ है. केवल मुख्य नहर का ट्रायल रन किया गया है. जिससे खरीफ फसल को सिंचाई की सुविधा प्रदान की जा रही है. नहर का लगभग 10 मीटर हिस्सा क्षतिग्रस्त हुआ है. क्षतिग्रस्त होने के कारणों की जांच के लिए विभागीय उड़नदस्ता को निर्देशित किया गया है. जांच में विभागीय पदाधिकारियों की लापरवाही या कार्य में त्रुटि पाये जाने पर दंडात्मक कार्रवाई की जायेगी. क्षतिग्रस्त हिस्सा का कार्य भी संवेदक से बिना अतिरिक्त भुगतान दिये कराया जायेगा. अभी संवेदक को भुगतान नहीं किया गया है.

निदेशालय द्वारा कहा गया है कि गवई बराज योजना व उसकी नहरों का निर्माण वर्ष 1983 में किया गया था. 1984 से इससे सिंचाई की सुविधा प्रदान की जा रही थी. बांयी व दांयी मुख्य नहर की क्रमश: 44.38 किमी व 10.37 किमी लंबी योजना की कुल खरीफ सिंचाई क्षमता 4636 हेक्टेयर है. पूर्व में सभी नहरें मिट्टी निर्मित थीं.

बाद में नहरों में सिल्ट भरने व संरचनाओं के जीर्ण-शीर्ण होने के कारण सिंचाई क्षमता कम हुई. इसके नहरों के सुदृढ़ीकरण, लाइनिंग, संरचनाओं व बराज के गेटों की मरम्मत के लिए वर्ष 2016 में 130.54 करोड़ रुपये की प्रशासनिक स्वीकृति दी गयी थी. कार्य आवंटन की तिथि 25 जून, 2016 थी. 18 दिसंबर, 2016 को कार्य का शिलान्यास किया गया था.

अमर बाउरी ने विधानसभा में उठाया मामला

चंदनकियारी के विधायक अमर कुमार बाउरी ने गवई बराज लिंक नहर टूटने का मामला विधानसभा में उठाया. उन्होंने कैनाल के टूटने व निर्माण में बरती गयी अनियमितता की जांच की मांग की. विधानसभा के बाहर संवाददाताओं से बातचीत करते हुए श्री बाउरी ने बताया कि 50 वर्ष पुरानी इस योजना के निर्माण में करोड़ों रुपये खर्च किये गये हैं. इसके टूटने की जांच होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि रघुवर दास सरकार में योजना को धरातल पर उतारने का काम शुरू हुआ था.

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