डकरा : प्लीज मेरे पापा का कोई अंतिम संस्कार करवा दीजिये. जब तक उनका अंतिम संस्कार नहीं हो जाता, तब तक मेरी मां और पूरा परिवार खाने-पीने की स्थिति में नहीं है. जल्द अंतिम संस्कार नहीं हुआ, तो कोरेंटिन हालात में मेरे पारिवारिक के बाकी सदस्यों का कुछ भी हो सकता है. यह कहना है डकरा के सीसीएलकर्मी जयगोविंद की पुत्री उषा कुमारी का.
उन्होंने प्रभात खबर को फोन कर बताया कि कोरोना पॉजिटिव पाये जाने के बाद उसके पिताजी का निधन 29 अगस्त को रांची के पारस अस्पताल में हो गया था. बताया गया कि आपलोगों को सिर्फ डेथ सर्टिफिकेट मिलेगा और शव को प्रशासन हरमू मुक्तिधाम ले जाकर अंतिम संस्कार करेगा. इसके बाद वहां जो एंबुलेंस आयी, वह शव लेकर रिम्स चली गयी. तब से शव वहीं पड़ा हुआ है, जिसका बॉक्स नंबर 30 है. पूछने पर रिम्स प्रबंधन में बैठे लोग फोन पर ठीक से बात नहीं कर रहे हैं.
एंबुलेंस चालक से कहने पर कहा जा रहा है कि जब तक हमलोगों को आदेश नहीं मिलेगा, तब तक कुछ नहीं करेंगे. सीसीएल के लोग कह रहे हैं कि हमलोगों के हाथ में कुछ नहीं है. उषा पूछती है कि क्या किसी के पिताजी का शव रखा रहे, तो उसका जीवन सामान्य हो सकता है? हमलोग डकरा में स्वतः कोरेंटिन हो गये हैं. सीसीएल प्रबंधन या प्रशासन के लोग कोई हमारा हाल तक जानने की कोशिश नहीं कर रहे हैं. न ही हमलोगों की कोरोना जांच करायी गयी है. परिवार के सभी सात सदस्यों ने प्रभात खबर के माध्यम से अपील की है कि जल्दी से शव का अंतिम संस्कार करा दिया जाये.
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प्रभात खबर के माध्यम से मृतक की बेटी ने की अपील
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कोरोना संक्रमित का शव चार दिनों से रिम्स में ही पड़ा है
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29 अगस्त को रांची के पारस अस्पताल में हो गया था निधन
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सीसीएल प्रबंधन या प्रशासन हाल तक लेने नहीं पहुंचा
Post by : Prirtish Sahay