रांची : गर्मी आने से पहले ही शहर के कई इलाकों में पेयजल संकट की स्थिति उत्पन्न हो गयी है. झारखंड हाइकोर्ट ने भी इसको लेकर चिंता जतायी है. राजधानी के शहरी इलाकों में गेतलसूद, गोंदा व हटिया डैम से जलापूर्ति की जाती है. इधर, पिछले वर्ष की तुलना में हटिया डैम में नौ फीट तक पानी घट गया है. वहीं, गेतलसूद व गोंदा डैम में गाद भर जाने की वजह से जल भंडारण क्षमता क्रमश: 14 और 12 फीट तक घट गयी है. अगर गेतलसूद डैम से गाद हटा लिया जाये, तो दो साल तक रांची शहर में पेयजलापूर्ति की जा सकती है.
रांची के 80 प्रतिशत शहरी इलाके में गेतलसूद डैम से पेयजल की आपूर्ति की जाती है. इससे लगभग आठ लाख लोगों की प्यास बुझती है. गर्मी के दिनों में डैम का जल स्तर घटने के बाद परेशानी बढ़ जाती है. अगर इसी तरह डैम में गाद भरता गया, तो हर वर्ष पेयजलापूर्ति को लेकर संकट उत्पन्न होगा. गेतलसूद डैम में फिलहाल 14 फीट गाद भर गया है. इससे जल भंडारण की क्षमता घट गयी है. डैम से गाद निकाल देने से शहर में 840 दिनों तक पेयजलापूर्ति की जा सकेगी.
गाद होने की वजह से बरसात के दिनों में जल्द ही डैम का जल स्तर खतरे के निशान तक पहुंच जाता है. ऐसे में डैम का फाटक खोल कर पानी बहाया जाता है. पिछले साल भी कई बार गेतलसूद व गोंदा डैम का फाटक खोल कर पानी बहाया गया था. अगर हम गाद हटा कर जल भंडारण की क्षमता बढ़ाते हैं, तो राजधानी रांची में दो साल तक पानी की कोई किल्लत नहीं होगी. विभागीय अभियंताओं के अनुसार, गेतलसूद डैम भरा रहने पर एक इंच पानी से शहर में पांच दिनों तक पेयजल की आपूर्ति की जा सकती है. जल स्तर कम होने पर एक इंच पानी से दो दिनों तक आपूर्ति की जा सकती है.
14 फीट तक जमा हो गया है गाद
राज्य के अन्य डैमों के साथ राजधानी के गेतलसूद और गोंदा डैम में भी गाद भर जा रहा है. पिछले आठ वर्षों में गेतलसूद डैम में जल भंडारण की क्षमता 14 फीट तक घट गयी है. वहीं, गोंदा डैम की जल भंडारण क्षमता पांच फीट तक कम हो गयी है. इसका मुख्य कारण विभिन्न नालों से आनेवाला गंदा पानी और कचरा है. गेतलसूद (रुक्का), गोंदा (कांके) व हटिया डैम रांची शहरी जलापूर्ति योजना के आधार हैं. वर्ष 2015 से पहले गेतलसूद डैम के लेवल 1900 फीट तक का पानी पेयजल के लिए उपयोग में आता था. मई 2015 के बाद 1910 फीट तक का पानी पेयजल के लिए उपयोग होता था. अप्रैल 2019 के बाद 1914 फीट का पानी पेयजल तक के लिए उपयोग किया जा रहा है.
इसके नीचे का कच्चा जल काफी दूषित है. इसे पेयजल के लिए साफ करना संभव नहीं है. पेयजल एवं स्वच्छता विभाग द्वारा तत्काल में 1914 फीट मानक के अनुरूप रांची शहरवासियों को पेयजल उपलब्ध कराया जा रहा है. वहीं, दूसरी तरफ पूर्व में गोंदा डैम से जलापूर्ति के लिए जलाशय के जलस्तर 2107 फीट तक पानी लिया जाता था. वर्तमान में गाद भर जाने की वजह से 2112 फीट तक ही पानी जलापूर्ति के रूप में लिया जा सकता है.
जलकुंभी के सड़ने और गंदा पानी गिरने से भर रहा गाद
जलकुंभी के सड़ने और गंदा पानी गिरने से डैमों में गाद भर रहा है. गेतलसूद डैम में शहर के विभिन्न मोहल्लों जैसे विद्यापति नगर, हिंदपीढ़ी, कुसई ब्रिज, मुक्तिधाम नामकुम के नालों, हरमू नदी व जुमार नदी का गंदा पानी स्वर्णरेखा नदी होते हुए गेतलसूद डैम तक पहुंच रहा है. इस कारण गेतलसूद जलाशय के पानी की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है. वहीं, गोंदा डैम के जल जमावट क्षेत्र में घने बसावट की वजह से डैम का जल ग्रहण क्षेत्र पूरी तरह से प्रभावित हो रहा है. पंडरा नदी व करमा नदी अब एक बड़े नाले में तब्दील हो गयी है. जलाशय के इर्द-गिर्द बसे मोहल्लों के सीवरेज का पानी जलाशय के पानी को प्रदूषित कर रहा है.