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Good News : बेटियों ने मैट्रिक में संख्या और रिजल्ट दोनों में लड़कों को पीछे छोड़ा

राज्य गठन के बाद से सरकार द्वारा बालिका शिक्षा को बढ़वा देने लगातार प्रयास किया जा रहा है. इसके लिए सरकार ने कई योजनाएं भी शुरू कीं. सरकार के इन प्रयासों का असर बालिकाओं के शिक्षा पर देखने को मिला है. झारखंड में लगभग पिछले 15 वर्षों में स्कूली शिक्षा में छात्राओं की संख्या बढ़ने के साथ-साथ रिजल्ट का ग्राफ भी बढ़ा है.

सुनील कुमार झा(रांची). राज्य गठन के बाद से सरकार द्वारा बालिका शिक्षा को बढ़वा देने लगातार प्रयास किया जा रहा है. इसके लिए सरकार ने कई योजनाएं भी शुरू कीं. केंद्र व राज्य सरकार के संयुक्त प्रयास से राज्य में 203 कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय खोले गये. इसके अलावा झारखंड सरकार ने 57 वैसे प्रखंड, जहां कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय नहीं था, वहां झारखंड बालिका आवासीय विद्यालय खोला गया. सरकार के इन प्रयासों का असर बालिकाओं के शिक्षा पर देखने को मिला है. झारखंड में लगभग पिछले 15 वर्षों में स्कूली शिक्षा में छात्राओं की संख्या बढ़ने के साथ-साथ रिजल्ट का ग्राफ भी बढ़ा है.

बदले हालात

वर्ष 2008 के रिजल्ट को देखा जाये, तो राज्य में मैट्रिक की परीक्षा में शामिल कुल 3,39,027 परीक्षार्थियों में से छात्रों की संख्या 2,01,308 थी, जबकि लड़कियों की संख्या 1,37,719 थी. छात्रों का रिजल्ट छात्राओं की तुलना में बेहतर था. छात्रों का पास प्रतिशत 87.59 फीसदी तो छात्राओं का रिजल्ट 86.13 फीसदी था. परीक्षा में शामिल कुल परीक्षार्थियों में छात्रों का प्रतिशत 52.61 तो छात्राओं की संख्या 40.63 फीसदी था. ऐसे में देखा जाये, तो वर्ष 2008 में राज्य में मैट्रिक की परीक्षा में शामिल कुल परीक्षार्थी व रिजल्ट के प्रतिशत दोनों में छात्र आगे थे, पर अब परिस्थिति बदल गयी है.

अब आधे से अधिक छात्राएं, रिजल्ट भी 90 फीसदी के पार

वर्ष 2024 के मैट्रिक के रिजल्ट को देखा जाये, तो परीक्षार्थियों की संख्या के साथ-साथ रिजल्ट प्रतिशत दोनों में छात्राएं छात्रों से आगे हैं. वर्ष 2024 की मैट्रिक परीक्षा में कुल 4,21,678 परीक्षार्थियों ने आवेदन जमा किया था. इनमें आधे से अधिक छात्राएं थीं. झारखंड एकेडमिक काउंसिल द्वारा जारी डाटा के अनुसार इनमें 2,21,866 छात्राएं व 1,99,812 छात्र परीक्षा में शामिल हुए थे. रिजल्ट में पास प्रतिशत भी छात्रों की तुलना में छात्राओं का अधिक था. परीक्षा में 89.70 फीसदी छात्र, तो 91.09 फीसदी छात्राएं सफल हुई थीं. वर्ष 2008 की परीक्षा में शामिल परीक्षार्थियों में छात्रों का प्रतिशत 59.37 था, जो कि वर्ष 2024 में घटकर 47.38 फीसदी पर पहुंच गया.

राज्य में ऐसे बढ़ी छात्राओं की संख्या व रिजल्ट

वर्ष 2015 के बाद राज्य में मैट्रिक की परीक्षा में छात्राओं की संख्या में लगभग छात्रों के बराबर हो गयी. वर्ष 2017 में छात्राओं की संख्या छात्रों से अधिक हो गयी. इसके बाद से छात्राओं की संख्या लगातार बढ़ती चली गयी. इसके साथ ही छात्राओं के रिजल्ट में भी सुधार होता गया. पिछले कुछ वर्षों से छात्राओं का पास प्रतिशत लगभग छात्रों के बराबर या उससे अधिक हो रहा है. मैट्रिक की परीक्षा में वर्ष 2020 में छात्राओं के रिजल्ट में काफी सुधार हुआ. वर्ष 2020 में छात्रों के रिजल्ट में लगभग तीन तो छात्राओं के रिजल्ट में पांच फीसदी से अधिक की बढ़ोतरी हुई. वर्ष 2021 में पहली बार राज्य में छात्राओं का रिजल्ट छात्रों से बेहतर हुआ. इसके बाद से छात्राओं के रिजल्ट में लगातार सुधार हो रहा है. पिछले दो वर्ष से छात्राओं का रिजल्ट छात्रों के तुलना में बेहतर हो रहा है.

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