अधिकारी कानून सम्मत करें काम नहीं तो सोरेन सरकार कर देगी करियर बर्बाद, गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे की सलाह

गोड्डा के सांसद डॉ निशिकांत दूबे ने राज्य के अधिकारियों को सलाह दी है. उन्होंने अधिकारियों को यह सलाह ट्वीट कर दी है. उन्होंने यह सलाह सुप्रीम कोर्ट द्वारा राज्य के मुख्य सचिव को सशरीर हाजिर होने के आदेश पर दी है. सलाह देते हुए उन्होंने कहा है कि अधिकारियों को कानून ओर विधि सम्मत काम करना चाहिए.

By Rahul Kumar | November 29, 2022 10:09 AM

Jharkhand Political News: गोड्डा के सांसद डॉ निशिकांत दूबे (Dr Nishikant Dubey) ने राज्य के अधिकारियों को सलाह दी है. उन्होंने अधिकारियों को यह सलाह ट्वीट कर दी है. उन्होंने यह सलाह सुप्रीम कोर्ट द्वारा राज्य के मुख्य सचिव को सशरीर हाजिर होने के आदेश पर दी है. सलाह देते हुए उन्होंने कहा है कि अधिकारियों को कानून ओर विधि सम्मत काम करना चाहिए.

ट्वीट में क्या लिखा

सांसद डॉ निशिकांत दुबे ने ट्वीट में लिखा है कि : झारखंड के मुख्य सचिव को शिक्षक नियुक्ति में सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना करने पर 2 दिसंबर को सशरीर उपस्थित रहने का आदेश दिया है. फिर से मैं झारखंड के सभी बड़े व छोटे अधिकारियों को सलाह देता हूं,क़ानून व विधि सम्मत कार्य करिए,नहीं तो सोरेन सरकार आपके कैरियर को बर्बाद कर देगी.

जानिए ट्वीट का संदर्भ क्या है

डॉ निशिकांत दुबे ने यह ट्वीट झारखंड में नियोजन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई पर किया है. राज्य में शिक्षकों की नियुक्ति से जुड़े मामले की सुप्रीम कोर्ट में कल सुनवाई हुई. जहां कोर्ट ने आदेश देते हुए कहा कि राज्य के मुख्य सचिव दो दिसंबर को अदालत में सशरीर हाजिर हों.

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शिक्षक नियुक्ति से जुड़ा है मामला

वर्ष 2016 में जेएसएससी ने संयुक्त स्नातक प्रशिक्षित हाइस्कूल शिक्षक प्रतियोगिता परीक्षा की प्रक्रिया शुरू की थी. 13 अनुसूचित व 11 गैर अनुसूचित जिलों में हाइस्कूलों में 17572 पदों पर शिक्षकों की नियुक्ति की जानी थी. वहीं, पलामू निवासी सोनी कुमारी व अन्य की ओर से विज्ञापन व नियोजन नीति को चुनौती दी गयी. चयन के बाद विभिन्न विषयों में 8000 से अधिक शिक्षकों की नियुक्ति हो गयी. इस बीच झारखंड हाइकोर्ट ने राज्य सरकार की नियोजन नीति को असंवैधानिक करार दिया तथा 13 अनुसूचित जिलों में की गयी शिक्षकों की नियुक्ति रद्द कर दी. बाद में शिक्षक सत्यजीत कुमार व अन्य ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर कर हाइकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी.

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