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झारखंड के इन 3 जिलों में मिलीं सोने की पांच खदानें, अब खान विभाग की ये है योजना

रांची जिले के तमाड़ प्रखंड के बरोडाटोली सोना खदान का पता चला है. यह 8.97 वर्ग किमी में है. जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जीएसआइ) ने इसकी प्रारंभिक जांच की है और सोना खदान की पुष्टि की है

सुनील चौधरी, रांची :

झारखंड के रांची, खूंटी और सरायकेला-खरसावां में सोने की पांच नयी खदानों का पता चला है. अब खान विभाग इसके बारे में पूरी जानकारी लेने में जुट गया है. नये सिरे से इन जगहों पर सोने की गुणवत्ता व भंडारण के लिए अन्वेषण होंगे. इसके बाद गोल्ड माइंस ब्लॉक तैयार किया जायेगा. खान विभाग द्वारा अन्वेषण की जिम्मेवारी झारखंड एक्सप्लोरेशन एंड माइ़निंग कॉरपोरेशन लि (जेइएमसीएल) को सौंपी गयी है. जेइएमसीएल वित्तीय वर्ष 2023-24 में अन्वेषण का कार्य करेगा.

जानकारी के अनुसार, रांची जिले के तमाड़ प्रखंड के बरोडाटोली सोना खदान का पता चला है. यह 8.97 वर्ग किमी में है. जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जीएसआइ) ने इसकी प्रारंभिक जांच की है और सोना खदान की पुष्टि की है. उधर, खूंटी जिले के अड़की प्रखंड में 2.40 वर्ग किमी क्षेत्र में पोंडेपाइ सोना खदान का पता चला है. इसके अलावा अड़की प्रखंड के जोजेबेरा-उलिहुरांग में भी 12.03 वर्ग किमी क्षेत्र में सोने के खदान का पता चला है. इन दोनों जगहों पर भी जीएसआइ ने प्रारंभिक जांच कर सोना खदान का पता किया है.

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अब इसकी जांच खुदाई व अन्य विधि से की जायेगी. वहीं, सरायकेला-खरसावां जिले के कुचाई प्रखंड में हुरुंगडाह सोना खदान की पुष्टि भी की गयी है. इसका क्षेत्रफल 2.55 वर्ग किमी है. सरायकेला-खरसावां में ही हेबेन सोना खदान की पुष्टि भी जीएसआइ ने की है. हालांकि अभी इसकी और गहराई से पड़ताल की जायेगी.

परासी है देश का सबसे बड़ा सोना खदान, 9.89 लाख टन सोने का भंडार : झारखंड में ज्ञात अब तक के सोना खदानों में रांची जिले के तमाड़ प्रखंड स्थित परासी देश का सबसे बड़ा सोना खदान है. यह खदान 69.240 हेक्टेयर में फैला है. परासी में 9.894 लाख टन सोना अयस्क का भंडार है. इसके साथ ही यहां 8.90 टन चांदी, 82.46 टन लीड, 369.54 टन निकेल, 230.33 टन कोबाल्ट, 98.94 टन मोलीबेडनम, 103.88 टन टिन और 102.40 टन गैलियम का भी भंडार भी है इस वजह से यह देश का सबसे बड़ा सोना खदान माना जाता है. इसे रूंगटा माइंस ने नीलामी में वर्ष 2017 में हासिल किया था. अब तक फॉरेस्ट क्लीयरेंस व अन्य वजहों से यह खदान आरंभ नहीं हो सका है. इसके अलावा सरायकेला स्थित लावा सोना खदान ही चालू है. मनमोहन मिनरल्स को यही खदान मिला है. सरायकेला-खरसावां जिले के कुंदरकोचा सोना खदान भी मनमोहन मिनरल्स को मिला है. पर कुछ कारणों से यह खदान बंद है. प. सिंहभूम स्थित पहाड़डिया गोल्ड माइंस जिसे दिल्ली की कंपनी मैथन इस्पात ने नीलामी में हासिल किया है. हालांकि अब तक यहां से खुदाई आरंभ नहीं हो सका है.

गुमला व सिमडेगा में हीरा-पन्ना की खदान के संकेत

रांची. गुमला व सिमडेगा में हीरा-पन्ना की नयी खदान के संकेत मिले हैं. अब खान विभाग इन खदानों का ब्लॉक तैयार करने के लिए विस्तृत भंडार का पता करेगा. इन दोनों जगहों पर मिनरल एक्सप्लोरेशन कॉरपोरेशन लिमिटेड(एमइसीएल) भूतात्विक अन्वेषण का काम किया जा रहा है. इससे पहले भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण(जीएसआइ) और झारखंड के भूतत्व निदेशालय की ओर से भी यहां अन्वेषण कार्य किया गया था.

एमइसीएल इसी अन्वेषण को आधार बनाते हुए विस्तृत खोज करेगा. इसमें पता किया जायेगा कि इन जिलों में किन-किन जगहों में हीरा व पन्ना उपलब्ध है. लगभग 200 वर्ग किमी क्षेत्र में अन्वेषण का काम किया जा रहा है. प्रारंभिक रूप में पाथ फाइंडर मिनरल की खोज की जा रही है. यानी हीरे के साथ जुड़े हुए अन्य खनिज क्या-क्या हैं. इसमें अन्वेषण दल को सफलता भी मिली है. पाथ फाइंडर मिनरल मिलने से यह पता चल चुका है कि इस क्षेत्र में हीरा व पन्ना हैं. अब धीरे-धीरे अन्वेषण कार्य को आगे बढ़ाया जा रहा है. पिछले दिनों हुई भूतात्विक कार्यक्रम पर्षद की बैठक में भी अन्वेषण अभियान की गति बढ़ाने की सलाह दी गयी थी.

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