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Good News: खूंटी के तोरपा में 100 फीसदी वैक्सीनेशन, कभी मेडिकल टीम को घुसने से रोका था, जानिए कैसे बदली तस्वीर

Good News: अब यह प्रखंड पूरे राज्य में पहला प्रखंड बन गया है, जहां शत-प्रतिशत लोगों को कोरोना का टीका लग गया है. यह वैसा इलाका है, जहां शुरुआत में टीका देने के लिए पहुंचे स्वास्थ्यकर्मियों को गांव में घुसने से रोक दिया गया था.

Goog News: मनोज सिंह, रांची- 18 साल और इससे ऊपर के शत-प्रतिशत लोगों के वैक्सीनेशन के मामले में तोरपा ने लंबी लकीर खींच दी है. तोरपा की 16 पंचायतों में आदर्श लक्ष्य पा लिया गया है. यह वैसा इलाका है, जहां शुरुआत में टीका देने के लिए पहुंचे स्वास्थ्यकर्मियों को गांव में घुसने से रोक दिया गया था. एक व्यक्ति ने टीके से बचने के लिए खुद को चाकू मार लिया था. प्रशासन और एनजीओ के सहयोग से लोगों में जागरुकता लायी गयी.

अब यह प्रखंड पूरे राज्य में पहला प्रखंड बन गया है, जहां शत-प्रतिशत लोगों को कोरोना का टीका लग गया है. तोरपा में 95 राजस्व गांव पड़ते हैं. अब तक 55939 लोगों (18 प्लस की आबादी) को पहले डोज का टीका लग चुका है. यह टीका लेने के योग्य आबादी का शत-प्रितशत है. इनमें से 70 फीसदी लोगों को दूसरा डोज भी लग चुका है.

भारत सरकार की स्वास्थ्य सचिव गायत्री मिश्रा ने तोरपा में चलाये गये अभियान की जानकारी बीते मंगलवार को आकर ली. उन्होंने अधिकारियों और संस्था के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की. इसमें शत-प्रतिशत टीका लगाने का लक्ष्य हासिल करने के लिए बधाई भी दी. यहां किये गये काम को मॉडल के रूप में पेश किया जायेगा.

विशेष अभियान में कई एनजीओ लगाये गये हैं. प्रदान ने अजीम प्रेमजी की संस्था के साथ मिलकर जिधान (झारखंड इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट हेल्थ एंड न्यूट्रिशन) प्रोजेक्ट के तहत यह योजना अपने हाथ में ली. तोरपा प्रखंड की हुसीर पंचायत का चटकपुर गांव प्रखंड मुख्यालय से 15 किमी दूर स्थित है. यहां 116 घर हैं.

करीब 319 लोग यहां वैक्सीन लेने के योग्य (उम्र 18 साल से अधिक) हैं. गांव का हर योग्य व्यक्ति वैक्सीन का पहला डोज ले चुका है. करीब एक दर्जन लोगों को छोड़कर करीब-करीब सभी लोगों ने दूसरा डोज भी ले लिया है. यहां के ग्रामीण मूल रूप से खेती-बारी करनेवाले हैं. आदर्श लक्ष्य पाना इतना आसान नहीं था. पहली बार जब स्वास्थ्य विभाग के कर्मी वैक्सीन देने आये, तो ग्रामीणों ने गांव में घुसने से ही मना कर दिया था. इसके बाद स्थानीय प्रशासन ने कुछ स्वयंसेवी संस्थाओं के साथ मिलकर यहां के लोगों को समझाना शुरू किया.

सुबह में ग्रामसभा, तो रात में रात्रि चौपाल लगाया. हॉकी और फुटबॉल का मैच कराया. आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने टेंपो से कुछ बुजुर्गों को सदर अस्पताल ले जाकर वैक्सीनेशन कराया. धीरे-धीरे लोगों का विश्वास वैक्सीन पर बढ़ने लगा और इस इलाके के लोगों ने कीर्तिमान गढ़ दिया. आज यह स्थिति हुसीर पंचायत के सभी गांवों की है. इसी पंचायत के कुछ गांव (लौतारी, जिलिंगबुरु आदि) सारंडा से लगे हुए हैं. वहां के भी शत-प्रतिशत लोगों ने वैक्सीन ले लिया है. हुसीर के ग्राम प्रधान फिलिप बारला कहते हैं कि यहां के लोगों ने ऐसे ही वैक्सीन नहीं लिया है. काफी मशक्कत करनी पड़ी है.

राज्य की स्थिति (पहला डोज)

जिला वैक्सीन प्रतिशत

बोकारो 70.45

चतरा 61.58

देवघर 65.30

धनबाद 64.63

दुमका 72.03

पू सिंहभूम 86.46

गढ़वा 60.46

गिरिडीह 61.34

गोड्डा 66.21

गुमला 54.79

हजारीबाग 71.52

जामताड़ा 70.44

खूंटी 65.21

कोडरमा 70.79

लातेहार 62.28

लोहरदगा 56.81

पाकुड़ 73.23

पलामू 60.20

रामगढ़ 76.71

रांची 74.03

साहिबगंज 67.15

सरायकेला-खरसावां 67.76

सिमडेगा 65.45

प सिंहभूम 81.83

गांव-गांव जाकर किया प्रयास : डीसी

खूंटी डीसी शशि रंजन बताते हैं कि शुरुआत में वोटर लिस्ट से लोगों की सूची बनायी गयी थी. बाद में गांव-गांव जाकर लोगों को चिह्नित किया गया. कई प्रकार के प्रयास किये गये. शिक्षकों, पारा शिक्षकों और एनजीओ आदि को लगाया गया. रात्रि चौपाल और ग्रामसभा आदि का आयोजन किया गया. जहां लोग वैक्सीन नहीं लेना चाह रहे थे, वहां वरीय अधिकारियों को लगाया गया. विकास मेले का आयोजन हुआ. तब जाकर यहां के शत-प्रतिशत लोगों ने पहला डोज लिया है.

उपलब्धि को मॉडल के रूप में पेश करने की तैयारी

  • तोरपा की 16 पंचायतों में पा लिया गया आदर्श लक्ष्य

  • 70% लोगों को दूसरा डोज भी लग चुका है

ये दिक्कतें आयीं सामने

  • आदिवासी बहुल इलाके में पहले यह भ्रम फैलाया गया कि सरकार सूई देकर धर्म बदलना चाहती है

  • बच्चा पैदा करने में परेशानी होगी, आदिवासियों की जनसंख्या कम होगी

  • यहीं के एक बुजुर्ग व्यक्ति ने वैक्सीन टीम को देखकर खुद को चाकू मार लिया था. कहा कि मर जायेंगे, लेकिन सूई नहीं लेंगे

  • सूई लेने के बाद बुखार होने पर स्वास्थ्य कर्मियों के घरों में हंगामा करने रात में पहुंच जाते थे ग्रामीण

Posted by: Pritish Sahay

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