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झारखंड के लिए खुशखबरी, बहुत जल्द असाध्य एवं दुर्लभ रोगों की हो सकेगी जांच, रिम्स की ये है तैयारी

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद ने रिम्स के जेनेटिक्स एवं जीनोमिक्स विभाग द्वारा प्रस्तावित दो बाह्य अनुसंधान परियोजनाओं को अनुदान देने की स्वीकृति दी है. दोनों ही अनुसंधान सिकल सेल एनीमिया के क्षेत्र में होगा.

रांची: झारखंड के लिए काफी अच्छी खबर है. बहुत जल्द असाध्य एवं दुर्लभ रोगों की जांच राज्य में शुरू हो जाएगी. झारखंड का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल रिम्स जेनेटिक एवं जीनोमिक्स विभाग को पूर्ण एक्जोम सीक्वेंसिंग करने की तैयारी में जुटा हुआ है. भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद ने रिम्स के जेनेटिक्स एवं जीनोमिक्स विभाग द्वारा प्रस्तावित दो बाह्य अनुसंधान परियोजनाओं को अनुदान देने की स्वीकृति दी है. यह रिम्स एवं पूरे झारखंड के लिए एक बड़ी उपलब्धि है. इन दो परियोजनाओं के साथ ही MBBS-2020 सत्र की छात्रा आकांक्षा सिंह के अनुसंधान प्रस्ताव को भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद द्वारा अल्पावधि छात्रवृत्ति मिली है.

असाध्य एवं दुर्लभ रोगों की हो सकेगी जांच

रिम्स जेनेटिक एवं जीनोमिक्स विभाग को पूर्ण एक्जोम सीक्वेंसिंग करने की तैयारी में जुटा है और जल्द ही असाध्य एवं दुर्लभ रोगों की जांच झारखंड में शुरू होगी. भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद ने रिम्स के जेनेटिक्स एवं जीनोमिक्स विभाग द्वारा प्रस्तावित दो बाह्य अनुसंधान परियोजनाओं को अनुदान देने की स्वीकृति दी है. दोनों ही अनुसंधान सिकल सेल एनीमिया के क्षेत्र में होगा.

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दो बाह्य अनुसंधान परियोजनाओं को अनुदान देने की स्वीकृति

पहली परियोजना का शीर्षक है-सिकल सेल एनीमिया में वासो ओक्लूसिव संकट के लिए नैदानिक प्रोफाइलिंग एवं आनुवंशिक जोखिम कारकों का अध्ययन: एक बहुकेंद्रित केस नियंत्रण अध्ययन.

दूसरी परियोजना का शीर्षक है-उच्च एचबीएफ वाले सिकल सेल एनीमिया रोगियों में संभावित चिकित्सीय लक्ष्य की पहचान करने के लिए एक संपूर्ण रक्त ट्रांसक्रिप्टोमिक अध्ययन.

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मुख्य अन्वेषक हैं डॉ अनूपा प्रसाद व डॉ अरुण विंसेंट किस्कू

दोनों परियोजनाओं के मुख्य अन्वेषक डॉ अनूपा प्रसाद एवं डॉ अरुण विंसेंट किस्कू हैं. इन परियोजनाओं में डॉ पार्था कुमार चौधरी, डॉ रिषी गुरिया, डॉ गणेश चौहान, डॉ अमित कुमार एवं डॉ सुनील शाक्य भी शामिल हैं.

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आकांक्षा सिंह के अनुसंधान प्रस्ताव को मिली अल्पावधि छात्रवृत्ति

यह रिम्स एवं पूरे झारखंड के लिए एक बड़ी उपलब्धि है. इन दो परियोजनाओं के साथ ही MBBS-2020 सत्र की छात्रा आकांक्षा सिंह के अनुसंधान प्रस्ताव को भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद द्वारा अल्पावधि छात्रवृत्ति मिली है. इस अनुसंधान प्रस्ताव की मार्गदर्शक डॉ अनूपा प्रसाद हैं. इस परियोजना का कार्य भी जेनेटिक एवं जीनोमिक्स विभाग में होगा.

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