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झारखंड में इस वर्ष आम की अच्छी पैदावार, 1000 टन से अधिक उत्पादन तो सिर्फ इन तीन जिलों से, बिरसा मुंडा बागवानी स्कीम के तहत हुई थी शुरूआत

बिरसा मुंडा बागवानी योजना के तहत आम उत्पादन का काम शुरू हुआ था. अब यह काम बिरसा हरित ग्राम योजना के नाम पर चल रहा है. इसके तहत 50 डिसमिल जमीन में आम की खेती करायी जाती है. तीन साल तक देखरेख का जिम्मा लाभुक का होता है. इस दौरान मजदूरी की राशि भी दी जाती है. इसके अतिरिक्त आम का पौधा, खाद और बीज के खर्च भी दिये जाते हैं. राज्य सरकार ने इस स्कीम के संचालन के लिए कलस्टर फैसिलेशन टीम (सीएफटी) बनायी थी. टीम किसानों को प्रशिक्षण दिलाने के साथ-साथ तकनीकी सपोर्ट और स्कीम का लाभ दिलाने का काम करती थी. कलस्टर टीम की देखरेख और तकनीकी सपोर्ट के कारण ही पौधे की मृत्यु दर पांच फीसदी के आसपास थी.

Jharkhand News, Mango production in jharkhand 2021 रांची : झारखंड में पिछले चार साल से मनरेगा के तहत हो रही आम की बागवानी का असर अब दिखने लगा है. इस वर्ष आम की अच्छी पैदावार हुई है. सिर्फ खूंटी, गुमला और लोहरदगा जिला में 1000 टन से अधिक आम का उत्पादन हुआ है. इनमें 800 टन के आसपास आम का उत्पादन मनरेगा व शेष आम दूसरी स्कीम के तहत हुआ है. हालांकि बाजार में आम की डिमांड कम होने से किसानों की परेशानी बरकरार है. इन इलाकों में मनरेगा के तहत अधिकतर मल्लिका और आम्रपाली आम लगाये गये हैं. किसान कई स्वयंसेवी संस्थाओं के माध्यम से बाजार में आम बेचने की कोशिश कर रहे हैं.

बिरसा मुंडा बागवानी योजना के तहत आम उत्पादन का काम शुरू हुआ था. अब यह काम बिरसा हरित ग्राम योजना के नाम पर चल रहा है. इसके तहत 50 डिसमिल जमीन में आम की खेती करायी जाती है. तीन साल तक देखरेख का जिम्मा लाभुक का होता है. इस दौरान मजदूरी की राशि भी दी जाती है. इसके अतिरिक्त आम का पौधा, खाद और बीज के खर्च भी दिये जाते हैं. राज्य सरकार ने इस स्कीम के संचालन के लिए कलस्टर फैसिलेशन टीम (सीएफटी) बनायी थी. टीम किसानों को प्रशिक्षण दिलाने के साथ-साथ तकनीकी सपोर्ट और स्कीम का लाभ दिलाने का काम करती थी. कलस्टर टीम की देखरेख और तकनीकी सपोर्ट के कारण ही पौधे की मृत्यु दर पांच फीसदी के आसपास थी.

प्रोसेसिंग प्लांट की जरूरत

सीएफटी टीम के साथ काम करनेवाले प्रदान संस्था के प्रेमशंकर कहते हैं कि समय आ गया है कि किसानों के लिए सरकार सोचे. किसानों को बाजार की जरूरत है. आम तैयार होने के बाद बाजार में उचित कीमत नहीं मिलने से किसानों की कमर टूट जायेगी. जहां आम तैयार हो रहा है, वहां प्रोसेसिंग प्लांट लगाया जा सकता है. सीएफटी का काम 2018 से बंद है. इसे सरकार जल्द शुरू करे. किसानों को प्रशिक्षण की जरूरत है.

घर तक पहुंचा रहे हैं आम

किसानों के आम की मार्केटिंग कई संस्थाएं कर रही हैं. 25 किलो का ऑर्डर देने पर संस्था घर तक आम पहुंचा दे रही है. आम की कीमत 50 रुपये प्रति किलो रखी गयी है. इसके लिए खूंटी के यश (7978644401), तोरपा के रवि (9006382593), पालकोट के रेवंत (7033890377), घाघरा के जितेंद्र (8969417899), गुमला के राहुल (7091132365) व खूंटी के सुखेंदू (9334242896) से संपर्क किया जा सकता है. इसके अतिरिक्त डेवलपमेंट कनेक्ट नाम की संस्था के नंबर (8292385665) पर व्हाट्सएप से ऑर्डर किया जा सकता है.

  • राज्य के किसानों ने की रिकॉर्ड पैदावार

  • अब आम की बिक्री के लिए किसानों को नहीं मिल रहा है बाजार

  • राज्य में 30 हजार एकड़ में पैदा हो रहा आम, 32 हजार परिवार इससे जुड़े

झारखंडी मनीषी डॉ रामदयाल मुंडा ने झारखंड में वृहद पैमाने पर आम की बागवानी का सपना देखा था. 2010 में मेघनाथ के साथ मिल कर उन्होंने योजना तैयार की थी. उनका मानना था कि झारखंड की पहचान केवल खान-खनिज में नहीं, उद्यान में भी हो सकती है. यदि अगले 10 सालों तक इस पर ठोस काम किया जाये, तो 10 हजार टन आम का उत्पादन हो सकता है. मेघनाथ कहते हैं अब किसानों के लिए बाजार की भी व्यवस्था करनी होगी.

Posted by : Sameer Oraon

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