रांची : राज्य सरकार ने बॉडर रोड ऑर्गेनाइजेशन (बीआरओ) को झारखंड से 8000 मजदूरों को लेह व लद्दाख ले जाने की अनुमति नहीं दी है. श्रम नियोजन विभाग ने मजदूरों के लिए श्रम कानून से संबंधित कुछ बिंदुओं पर बीआरओ से उनका पक्ष जानना चाहा है. बीआरओ ने अब तक श्रम नियोजन द्वारा उठाये गये बिंदुओं पर कोई मंतव्य नहीं दिया है. इसलिए सरकार के स्तर पर मजदूरों को भेजने के मुद्दे पर अंतिम निर्णय नहीं हो सका है.
बीआरओ ने राज्य सरकार से अनुरोध किया था कि सड़क निर्माण के काम के लिए मजदूरों को ले जाने दे. बीआरओ ने मजदूरों को विशेष ट्रेन से ले जाने का प्रस्ताव दिया था. इस पर विचार करने के बाद राज्य सरकार की ओर से बीआरओ को पत्र भेज कर सूचित किया गया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने श्रमिक ट्रेनों से मजदूरों को उनके गृह राज्य में पहुंचाने का आदेश दिया है. उन्हें गृह राज्य से ले जाने का आदेश नहीं दिया है.
राज्य सरकार के पत्र मिलने के बाद बीआरओ ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से संपर्क किया और मजदूरों को ले जाने की अनुमति हासिल कर ली. इसके बाद बीआरओ ने राज्य सरकार को यह सूचना दी कि गृह मंत्रालय ने मजदूरों को ले जाने की अनुमति दे दी है. इसलिए झारखंड सरकार अब इस मामले में अपनी सहमति दी. तब राज्य सरकार ने मामले में श्रम नियोजन विभाग की राय मांगी. विभाग ने बीआरओ को पत्र लिख कर मजदूरों के सिलसिले में सवाल उठाये.
बीआरओ द्वारा इन सवालों का जवाब नहीं दिये जाने की वजह से अब तक मजदूरों को भेजने की अनुमति नहीं मिली है.श्रम नियोजन विभाग ने बीआरओ से पूछे सवाल- झारखंड के आदिवासी बहुल इलाके से मजदूरों के चयन का क्या कारण है- क्या मजदूरों को बीआरओ द्वारा नियुक्त किया माना जायेगा या किसी ठेकेदार माध्यम से बीआरओ को उपलब्ध कराया गया- इन मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी कितनी दी जायेगी-
एक महीने में इनसे कितने दिन काम लिया जायेगा- हर दिन कितने घंटे काम करना होगा- इस अवधि में मजदूरों को इपीएफ का लाभ मिलेगा या नहीं- क्या मजदूरों को लेह-लद्दाख जैसे दुर्गम स्थल में सड़क निर्माण के दौरान कुछ अतिरिक्त मजदूरी का भुगतान किया जायेगा- मजदूरों के रहने-खाने और इनको रखे जाने के स्थान से काम की जगह पर पहुंचाने की क्या व्यवस्था होगी
posted by pritish sahay