रांची : झारखंड सरकार के वित्त वर्ष 2024-25 के बजट पर लाये गये धन्यवाद प्रस्ताव पर बुधवार को चर्चा हुई. चर्चा के बाद सरकार का पक्ष रखते हुए वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने कहा कि राज्य सरकार पहले से ही यहां के लोगों को रोटी और कपड़ा दे रही है. अब सरकार इनको मकान भी देगी. अबुआ आवास योजना के तहत अगले पांच साल में 20 लाख लोगों को आवास दिया जायेगा. राज्य सरकार ने इस बार गरीब जनता को ध्यान में रख कर बजट तैयार किया है. पहले 24 लाख लोगों को सर्वजन पेंशन दी जा रही थी. आयु सीमा 50 साल करने से यह सुविधा अब 48 लाख लोगों को मिलेगी. देश के अन्य लोग भी इस योजना को सराहना कर रहे हैं. मुख्यमंत्री ग्राम गाड़ी योजना का लाभ गांव के लोगों को मिलेगा. 80 स्कूलों के सीबीएसइ की तर्ज पर चलाने से पढ़ाई में गुणवत्ता आयेगी. भाजपा-आजसू के बहिष्कार के बीच श्री उरांव ने कहा कि चार वर्षों से हमने वित्तीय व्यवस्था सुधारने की कोशिश की है. बजट की जटिलताओं को चुनौती के रूप में लिया है. प्रति व्यक्ति आय अगले वित्तीय वर्ष तक 1.60 लाख रुपये हो जायेगी.
वित्तीय व्यवस्था दुरुस्त किया है सरकार ने
धन्यवाद प्रस्ताव के समर्थन में सुदीव्य कुमार सोनू ने कहा कि सरकार ने वित्तीय व्यवस्था को दुरुस्त किया है. 1600 करोड़ रुपये का सिंकिंग फंड बनाया है. पीआरएस की रिपोर्ट में झारखंड की अर्थव्यवस्था को दूसरे राज्यों से बेहतर बताया गया है. झारखंड पूरे देश का इकलौता राज्य है, जिसने बजट घाटा कम किया है. पिछली सरकार ने वैसे लोगों को भी झारखंड आंदोलनकारी बना दिया, जिनको कोई मतलब नहीं था. हमारी सरकार ने इस परिपाटी को तोड़ा है. राजेश कच्छप ने कहा कि झारखंड में संपदा की कमी नहीं है. इससे जीडीपी बढ़ायी जा सकती है. भारत सरकार ने जानबूझ पीएम आवास की राशि रोक दी है. वर्तमान सरकार ने अपने पैसे से अबुआ आवास देने की घोषणा कर लंबी लकीर खींच दी है.
रोजगार मिलेगा, तभी बढ़ेगी प्रति व्यक्ति आय
विनोद कुमार सिंह ने कहा कि राज्य में अपेक्षाकृत प्रति व्यक्ति आय नहीं बढ़ रही है. इसके लिए रोजगार बढ़ाना होगा. सरकार शिक्षा को बढ़ावा देना चाह रही है. लेकिन बालिका को संस्थान दूर होने के कारण पढ़ाई में दिक्कत हो रही है. ग्रेजुएशन करनेवाली लड़कियों को परिवहन भत्ता देना चाहिए. अबुआ आवास में जो परेशानी हो रही है, उसे दूर करना चाहिए. समीर मोहंती ने कहा कि केंद्र की सरकार अहंकारी हो गयी है. उसका अहंकार भी समाप्त होगा. एक नया आंदोलन होगा, जो व्यवस्था बदलेगा.
जीएसटी के कारण झारखंड को नुकसान हुआ
शिल्पी नेहा तिर्की ने कहा कि राज्य सरकार का वर्तमान बजट प्रैक्टिकल है. रेवेन्यू बढ़ाना वाला है. इससे फिसिकल डेफिसिट बढ़ा है. वेतन मद में सरकार करीब 15 फीसदी खर्च कर रही है. कई राज्यों में यह खर्च 50 फीसदी तक है. राज्य में नियुक्ति होने से यह खर्च बढ़ेगा. इसके लिए सरकार को प्रयास करना चाहिए. झारखंड एक उत्पादक राज्य है. यहां उत्पाद का वैल्यू एडिशन कम हो रहा है. जीएसटी जैसी नीतियों के कारण राज्य को नुकसान हो रहा है.
अबुआ नहीं, बबुआ आवास रख दें नाम
केदार हाजरा ने कहा कि ऋण माफी का लाभ वैसे किसानों को नहीं हुआ, जो पैसा नहीं दे पा रहे थे. इसका लाभ वैसे किसानों को मिला, जो पैसा लौटा रहे थे. सरकार ने बजट में मोटे अनाज की चर्चा तक नहीं की है. नीरा यादव ने कहा कि बजट में छोटे व्यापारियों के लिए कुछ नहीं है. माइका उद्योग की स्थिति खराब है. अबुआ आवास में गड़बड़ी हो रही है. यह सरकारी बाबुओं के हिसाब से चल रहा है. इसका नाम बबुआ आवास कर देना चाहिए. राज्य में 62 फीसदी पद रिक्त है. इस पर सरकार का ध्यान नहीं है. अमित यादव ने कहा सरकार ने बजट लोक लुभावन भी नहीं बनाया है. किसान सूखे के कारण भूखे मर रहे हैं. उस पर कोई बात नहीं कही गयी है.
बिना पैसे के नहीं हो रहा है काम : सुदेश महतो
सुदेश महतो ने धन्यवाद प्रस्ताव का विरोध करते हुए कहा कि इस राज्य में बिना पैसे के कोई काम नहीं हो रहा है. बजट में कोई विजन नहीं है. आम लोगों को केंद्रित कर नहीं बनाया गया है. यह आंकड़ों का खेल है. सरकार ने पिछले चार साल जिस मुद्दे पर काम किया, उस पर बजट में चर्चा ही नहीं है. भूमि, उत्पाद, परिवहन, निबंधन में राजस्व भी कम है. पिछली सरकार ने नियुक्ति वर्ष घोषित किया था. राज्य में 2.48 लाख पद सृजित है. इसमें 31 फीसदी पद खाली है. 40 लाख नौकरी देने का वादा करनेवाली सरकार चार साल में आठ हजार के आसपास ही नियुक्ति कर पायी है.
आपकी सरकार में बिना पैसे का काम होता था क्या? : प्रदीप
चर्चा के दौरान प्रदीप यादव ने सुदेश महतो पर चुटकी लेते हुए कहा कि आप कह रहे हैं कि वर्तमान सरकार में बिना पैसे के काम नहीं होता है. आपकी सरकार में बिना पैसे के काम होता था क्या? कई लोग पैसे के लिए मुंह फुला कर बैठ जाते थे. वर्तमान सरकार गरीबों की है. यह गरीबों के लिए काम कर रही है. इससे गरीब, किसानों को उम्मीद जगी है. आज भी हम प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि नहीं कर पा रहे हैं. आज भी हम इस मामले में 28वें स्थान पर है.