रांची : झारखंड के ग्रामीण इलाकों के गरीबों को अतिक्रमित सरकारी जमीन से हटाने के बजाय उनके नाम से ही जमीन की बंदोबस्ती कर दी जायेगी. गरीबों के नाम से तीन डिसमिल जमीन बंदोबस्त कर उसमें प्रधानमंत्री आवास बनाये जायेंगे. फिलहाल इसका लाभ प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए चयनित लाभुकों को मिलेगा. राज्य में 2070 ऐसे मामले पाये गये हैं, जिसमें लोग सरकारी भूमि पर रह रहे हैं.
इनमें से 903 लोगों का चयन प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के लिए हो चुका है. सरकार ने इन्हें वहां से हटा कर दूसरी जगह आवास देने का निर्णय लिया था, लेकिन ये लोग वहां से हटने को तैयार नहीं हुए. इसके बाद ग्रामीण विकास विभाग ने निर्णय लिया कि इन लाभुकों के नाम उसी जमीन को बंदोबस्त कर दिया जाये, जहां वे रह रहे हैं. ऐसे में तीन डिसमिल जमीन उनके नाम बंदोबस्त करने संंबंधी प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री ने भी सहमति जतायी है. अब इसे कैबिनेट की बैठक में रखा जायेगा, ताकि इसे स्वीकृत कराया जा सके. इसके बाद इस जमीन पर ही प्रधानमंत्री आवास योजना से उनके नाम अावास आवंटित कर दिये जायेंगे.
पहले वर्ष 1985 के पूर्व से सरकारी जमीन पर रह रहे भूमिहीनों के नाम बंदोबस्त करने का प्रावधान था, लेकिन इस मामले में 1985 के बाद से रह रहे गरीबों को भी जमीन उपलब्ध कराने की दिशा में कार्रवाई हो रही है. इस तरह के मामले में यह पाया गया कि सरकारी जमीन पर रह रहे गरीबों को वहां से हटाना मुश्किल हो रहा है और सरकारी सुविधाएं भी देना संभव नहीं हो रहा है.
ऐसे में विभाग ने प्रस्ताव तैयार किया है कि उक्त जमीन ही उनके नाम बंदोबस्त कर वहीं आवास बना दिया जाये. ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री आलमगीर आलम ने भी इस पर सहमति जतायी थी. अब राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री की हैसियत से मुख्यमंत्री ने भी सहमति जतायी है.
Posted By : Sameer Oraon