झारखंड: सरकारी स्कूलों में मातृभाषा में शुरू हुई पढ़ाई तो बढ़ गयी उपस्थिति, शैक्षणिक स्तर में भी हुआ सुधार
झारखंड के स्कूलों में मातृभाषा में पढ़ाई शुरू करने से पूर्व विद्यालयों का सर्वे कराया गया. पढ़ाई शुरू करने के पूर्व यह देखा गया कि जिस भाषा में पढ़ाई शुरू की जायेगी, उस भाषा को बोलनेवाले कम से कम 70 फीसदी बच्चे स्कूल में नामांकित हों.
रांची, सुनील कुमार झा: झारखंड के सरकारी स्कूलों में प्राथमिक कक्षा की पढ़ाई मातृभाषा (जनजातीय भाषा) में शुरू किये जाने का असर बच्चों की उपस्थिति से लेकर उनके नामांकन तक पर पड़ा है. राज्य के छह जिलों के 250 स्कूलों में पायलट प्रोजेक्ट के तहत पांच जनजातीय भाषाओं (मातृभाषा) में वर्ष 2023 में पढ़ाई शुरू की गयी थी. इनमें से 72 फीसदी स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति बढ़ गयी है. इन विद्यालयों में कक्षा तीन तक के बच्चों को उनकी मातृभाषा में पढ़ाई की सुविधा दी गयी. इसके लिए किताब भी अलग से तैयार की गयी. झारखंड शिक्षा परियोजना स्कूलों में मातृभाषा में पढ़ाई के प्रभाव का अध्ययन कराया गया है. रिपोर्ट के अनुसार, स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति के साथ-साथ नामांकन में भी सुधार हुआ है. विद्यालयों में नामांकन के साथ-साथ छात्रों की तुलना में छात्राओं का नामांकन भी बढ़ा है. विद्यालयों में बच्चों की उपस्थिति में भी सुधार हुआ है. रिपोर्ट में इस बात की भी जानकारी दी गयी है कि कैसे इन विद्यालयों के वैसे बच्चे जो स्कूल छोड़ चुके थे, फिर से स्कूल आने लगे हैं. अभिभावकों में भी बच्चों को स्कूल भेजने को लेकर जागरूकता बढ़ी है. मातृभाषा में पढ़ाई शुरू होने से अभिभावक भी बच्चों की पढ़ाई पर पहले की तुलना में अधिक ध्यान देने लगे हैं.
इन भाषाओं में शुरू हुई है पढ़ाई
झारखंड के स्कूलों में मातृभाषा में पढ़ाई शुरू करने से पूर्व विद्यालयों का सर्वे कराया गया. पढ़ाई शुरू करने के पूर्व यह देखा गया कि जिस भाषा में पढ़ाई शुरू की जायेगी, उस भाषा को बोलनेवाले कम से कम 70 फीसदी बच्चे स्कूल में नामांकित हों. मातृभाषा में पढ़ाई को लेकर पहले संबंधित विद्यालय के अभिभावक से सहमति ली गयी. सर्वे के बाद राज्य के छह जिलों में पांच जनजातीय भाषाओं में पढ़ाई शुरू की गयी. इन विद्यालयों में मुंडारी, कुड़ुख, हो, खड़िया व संताली भाषा में पढ़ाई शुरू की गयी.
इस वर्ष से और स्कूलों में शुरू होगी पढ़ाई
जल्द ही राज्य के और स्कूलों में मातृभाषा के रूप में इन पांच जनजातीय भाषाओं में पढ़ाई शुरू की जायेगी. पायलट प्रोजेक्ट के तहत जिन स्कूलों में पढ़ाई शुरू की गयी थी, उसकी रिपोर्ट के आधार पर आगे स्कूलों का चयन किया जायेगा. शैक्षणिक सत्र 2024-25 में लगभग एक हजार और स्कूलों में पढ़ाई शुरू करने की तैयारी है.
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नयी शिक्षा नीति में भी मातृभाषा की पढ़ाई पर जोर
नयी शिक्षा नीति में भी प्राथमिक कक्षाओं की पढ़ाई मातृभाषा में कराने पर जोर दिया गया है. राज्य में अब इस आधार पर राज्य में इन पांच भाषाओं के अलावा अन्य जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाई शुरू की जायेगी.
जिला में शुरू की गयी पढ़ाई
जिला@भाषा@स्कूल
खूंटी@मुंडारी@60
लोहरदगा@कुड़ुख@50
प.सिंहभूम@ हो@49
सिमडेगा@ खड़िया@20
गुमला@ खड़िया@16
साहिबगंज@संताली@55
रिपोर्ट की मुख्य बातें
नामांकन में बढ़ोतरी
लड़की@4.5 फीसदी
लड़का@3.8 फीसदी
कुल@4.15 फीसदी
जिन स्कूलों में बढ़ी उपस्थिति
स्कूल जहां नामांकन में वृद्धि हुई @ 72 फीसदी
पढ़ाने में स्थानीय भाषा का प्रयोग करने वाले शिक्षक@82 फीसदी
समुदाय का सहयोग
बच्चों को नियमित रूप से स्कूल भेजने वाले अभिभावक@82 फीसदी
बच्चों का फिर से नामांकन करानेवाले अभिभावक@68 फीसदी
बच्चों ने बताया
स्कूल में शैक्षणिक माहौल बेहतर हुआ@ 61 फीसदी
क्लास रूम के बाहर शिक्षक मातृभाषा का प्रयोग करते हैं@ 64 फीसदी