रांची (वरीय संवाददाता). झारखंड हाइकोर्ट ने पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर की स्थिति को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई की. जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय व जस्टिस दीपक रोशन की खंडपीठ ने राज्य सरकार का पक्ष सुनने के बाद जवाब पर असंतुष्टि जतायी. मौखिक रूप से कहा कि राज्य सरकार के जवाब से स्पष्ट होता है कि अस्पतालों में सांप काटने से बचाव करने की दवा की कमी है. मानसून आनेवाला है. मानसून के दाैरान ही राज्य में सांप काटने की काफी घटनाएं होती है. सांप काटने से लोगों की इलाज के अभाव में माैत हो जाती है. इसलिए राज्य में सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी), सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (सीएचसी) सहित सभी अस्पतालों में सांप काटने से बचाव वाली (एंटी वेनम) दवा उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें. खंडपीठ ने राज्य सरकार से कहा कि राज्य के दूर-दराज के अस्पतालों में ऐसी व्यवस्था की जाये, ताकि लोग मजबूरी में दूर नहीं जायें, बल्कि स्वेच्छा से वहां अपना इलाज कराने के लिए जा सकें. इसके लिए खंडपीठ ने राज्य सरकार को दीर्घकालिक योजना प्रस्तुत करने का निर्देश दिया. इससे पूर्व मामले के एमीकस क्यूरी अधिवक्ता सुमित गाड़ोदिया ने पैरवी की. उल्लेखनीय है कि पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर से संबंधित प्रभात खबर में प्रकाशित खबर को झारखंड हाइकोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए उसे जनहित याचिका में तब्दील कर दिया था.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है