वरीय संवाददाता, रांची़ झारखंड हाइकोर्ट ने साहिबगंज में पाइपलाइन जलापूर्ति योजना के शीघ्र चालू करने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. एक्टिंग चीफ जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद व जस्टिस अरुण कुमार राय की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान साहिबगंज में पाइपलाइन से जलापूर्ति के लिए राज्य सरकार की ओर से और 210 दिन मांगे जाने पर नाराजगी जतायी. सरकार के समय मांगे जाने के आग्रह को खारिज करते हुए खंडपीठ ने राज्य सरकार को दिन-रात काम पूरा कर लोगों तक पानी पहुंचाने का निर्देश दिया. माैखिक रूप से कहा कि 16 वर्षों से पानी के नाम पर आश्वासन ही मिला है. पानी लोगों की मौलिक जरूरत होती है. झारखंड के ग्रामीण इलाकों में, साहिबगंज में लोगों को पानी को लेकर जूझना पड़ेगा. ऐसे में झारखंड के विकास की बात कैसे सोची जा सकती है. माैखिक रूप से कहा कि वर्ष 2008 से साहिबगंज में जलापूर्ति का मामला चल रहा है. 16 वर्ष हो गये, लेकिन साहिबगंज के लोगों को अब तक पानी नहीं मिल पाया है. वर्ष 2016 में इससे संबंध एक जनहित याचिका राज्य सरकार के आश्वासन के बाद निष्पादित कर दी गयी थी. इसके बाद भी वहां के लोगों को पानी नहीं मिल पाया. दो साल बाद प्रार्थी ने फिर से दूसरी जनहित याचिका दाखिल की. इसमें भी सरकार की ओर से जून 2024 के शपथ पत्र में साहिबगंज के छह वार्डों में 10 दिन के अंदर जलापूर्ति करने की बात कही गयी, लेकिन उसे भी पूरा नहीं किया गया. खंडपीठ ने कहा कि लगता है कि राज्य सरकार का शपथ पत्र सिर्फ आईवाश है. सरकार शपथ पत्र में कही गयी बातें बार-बार बदलती हैं तथा गलत दावा करती है. खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई के दाैरान भी पेयजल व स्वच्छता विभाग के सचिव को सशरीर उपस्थित रहने का निर्देश दिया. उन्हें स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया. पूछा कि जलापूर्ति योजना में विलंब के लिए जिम्मेवार अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई क्या की गयी है. खंडपीठ ने उनसे यह भी पूछा कि वहां के लोगों को कब तक पानी उपलब्ध करा दिया जायेगा. मामले की अगली सुनवाई के लिए खंडपीठ ने 10 सितंबर की तिथि निर्धारित की. मामले की सुनवाई के दाैरान पेयजल व स्वच्छता विभाग के सचिव सशरीर उपस्थित थे. इससे पूर्व प्रार्थी की ओर से वरीय अधिवक्ता राजीव शर्मा व अधिवक्ता ओम प्रकाश ने पैरवी की. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी सिद्धेश्वर मंडल ने जनहित याचिका दायर कर पाइपलाइन जलापूर्ति योजना को शीघ्र चालू करने की मांग की है.
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