केंद्र से मनरेगा में मजदूरी निर्धारण का अधिकार मांगेगी सरकार : हेमंत

किसानों और बेरोजगारों के लिए मनरेगा मील का पत्थर है. झारखंड सरकार केंद्र से मनरेगा में नीतिगत अधिकार मांगेगी, ताकि योजनाओं का चयन और मजदूरी का निर्धारण राज्य स्तर पर हो सके. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शुक्रवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ हुई वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के दौरान यह बात कही.

By Prabhat Khabar News Desk | May 22, 2020 11:33 PM

रांची : किसानों और बेरोजगारों के लिए मनरेगा मील का पत्थर है. झारखंड सरकार केंद्र से मनरेगा में नीतिगत अधिकार मांगेगी, ताकि योजनाओं का चयन और मजदूरी का निर्धारण राज्य स्तर पर हो सके. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शुक्रवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ हुई वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के दौरान यह बात कही.

श्री सोरेन ने कहा कि वर्तमान समय देश और राज्य के लिए चुनौतीपूर्ण है. हमारे समक्ष आर्थिक और रोजगार का संकट है. इस स्थिति से निबटने के लिए सामूहिक लड़ाई की जरूरत है. बतौर विपक्ष यूपीए विभिन्न राज्यों की स्थिति से केंद्र सरकार को अवगत कराये. झारखंड ने अपनी स्थिति से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अवगत कराया है. वर्तमान स्थिति से निबटने में यूपीए द्वारा लागू मनरेगा किसानों, बेरोजगारों और जरूरतमंदों के लिए मील का पत्थर साबित होगा. राज्य सरकार दिव्यांगों और बुजुर्गों को उनकी क्षमता के अनुरूप रोजगार उपलब्ध करा कर उन्हें आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाना चाहती है. झारखंड में रिकवरी रेट 90 प्रतिशत से ज्यादा, मृत्यु दर बेहद कम मुख्यमंत्री ने वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष को झारखंड में कोरोना की स्थिति की जानकारी दी. उन्होंने कहा कि राज्य में संक्रमण से पूर्व और बाद में सामाजिक सुरक्षा व बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के काम को प्राथमिकता दी गयी. यह सुखद है कि झारखंड में संक्रमित लोगों का रिकवरी दर 90 प्रतिशत से ऊपर है, मृत्यु दर बेहद कम है. अपने सीमित संसाधनों से राज्य सरकार लोगों की सेवा कर रही है. आनेवाले दिनों में हमें स्वास्थ्य सेवा में आत्मनिर्भर होना होगा.

सरकार को इस बात का गर्व है कि संकट की इस घड़ी में सारी व्यवस्था सरकारी व्यवस्था पर निर्भर है. सरकार अपनी जिम्मेदारी भी निभा रही है. इससे जनता का विश्वास बढ़ा है.जीएसटी का मुआवजा समय पर नहीं मिलतामुख्यमंत्री ने कहा कि जीएसटी का मुआवजा समय पर नहीं मिलता है. इससे राज्य को परेशानी होती है. फिलहाल आर्थिक संकट सभी राज्यों में है. इस स्थिति से निबटने के लिए राज्यों में भी धन संग्रह की व्यवस्था होनी चाहिए. केंद्र द्वारा घोषित आर्थिक पैकेज से गरीबों व बेरोजगारों को क्या मिलेगा, यह सर्वविदित है. मजदूरों, किसानों और बेरोजगारों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है.देश में लॉकडाउन फेलराहुल गांधी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान कहा कि हिंदुस्तान में लॉकडाउन फेल हो चुका है.

देश में संक्रमण लगातार फैल रहा है. देश के करोड़ों लोगों को आर्थिक नुकसान हुआ है. गरीबों, किसानों, मजदूरों और लघु उद्योगों की मदद नहीं की गयी, तो देश को आर्थिक संकट झेलना होगा. सरकार ने पैकेज के माध्यम से कर्ज देने की बात की है. देश की जनता जो टैक्स नहीं देती है, सरकार उन्हें सात से आठ हजार रुपये की मदद करे. हमें विपक्ष में रहते हुए भारत को आर्थिक संकट से उबारने के लिए सरकार पर दबाव बनाना होगा. ये नेता मौजूद थे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में सोनिया गांधी के साथ हुई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा, पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम, गुलाम नबी आजाद, श्री शरद पवार, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, सीताराम येचुरी, शरद यादव, उमर अब्दुल्ला, तेजस्वी यादव, पीके गुजारिकटी व यूपीए घटक दलों के प्रतिनिधि शामिल थे.

केंद्र की ट्रेन की नयी व्यवस्था का असर ठीक नहीं, महाराष्ट्र में 10 घंटे से फंसे हैं मजदूर

रांची : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने केंद्र सरकार द्वारा ट्रेन के लिए खुद से की गयी व्यवस्था पर कहा है कि इसका असर ठीक नहीं है. उन्होंने कहा कि पहले ही दिन नयी व्यवस्था का असर ठीक नहीं दिख रहा है. उन्हें जानकारी मिली है कि महाराष्ट्र से झारखंड के करीब 1500 प्रवासी श्रमिकों को लेकर चली ट्रेन महाराष्ट्र के ही किसी स्टेशन पर 10 घंटे से खड़ी है. लोग भूखे और प्यास से बेहाल हैं. यही हाल रहा, तो वे शनिवार को ही केंद्र सरकार को पत्र लिख कर नयी व्यवस्था को बदलने की मांग करेंगे. सीएम ने कहा कि अब तक झारखंड में करीब 100 ट्रेनें आ गयी हैं. अगले कुछ दिनों में करीब 100 ट्रेनों के आने के लिए राज्य सरकार ने एनओसी जारी कर दिया है. इस बीच केंद्र सरकार ने नया दिशा-निर्देश जारी किया है. इसके तहत अब रेलवे ही ट्रेनों का प्रबंध कर रहा है. श्रमिकों को भेजने वाले राज्य ट्रेनों की व्यवस्था कर रहे हैं. जिस राज्य में श्रमिक लौट रहे हैं, उनसे केवल कंसेंट लिया जा रहा है. लेकिन, इस व्यवस्था का पहले ही दिन अनुभव अच्छा नहीं दिख रहा है. झारखंड सरकार प्रवासी श्रमिकों की सम्मानजनक वापसी के लिए पहले दिन से प्रयासरत है. इसमें अड़चन सहन नहीं किया जायेगा.

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