Loading election data...

झारखंड : किसानों के लिए बड़ी खुशखबरी, सरकार देगी तोहफा, दो लाख रुपये तक के लोन लेने वालों को मिलेगी राहत

कृषि विभाग नन परफॉर्मिंग एकाउंट (एनपीए) खाताधारी को भी राहत देने के मुद्दे पर विचार कर रहा है. एनपीए खाताधारी को राहत देने के लिए बैंकों से बात की जा रही है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 19, 2024 4:21 AM
an image

झारखंड सरकार अब दो लाख रुपये तक ऋण लेनेवाले करीब चार लाख किसानों को राहत देने की तैयारी कर रही है. कृषि ऋण माफ करने का प्रस्ताव तैयार है. वर्ष 2024-25 के बजट में इसका प्रस्ताव लाने की तैयारी है. अभी राज्य सरकार 50 हजार रुपये तक का कृषि ऋण माफ कर रही है. 50 हजार रुपये तक कृषि ऋण के लिए आवेदन करनेवालों की संख्या काफी कम हो गयी है. इस कारण सरकार अब इसका दायरा बढ़ाने की तैयारी में है.नये वित्तीय वर्ष में विधानसभा का चुनाव होना है. इससे पहले लोकसभा के चुनाव हो जायेंगे. इस कारण सरकार अधिक से अधिक किसानों को राहत देने की तैयारी कर रही है. इस योजना पर करीब 500 करोड़ रुपये खर्च आने का अनुमान राज्य सरकार को है. प्रारंभिक आंकड़ों के मुताबिक, राज्य में 51 हजार से एक लाख रुपये तक के ऋण लेनेवाले करीब तीन लाख ऋणधारी किसान हैं. एक से दो लाख रुपये के बीच के करीब एक लाख कृषि ऋणधारी हैं.

एनपीए खाताधारी को भी राहत देने की तैयारी

कृषि विभाग नन परफॉर्मिंग एकाउंट (एनपीए) खाताधारी को भी राहत देने के मुद्दे पर विचार कर रहा है. एनपीए खाताधारी को राहत देने के लिए बैंकों से बात की जा रही है. बैंकों से आग्रह किया जा रहा है कि जिनका खाता एनपीए हो गया है. उसको स्टैंडर्ड किया जाये. स्टैंडर्ड करने के लिए जो राशि खर्च होगी, उसमें सरकार भी मदद कर सकती है. ऐसा करने से 50 हजार रुपये से कम ऋण लेनेवाले एनपीए खाताधारी को भी लाभ मिलेगा. अभी राज्य सरकार ने एनपीए खाताधारी का ऋण माफ नहीं किया है. वैसे ऋणी का ही ऋण माफ हुआ है, जिनका स्टैंडर्ड (संचालित) था.

4.72 लाख किसानों का हो चुका है ऋण माफ

मुख्यमंत्री ऋण माफी योजना के तहत अब तक राज्य सरकार 4,72 117 लाख किसानों का 50 हजार रुपये तक का ऋण माफ कर चुकी है. इस मद में राज्य सरकार अब तक करीब 1894.76 रुपये बांट चुकी है. ऋण माफी योजना 2021 से चल रही है.

Also Read : हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी में राजभवन की भूमिका पर बोले राज्यपाल- आरोप लगाने वाले जानते हैं कि आरोप गलत हैं

Exit mobile version