वरीय संवादददाता, रांची़ झारखंड हाइकोर्ट ने खनन के बाद पत्थर बोल्डर की प्रकृति बदल कर स्टोन चिप्स बनाने पर भी अलग से रॉयल्टी लेने की राज्य सरकार की अधिसूचना को चुनाैती देनेवाली याचिकाओं पर फैसला सुनाया. एक्टिंग चीफ जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद व जस्टिस अरुण कुमार राय की खंडपीठ ने राज्य सरकार की अधिसूचना को चुनौती देनेवाली ग्रैंड माइनिंग सहित लगभग 117 से अधिक याचिकाओं को खारिज कर दिया. खंडपीठ ने प्रार्थियों को राहत देने से इनकार करते हुए राज्य सरकार की अधिसूचना को सही ठहराया. खंडपीठ ने राज्य सरकार के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा कि माइनिंग के बाद निकले खनिज की प्रकृति बदलने के बाद उसकी अलग-अलग रॉयल्टी चार्ज करने का अधिकार सरकार को है. राज्य सरकार ने स्टोन बोल्डर की रॉयल्टी 125 प्रति सीएफटी तथा स्टोन चिप्स के लिए रॉयल्टी 250 रुपये प्रति सीएफटी की दर से रॉयल्टी निर्धारित की थी. पूर्व में 12 अगस्त 2024 को मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद खंडपीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. मामले की सुनवाई के दाैरान राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता सचिन कुमार ने पैरवी की थी. उन्होंने बताया था कि स्टोन बोल्डर माइनर मिनरल है. माइनर मिनरल में राज्य सरकार का अधिकार असीमित है. राज्य सरकार को एमएमडीआर एक्ट के तहत रूल बनाने का अधिकार है. राज्य सरकार खनन के बाद निकले खनिज को सब क्लासीफाइड कर अलग-अलग रॉयल्टी की दर निर्धारित कर सकती है. वहीं प्रार्थी की ओर से बताया गया था कि खनन के बाद जो खनिज निकलता है, सरकार उस पर रॉयल्टी वसूलती है. खनन से निकले खनिज का स्वरूप बदलने के बाद उसकी अलग रॉयल्टी नहीं ली जा सकती है. सरकार की जो अधिसूचना है, वह गलत है. उसे निरस्त करने का आग्रह किया गया था. उल्लेखनीय है कि प्रार्थियों की ओर से अलग-अलग याचिका दायर कर चुनाैती दी गयी थी.
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