राज्यपाल ने अल्पसंख्यक कॉलेजों के कार्यकलापों की जांच का दिया आदेश

राज्यपाल सह कुलाधिपति सीपी राधाकृष्णन ने रांची विवि अंतर्गत अल्पसंख्यक कॉलेजों के कार्यकलापों की जांच के आदेश दिये हैं. जांच कराने का जिम्मा राज्य के उच्च व तकनीकी शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव को दिया गया है.

By Prabhat Khabar News Desk | May 7, 2024 12:49 AM

संजीव सिंह(रांची).राज्यपाल सह कुलाधिपति सीपी राधाकृष्णन ने रांची विवि अंतर्गत अल्पसंख्यक कॉलेजों के कार्यकलापों की जांच के आदेश दिये हैं. जांच कराने का जिम्मा राज्य के उच्च व तकनीकी शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव को दिया गया है. राज्यपाल के निर्देश पर ओएसडी (जे) मुकुलेश चंद्र नारायण ने जांच करा कर सुधारात्मक कार्रवाई करने संबंधी पत्र राज्य के उच्च व तकनीकी शिक्षा सचिव को भेजा है. राज्यपाल के निर्देश पर जिन कॉलेजों की जांच करानी है, उनमें रांची विवि अंतर्गत छह अल्पसंख्यक कॉलेज हैं. इनमें संत जेवियर्स कॉलेज रांची, गोस्सनर कॉलेज रांची, निर्मला कॉलेज रांची, योगदा सत्संग कॉलेज धुर्वा, मौलाना आजाद कॉलेज रांची तथा परमवीर अल्बर्ट एक्का कॉलेज चैनपुर शामिल हैं.

राज्यपाल को मिली है शिकायत :

राज्यपाल श्री राधाकृष्णन को छह माह पूर्व ही शिकायत मिली थी कि विवि अंतर्गत अल्पसंख्यक कॉलेजों का संचालन परिनियमानुसार गठित शासी निकाय द्वारा होना है. इसके शासी निकाय का गठन और इससे संबंधित प्रक्रिया पारदर्शी नहीं हैं. इसके अलावा कॉलेज में शिक्षक और शिक्षकेतर कर्मचारियों के दो प्रकार के पद राज्य सरकार द्वारा सृजित किये जाते हैं. वित्त सहित पद तथा वित्त रहित पद हैं. सभी कॉलेज वित्त सहित पद के लिए घाटानुदान के बदले पूर्व वेतन की मांग पत्र राज्य सरकार को भेजते हैं. राज्य सरकार द्वारा इसे घाटानुदान मानकर पूर्ण वेतन की राशि का भुगतान विवि के माध्यम से किया जा रहा है, जो नियम विरुद्ध है. राज्यपाल को बताया गया कि झारखंड राज्य विवि अधिनियम की धारा-57 के विरुद्ध कई कॉलेजों में विवि के प्रतिनिधि की उपस्थिति के बिना ही नियुक्ति प्रक्रिया पूरी का जा रही है. इसमें झारखंड राज्य द्वारा निर्धारित पूर्ण रोस्टर का अनुपालन भी नहीं किया जा रहा है. ये नियुक्तियां जांच का विषय हैं. अल्पसंख्यक कॉलेजों में अंगीभूत कॉलेजों की तुलना में कई गुणा अधिक शुल्क भी विद्यार्थियों से लिये जा रहे हैं. विद्यार्थियों से लिये जा रहे शुल्क से प्राप्त आय व व्यय का ब्योरा भी सार्वजनिक होनी चाहिए.

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