20.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

झारखंड सरकार की TAC को रद्द कर सकते हैं राज्यपाल रमेश बैस, जानें क्या है वजह

राज्यपाल ने इस मामले में अटॉर्नी जनरल सहित सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता आत्माराम एनएस नाडकर्णी और झारखंड हाइकोर्ट के अधिवक्ता शुभाशीष रसिक सोरेन से सलाह ली है. अगर ऐसा हुआ तो 2021 के बाद की बैठकों में लिये गये सभी निर्णय औचित्यहीन हो जायेंगे.

राज्यपाल रमेश बैस झारखंड सरकार की ट्राइबल एडवाइजरी काउंसिल (टीएसी) को रद्द कर सकते हैं. ऐसा वह पांचवीं अनुसूची के प्रावधानों के तहत कर सकते हैं और झारखंड सरकार द्वारा बनायी गयी टीएसी नियमावली को असंवैधानिक करार दे सकते हैं. टीएसी को रद्द करने के लिए राजभवन द्वारा कानूनी पहलुओं का अध्ययन करा लिया गया है.

राज्यपाल ने इस मामले में अटॉर्नी जनरल सहित सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता आत्माराम एनएस नाडकर्णी और झारखंड हाइकोर्ट के अधिवक्ता शुभाशीष रसिक सोरेन से सलाह ली है. राज्यपाल यदि टीएसी को रद्द करते हैं, तो 2021 के बाद की बैठकों में लिये गये सभी निर्णय औचित्यहीन हो जायेंगे.

राज्यपाल द्वारा सुझाये गये निर्देशों का पालन करने या नहीं करने, नयी नियमावली तथा इसके आधार पर बैठक कर निर्णय लेने के संबंध में मुख्य सचिव को रिमाइंडर भेज कर जानकारी मांगी गयी थी. पर मुख्य सचिव द्वारा इस संबंध में अब तक कोई जवाब नहीं दिया गया, जिसे राज्यपाल ने गंभीरता से लिया है.

अटॉर्नी जनरल ने दी कानूनी राय :

राज्यपाल की बिना सहमति के 2021 में टीएसी गठन की अधिसूचना जारी करने पर राजभवन ने अटॉर्नी जनरल से कानूनी राय ली है. अपनी राय में उन्होंने कहा है कि पांचवीं अनुसूची के तहत बनाया गया 2021 का नियम एक ऐसा मामला है, जो झारखंड में अनुसूचित जनजातियों के हितों को प्रभावित करेगा.

संविधान की पांचवीं अनुसूची के अनुसार टीएसी को राज्य में अनुसूचित जनजातियों के कल्याण और उन्नति से संबंधित मामलों पर राज्यपाल से सलाह लेना आवश्यक है. जनजाति सलाहकार परिषद के गठन और कामकाज करनेवाले इस तरह के नियम राज्य की अनुसूचित जनजातियों के हितों को प्रभावित करेंगे. राज्यपाल के संदर्भ के बिना 2021 के नियमों की अधिसूचना संविधान के अनुच्छेद 166 (3) के तहत उल्लंघन है.

राज्यपाल का पद एक बहुत ही महत्वपूर्ण संवैधानिक पद है. टीएसी के मामले में राज्यपाल से परामर्श की कमी को हल्के में नहीं लिया जा सकता है. टीएसी गठन में राज्य सरकार द्वारा कार्यकारी व्यवसाय 2021 के नियमों का पूरी तरह से उल्लंघन किया गया है.

राज्यपाल ने क्या दिया था सुझाव :

अनुसूचित जनजातियों के हित में परिषद में कम से कम दो सदस्यों (अनुसूचित जनजाति समुदाय का प्रतिनिधित्व करनेवाले ) को नियुक्त/नामित करने की शक्ति राज्यपाल के पास होनी चाहिए. जब भी राज्यपाल द्वारा दिये गये कोई सुझाव, सलाह या विचार दिये जायें, उस पर पूरी गंभीरता से टीएसी द्वारा विचार किया जाना चाहिए.

जनजातीय सलाहकार परिषद के प्रत्येक निर्णय को राज्यपाल के पास उनके विचार और अनुमोदन के लिए भेजा जाना चाहिए और यदि राज्यपाल का उस पर कोई प्रस्ताव या विचार है या कोई संशोधन है, तो टीएसी उसे न सिर्फ गंभीरता से ले, बल्कि उसे स्वीकार भी करे. परिषद की स्थापना में भारतीय संविधान निर्माताओं का इरादा राज्य के अनुसूचित क्षेत्रों में जनजातियों के कल्याण के लिये राज्यपाल से सलाह लेना था. अत: राज्य में जनजातियों के कल्याण और उन्नति को प्राथमिकता दी जानी चाहिए. साथ ही अनुसूचित क्षेत्रों में बेहतर प्रशासन भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए.

रिपोर्ट- संजीव सिंह, रांची

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें