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राज्यपाल रमेश बैस बोले- सरकार गिराने की मंशा होती तो कब का ‘लिफाफे’ पर कार्रवाई कर देता

गर्वनर एक संवैधानिक पद है और मैंने वही किया, जो संविधान के दायरे में रहा. चुनाव आयोग से आये पत्र पर निर्णय लेना या नहीं लेना, यह राज्यपाल का अधिकार है.

राज्यपाल रमेश बैस ने कहा है कि झारखंड सरकार को गिराने या अस्थिर करने की उनकी कोई भावना या मंशा नहीं रही. अगर ऐसा होता, तो वे चुनाव आयोग से आये पत्र पर कार्रवाई कर देते. बुधवार को राजभवन में पत्रकारों से बातचीत के दौरान श्री बैस ने कहा : मैंने सोचा कि झारखंड के विकास के लिए स्थिर सरकार की जरूरत है. अब तक यहां अस्थिर सरकार रही, राष्ट्रपति शासन लगते रहे. इससे राज्य का अपेक्षित विकास नहीं हो सका. मैं विकास चाहता हूं. आरोप-प्रत्यारोप तो लगते रहते हैं, मैं इससे नहीं डरता.

गर्वनर एक संवैधानिक पद है और मैंने वही किया, जो संविधान के दायरे में रहा. चुनाव आयोग से आये पत्र पर निर्णय लेना या नहीं लेना, यह राज्यपाल का अधिकार है. किसी के बारे में कोई शिकायत आती है, तो राज्यपाल के अधिकार क्षेत्र के तहत इसकी जांच करायी जा सकती है.

श्री बैस ने कहा :

मैंने झारखंड में राज्यपाल के पद पर योगदान करने के बाद से ही कहता रहा हूं कि सरकार से कोई मेरा कोई टकराव नहीं है. टकराव वहां होती है, जहां इगो प्रॉब्लम हो. मुझ में कोई इगो नहीं है. कोई अपने छांव से भी डरे, तो हम क्या करें. सरकार को हर मोड़ पर सहयोग करने की बात कही, लेकिन जिस गति से विकास होना चाहिए था, वह नहीं हो सका. यहां की व्यवस्था को ठीक करना चाहा, लॉ एंड ऑर्डर ठीक कराने का प्रयास किया, लेकिन हो नहीं पाया.

मुझे इसका मलाल रहा. जहां दुकानदार अपनी दुकान में सुरक्षित नहीं हैं, घर में रहनेवाला व्यक्ति सुरक्षित नहीं हैं, उस राज्य में लॉ एंड ऑर्डर ठीक नहीं रहने से इनवेस्टर कैसे आयेंगे? इनवेस्टर आना भी चाहते हैं, वे व्यवसाय करना भी चाहते हैं, लेकिन यहां ऐसी-ऐसी घटनाएं होती हैं कि प्रदेश के बारे में खराब छवि बन रही है.

विजन सही हो, तो बीमारू प्रदेश से बाहर निकल सकता है झारखंड :

श्री बैस ने कहा : झारखंड में डेढ़ साल से अधिक रहा. हेमंत सोरेन अच्छे लीडर हैं, लेकिन काम क्यों नहीं कर पा रहे हैं, यह समझ से परे है. यहां के मंत्रियों व अधिकारियों का विजन सही हो, तो झारखंड भी बीमारू प्रदेश से बाहर निकल कर धनी राज्य बन सकता है. राज्यपाल ने कहा : मैंने हेमंत सोरेन से कहा कि इस उम्र में सीएम बने हैं, ऐसा लैंडमार्क काम कीजिए कि प्रदेश की जनता आपका नाम लेती रहे.

पर मैंने देखा कि कई योजनाएं स्वीकृत हैं, लेकिन चालू ही नहीं हो पायी हैं. बजट का 45 प्रतिशत भी खर्च नहीं हुआ. वर्क कल्चर नहीं है. यह स्थिति ठीक नहीं. यहां सही ढंग से काम हो, तो रेवेन्यू भी जेनेरट होगा. राज्य का विकास होगा और यह देश का सबसे विकसित राज्य होगा. उन्होंने कहा : मैंने हेमंत सोरेन को राज्य के विकास के लिए कई सुझाव दिये हैं. मैं चाहता हूं कि वे इस पर अमल करें और राज्य का विकास करें.

पत्र आने के बाद हेमंत सोरेन ने काफी काम किया : गवर्नर ने कहा कि चुनाव आयोग से पत्र आने के बाद एक अच्छी बात रही कि हेमंत सोरेन सरकार ने जो काम पहले नहीं किया, चिट्ठी आने के बाद किया. अब चुनाव आयोग के पत्र पर जो भी निर्णय लेना होगा, वह नये गर्वनर को लेना है. गेंद अब उनके पाले में है.

क्यों लौटायी उत्पाद नीति :

राज्यपाल ने कहा : जहां तक एक्साइज बिल का मामला है, तो सरकार ने इसे लागू किया. यह सही रहता तो, राज्य का रेवेन्यू बढ़ता, लेकिन ऐसा हो नहीं सका. शराब दुकान में बेचेंगे, लेकिन गड़बड़ी होगी, तो दोषी सेल्समैन होंगे. ऐसा होता है क्या? अधिकारी क्यों नहीं जिम्मेवार होंगे? अधिकारी पर एक्शन नहीं होगा, यह ठीक नहीं है. हमने सरकार से यही कहा है कि जिम्मेवारी तय हो और जिम्मेदार पर एक्शन होना चाहिए. जहां तक बिल पास करने और लौटाने की बात है, तो इसके लिए कोई समय सीमा नहीं है. यह राज्यपाल के अधिकार पर है.

टीएसी संविधान के अनुरूप नहीं :

राज्यपाल श्री बैस ने कहा कि ट्राइबल एडवाइजरी काउंसिल (टीएसी) का गठन संविधान के अनुरूप नहीं है. मैं जब आया, तो पता चला कि टीएसी में राज्यपाल के दो प्रतिनिधि होने चाहिए. मैंने जब फाइल मंगायी, तो सिर्फ लिस्ट भेज दी गयी. लिस्ट में देखा कि 20 नाम मुख्यमंत्री द्वारा तय किये गये थे, जबकि इसमें राज्यपाल के दो प्रतिनिधि का नाम होना चाहिए था. मैंने सीएम को पत्र लिख कर जानकारी दी, साथ ही फाइल की मांग की, लेकिन डेढ़ साल हो गये, फाइल नहीं भेजी गयी.

सिर्फ लिस्ट दे दी गयी. फिफ्थ शिड्यूल के तहत राज्यपाल को टीएसी में कई अधिकार हैं. आश्चर्य होता है कि आदिवासियों के विकास के लिए दो वर्ष में 200 करोड़ रुपये से अधिक की राशि झारखंड को मिली, लेकिन खर्च नहीं हो सकी. नतीजा हुआ कि 2022-23 की राशि बिना उपयोगिता प्रमाण पत्र के केंद्र ने रोक दी है.

वीसी की नियुक्ति सही, सभी अच्छे कार्य कर रहे हैं : राज्यपाल ने कहा कि वीसी नियुक्ति में किसी प्रकार की गड़बड़ी नहीं हुई है. सभी वीसी अच्छा कार्य कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि सर्च कमेटी में सीटिंग जज अपरेश कुमार सिंह थे, लेकिन कमेटी में सीटिंग जज का प्रावधान नहीं है. मैंने मुख्य न्यायाधीश से बात की. उन्होंने बताया कि न्यायमूर्ति अपरेश सिंह स्वयं इस्तीफा दे रहे हैं.

जब उन्होंने इस्तीफा दिया, तो सर्च कमेटी को भंग कर दिया और सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त जज की अध्यक्षता में कमेटी बनायी. यूजीसी के एक सदस्य को भी रखा. कहीं से कोई गड़बड़ी नहीं हुई है. जो भी पैनल बने, कमेटी के अध्यक्ष की सहमति से ही बने. उच्च शिक्षा पर काफी ध्यान दिया. वर्षों से रुकी शिक्षकों की नियुक्ति व प्रोन्नति प्रक्रिया शुरू करायी. जेपीएससी में सदस्यों की नियुक्ति करायी.

झारखंड के लोग काफी सीधे-साधे :

राज्यपाल ने कहा, झारखंंड के लोग काफी सीधे-साधे हैं. पूरा प्रदेश काफी अच्छा है. पर प्रदेश की व्यवस्था ठीक नहीं. यह स्थिति बदलनी चाहिए

1932 के खतियान से प्रदेश का नुकसान हो सकता है

राज्यपाल श्री बैस ने कहा कि राज्य में स्थानीयता के लिए 1932 का खतियान से प्रदेश का नुकसान हो सकता है. जब एक बार विधानसभा और एक बार हाइकोर्ट ने इसे अस्वीकार कर दिया, तो दोबारा इसे विधानसभा से पारित करा कर भेजा गया. इसलिए मैं भी सोचने को मजबूर हो गया. मैंने सोचा कि इसे लागू किया जाता है, तो झारखंड के कई जिले, जो 32 के बाद यहां से जुड़े, उनकी स्थिति क्या होगी? इसलिए मैंने इसे कई सुझावों के साथ विधेयक सरकार को लौटा दिया. अभी यह मामला स्थगित है.

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