रांची. जनजातीय समुदाय की परंपरा और संस्कृति का दस्तावेजीकरण होगा. गांव-गांव की पौराणिक व सांस्कृतिक धरोहरों को संरक्षित किया जायेगा. 26 जनवरी को झारखंड से इसकी शुरुआत होगी. केंद्र सरकार इसमें मदद करेगी. 15 अगस्त को छत्तीसगढ़ में इसका लेखा-जोखा रखा जायेगा. ये बातें केंद्रीय पंचायती राज मंत्रालय के सचिव विवेक भारद्वाज ने कही. वे राजधानी रांची में ‘राष्ट्रीय पेसा दिवस समारोह’ के मौके पर आयोजित कार्यशाला को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे.
यह पूर्वजों को सच्ची श्रद्धांजलि होगी, भावी पीढ़ी जानेगी गौरवशाली परंपरा
श्री भारद्वाज ने कहा : ग्रामसभाएं झारखंड के गांव-गांव की परंपराओं-संस्कृति को सूचीबद्ध करें. यह हमारे पूर्वजों की प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी. साथ ही आनेवाली पीढ़ी को भी हमारी गौरवशाली परंपरा की जानकारी मिलेगी. आदिवासी समूहों की सांस्कृतिक विरासत को सहेजने की जरूरत है. यह हमलोगों की जिम्मेदारी है कि आनेवाले छह महीने में इस दिशा में काम हो. समारोह के दौरान ‘पेसा कानून’ को सशक्त बनाने, उसके क्रियान्वयन, नियमावली और आदिवासी अधिकारों पर विशेष चर्चा हुई. अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायतों को अधिकार देने पर भी विस्तार से चर्चा की गयी. केंद्रीय सचिव श्री भारद्वाज ने कहा कि झारखंड में बढ़िया काम हो रहा है. नये-नये आयाम जुट रहे हैं. देश के 10 राज्यों में पेसा कानून लागू है. जल, जंगल और जमीन ही पेसा है. इस पर अधिकार पेसा ही देता है. इस कानून को बने 28 साल हो गये, पर इसका पूरी तरह से क्रियान्वयन नहीं हुआ है. इसे पूरी तरह लागू कराना हमारी जवाबदेही है.
पेसा कानून के प्रावधानों को आत्मसात करना जरूरी : नागर
केंद्रीय पंचायती राज मंत्रालय के संयुक्त सचिव आलोक प्रेम नागर ने कहा कि पेसा कानून के प्रावधानों को आत्मसात करना जरूरी है. पंचायतों को केवल विषय ट्रांसफर कर देने से नहीं होगा. उन्हें अधिकार देने की जरूरत है. बहुत लोगों को अधिकार ही पता नहीं है. राज्य पंचायती राज विभाग के सचिव विनय चौबे ने कहा कि गांधी जी ने ग्राम स्वराज की कल्पना की थी. इसे पेसा कानून साकार करता है. 1992 में संविधान के 73वें संशोधन के माध्यम से पंचायती राज व्यवस्था को और सशक्त किया गया. यह कानून 1996 में लागू हुआ. यह कानून नैसर्गिक अधिकार देता है. राज्य के 13 अधिसूचित जिले और तीन आंशिक जिलों में यह लागू है. शिड्यूल एरिया की 2000 पंचायतें और 16 हजार ग्रामसभाओं को अधिकार देता है. समारोह में विभाग की निदेशक निशा उरांव ने अतिथियों का स्वागत किया.
पेसा कानून पर लोकगीत बनाने वाला झारखंड पहला राज्य
झारखंड में सरकार ने पेसा कानून पर लोकगीत तैयार कराया है. लोक कलाकार मुकुंद नायक की आवाज में लोगों को जागरूक करने और अधिकारों को बताने के उद्देश्य से यह गीत तैयार किया गया है. समारोह में कलाकारों ने इसकी प्रस्तुति भी दी. केंद्रीय सचिव ने इसकी सराहना की. उन्होंने कहा कि झारखंड को अन्य राज्यों से ऐसे प्रयास अलग करता है. कार्यशाला में पेसा अधिनियम की विशेषताओं पर केंद्रित एक लघु फिल्म भी प्रस्तुत की गयी.
पेसा कानून पर जनता की भावना के अनुरूप ही सरकार काम करेगी : हेमंत
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि पेसा कानून पर सरकार जनता की भावना के अनुरूप काम करेगी. प्रोजेक्ट भवन में पत्रकारों के सवाल के जवाब में उन्होंने उक्त बातें कही. उन्होंने कहा कि हमारी प्राथमिकता है कि सरकार की आवाज राज्य के अंतिम पायदान में खड़े व्यक्ति तक पहुंचें और राज्य के विकास में उनको हिस्सा बनायें.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है