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Jharkhand Foundation Day 2022: झारखंड में आदिवासियों के खिलाफ अपराध के मामलों में आयी कमी

Jharkhand Foundation Day 2022: आदिवासी बहुल झारखंड राज्य 15 नवंबर को अपना स्थापना दिवस मनायेगा. इस दौरान आदिवासियों के खिलाफ अपराध या हिंसा के मामलों में कमी दर्ज की गयी है. स्पेशल रिपोर्ट में जानें झारखंड के साथ अस्तित्व में आये छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड की तुलना में हमारे प्रदेश की क्या है स्थिति...

By Mithilesh Jha | October 25, 2022 9:13 PM

Jharkhand Foundation Day 2022: झारखंड में अनुसूचित जनजातियों के खिलाफ अपराध के मामलों में कमी आयी है. पछले तीन साल के आंकड़ों पर गौर करेंगे, तो वर्ष 2020 की तुलना में 2021 में इस मामले में बड़ी गिरावट दर्ज की गयी है. प्रदेश में आदिवासियों की आबादी करीब 86,50,000 है. राज्य में आदिवासियों पर हमले या उनके खिलाफ अपराध की दर 2.9 फीसदी है. चार्जशीट की दर 63.7 फीसदी है. अनुसूचित जनजाति के लोगों पर होने वाले हमलों के मामले में भले झारखंड की स्थिति अच्छी हो, लेकिन पुलिस की कार्रवाई कई राज्यों की तुलना में ढीली है.

63.7 फीसदी मामलों में दायर हुई चार्जशीट

झारखंड में आदिवासियों के खिलाफ जो अपराध होते हैं, उसमें चार्जशीट की दर सिर्फ 63.7 फीसदी है. मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, गुजरात और बिहार जैसे राज्यों में यह क्रमश: 99.8 फीसदी, 90 फीसदी, 98.5 फीसदी, 89.9 फीसदी, 96.5 फीसदी और 84.6 फीसदी है.

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वर्ष 2021 में सिर्फ 250 मामले दर्ज किये गये

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट में वर्ष 2019, वर्ष 2020 और वर्ष 2021 के आंकड़े उपलब्ध हैं. इसमें बताया गया है कि वर्ष 2019 में झारखंड में आदिवासियों पर अत्याचार या उनके खिलाफ अपराध के 342 मामले सामने आये थे. वर्ष 2020 में यह आंकड़ा बढ़कर 347 हो गया, जबकि वर्ष 2021 में इसमें तीव्र गिरावट दर्ज की गयी और ऐसे केस की संख्या सिर्फ 250 रह गयी.

छत्तीसगढ़ में लगातार बढ़ रहा अपराध का ग्राफ

दूसरी तरफ, झारखंड के पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ में यह आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है. वर्ष 2019 में यहां अनुसूचित जनजाति के खिलाफ अपराध के 427 मामले दर्ज किये गये थे, जबकि वर्ष 2020 में 502 और वर्ष 2021 में यह बढ़कर 506 हो गया. छत्तीसगढ़ में आदिवासियों की आबादी 78,20,000 है. यहां आदिवासियों के खिलाफ अपराध की दर झारखंड से दोगुना से भी ज्यादा है. यहां यह दर 6.5 फीसदी है. हालांकि, चार्जशीट के मामले में छत्तीसगढ़ की स्थिति झारखंड से बेहतर है. छत्तीसगढ़ में 98.5 फीसदी मामलों में पुलिस चार्जशीट दायर कर देती है. झारखंड में यह दर सिर्फ 63.7 फीसदी है.

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उत्तराखंड में आदिवासियों की स्थिति बेहतर

झारखंड के साथ अस्तित्व में आये उत्तराखंड की स्थिति झारखंड और छत्तीसगढ़ दोनों से बेहतर है. यहां 2.9 लाख आदिवासी हैं. इस राज्य में वर्ष 2019 में उनके खिलाफ अपराध या हिंसा के 8 मामले दर्ज किये गये थे, जबकि वर्ष 2020 में 13 और वर्ष 2021 में 6 मामले दर्ज किये गये. इस पहाड़ी राज्य में पुलिस 80 फीसदी मामलों में चार्जशीट दायर कर देती है, जो झारखंड से बहुत ज्यादा है.

देश में बढ़ा आदिवासियों पर हमला

एनसीआरबी के रिकॉर्ड बताते हैं कि देश में वर्ष 2019 में राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों में आदिवासियों के खिलाफ अपराध एवं हिंसा के कुल 7,570 मामले दर्ज किये गये थे, जबकि वर्ष 2020 में 8,272 और वर्ष 2021 में 8,802 मामले दर्ज किये गये. एनसीआरबी के मुताबिक, 28 राज्यों एवं 8 केंद्रशासित प्रदेशों में 10.42 करोड़ आदिवासी हैं. इनमें से 8.4 फीसदी को किसी न किसी रूप में हिंसा झेलनी पड़ी. देश में आदिवासियों के खिलाफ हुए अपराध में से 81.4 फीसदी मामलों में पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की.

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