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रांची शहर, सिल्ली, धनबाद, जयनगर और रामगढ़ में भू-जल की स्थिति चिंताजनक

झारखंड की पांच यूनिट बेरमो (बोकारो), बलियापुर (धनबाद), गोलमुरी (जुगसलाई), जमशेदपुर शहरी व चितरपुर (रामगढ़) में सबसे अधिक भू-जल का दोहन हो रहा है. रांची शहरी, सिल्ली समेत तोपचांची, धनबाद शहरी, जयनगर, रामगढ़ भूजल की स्थिति क्रिटिकल (चिंताजनक) है.

रांची, सतीश कुमार : झारखंड में तेजी से हो रहे शहरीकरण और औद्योगिकीकरण का असर भूजल स्तर पर भी पड़ा है. पिछले सात सालों से राज्य में लगातार भूजल का दोहन बढ़ रहा है. इस दौरान भूजल की निकासी 3.65 प्रतिशत तक बढ़ गयी है. वर्ष 2017 में जहां भूजल की निकासी 27.73 प्रतिशत थी, जो 2023 में बढ़ कर 31.38 प्रतिशत हो गयी है. सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड की जनवरी 2024 में जारी किये गये सर्वे रिपोर्ट में यह मामला प्रकाश में आया है. बोर्ड की ओर से राज्य को 263 यूनिट में बांट कर भूजल का अध्ययन किया गया है.

  • सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड की रिपोर्ट, पिछले सात वर्ष में भूजल की निकासी 3.65 प्रतिशत बढ़ी

इन इलाकों में होता है पानी का सबसे ज्यादा दोहन

इसमें पाया गया है कि झारखंड की पांच यूनिट बेरमो (बोकारो), बलियापुर (धनबाद), गोलमुरी (जुगसलाई), जमशेदपुर शहरी व चितरपुर (रामगढ़) में सबसे अधिक भू-जल का दोहन हो रहा है. वहीं रांची शहरी, सिल्ली समेत तोपचांची, धनबाद शहरी, जयनगर, रामगढ़ भूजल की स्थिति क्रिटिकल (चिंताजनक) है. इसके अलावा 11 यूनिट कैरो, सरवन, सोनारअइठाडीह, गोविंदपुर , धनबाद, भवनाथपुर, गिरिडीह, दारू, कोडरमा, खेलारी व ओरमांझी में भूजल की स्थिति सेमी क्रिटिकल पायी गयी है. बचे हुए 241 यूनिट को सेफ जोन में रखा गया है.

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धनबाद व कोडरमा में सबसे अधिक हो रहा भूजल का दोहन

राज्य में धनबाद व कोडरमा जिला में सबसे अधिक भूजल का दोहन हो रहा है. धनबाद में जहां भूजल की निकासी 74.34 प्रतिशत है. वहीं कोडरमा में भूजल की निकासी 66.44 प्रतिशत है. रांची में भूजल की निकासी 46.94 प्रतिशत है. जबकि पूर्वी सिंहभूम में सबसे कम सिर्फ 10.45 प्रतिशत भूजल का दोहन हो रहा है. राज्य में वर्ष 2023 में 1.8 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीक्यूएम) भूजल का दोहन हुआ है, जो 2022 की तुलना में 0.02 बिलियन क्यूबिक मीटर अधिक है.

वर्षवार भूजल की निकासी

वर्ष भूजल की निकासी (बिलियन क्यूबिक मीटर में) प्रतिशत

2017 1.58 27.73

2020 1.64 29.13

2022 1.78 31.35

2023 1.80 31.38

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राज्य में औसतन 1444.8 मिमी होती है बारिश

झारखंड में प्राकृतिक रूप से पेयजल की उपलब्धता सतही स्रोत के रूप में ज्यादा नहीं है. राज्य में मात्र छह से सात नदियों में ही 12 माह पानी की उपलब्धता रहती है. शेष नदियां बरसाती हैं. भूगर्भीय संरचना पथरीली होने के कारण इनमें पानी की उपलब्धता मैदानी क्षेत्रों की तुलना में कम होती है. राज्य में प्रत्येक वर्ष औसतन 1444.8 मिमी बारिश होती है.

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