रांची. हाइकोर्ट के आदेश की अवहेलना की जा रही है और अतिथि शिक्षकों को काम करने से रोका जा रहा है. जबकि, हाइकोर्ट का निर्देश है कि जब तक सुनवाई पूरी नहीं हो जाती है, तब अतिथि शिक्षकों को नहीं हटाया जा सकता है. इसके बावजूद रांची विश्वविद्यालय द्वारा उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग झारखंड सरकार के संकल्प का हवाला देकर काम करने से रोका जा रहा है. उक्त बातें रविवार को अतिथि शिक्षकों ने गंगा आश्रम में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कही.
झारखंड अतिथि शिक्षक संघ के अध्यक्ष अरविंद प्रसाद ने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से हमारा अनुरोध है कि अतिथि शिक्षकों के साथ न्याय किया जाये और हमारे मामले में उचित कार्रवाई की जाये. अतिथि शिक्षक संघ ने राज्य सरकार से मांग की है कि तत्काल संकल्प संख्या 1609 में आवश्यक संशोधन करते हुए अतिथि शिक्षकों को आवश्यकता आधारित सहायक प्राध्यापक के रूप में समायोजित किया जाये. साथ ही उनके सभी बकाया मानदेय का भी तत्काल भुगतान किया जाये. इस अवसर पर प्रेम शंकर तिवारी, शिवकुमार, आलोक उत्पल, राजू हजाम, डॉ विद्याधर मेहता, निहारिका महतो आदि मौजूद थे.विवि और कॉलेजों में नहीं करने दिया जा रहा काम
शिक्षकों ने कहा कि विश्वविद्यालय के पदाधिकारी और विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष एवं कॉलेज के प्राचार्य को मौखिक रूप से निर्देश दिया गया है कि अतिथि शिक्षकों से काम नहीं लिया जाये एवं इन्हें उपस्थिति बनाने से रोका जाये. इस कारण अतिथि शिक्षकों की उपस्थिति का रजिस्टर हटा दिया गया है. वहीं, कुछ कॉलेजों में उपस्थिति रजिस्टर और बायोमीट्रिक मशीन भी हटा दिये गये हैं. वहीं, दूसरी ओर इन अतिथि शिक्षकों को 18 महीने से मानदेय का भुगतान नहीं किया गया है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति दयनीय हो गयी है.
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