Guru Gobind Singh Jayanti 2022: गुरु गोबिंद सिंह जैसे महान पुरुष विश्व इतिहास में हैं दुर्लभ

Guru Gobind Singh Jayanti 2022: हर साल पौष महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती मनाई जाती है. इस शुभ अवसर पर गुरुद्वारों में कीर्तन और लंगर आयोजित किए जाते हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | December 29, 2022 10:02 AM

Guru Gobind Singh Jayanti 2022: गुरु गोबिंद सिंह जी अद्वितीय और अद्भुत बलिदानी थे. देश की सेवा में पिता, चारों पुत्र, माता जी और स्वयं का बलिदान दिया, जिसका उदाहरण इतिहास के किसी पन्ने में ढूंढने से भी नहीं मिलता. अन्याय और अत्याचार से जूझने में सर्व वंश का बलिदान कर दिया और कभी भी हार नहीं मानी. सजे हुए दौगान में जब बच्चों की माता जी ने पूछा कि बच्चे कहां हैं, तो उनका जवाब था- इन भुवन के सीस पर बार दिए सुत चार/ चार मूए तो किया हुआ, जीवत कई हजार.

गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपने जीवन का उद्देश्य व्यक्त करते हुए चित्र नाटक में कहा : धर्म चलावन संत उबारन, दुष्ट समन को मूल उपारन/ यही काज धरा हम जनमं, समझू लेहु साधु राम मनमं. अर्थात : धर्म की रक्षा, संत पुरुषों का उद्धार और दुष्टों का सफाया करने के लिए ही मैंने जन्म लिया है. इसलिए गुरुजी के लिए यह एक सामान्य युद्ध नहीं था अपितु यह धर्मयुद्ध था. अकाल पुरुष परमात्मा की वंदना करते हुए गुरु गोबिंद सिंह जी सिर्फ ये वरदान मांगते हैं कि शुभ कार्यों के संपादन में वह कभी भी पीछे नहीं हटे और धर्म-युद्ध में शत्रुओं का नाश कर निश्चय ही विजय प्राप्त करें.

गुरु गोबिंद सिंह जी ने कहा : देह शिवा वर मोहि इहै शुभ करमन ते कबहूं न टरौं/न डरों अरि सो जब जाइ लरों, निशचै कर अपनी जीत करों. अर्थात : गुरु गोबिंद सिंह जी बाहरी कर्मकांडों की वर्जना करते थे और लोगों को अंधविश्वास की बेड़ियों से मुक्ति पाने की सलाह देते थे. उनके अनुसार ईश्वर से सच्चा प्रेम का नाता जोड़ना चाहिए और साथ ही उसकी संतान मानवमात्र से ऊंच-नीच का भाव त्याग कर प्यार, सहृदयता, विनम्रता एवं आपसी भाईचारे का भाव होना चाहिए.

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गुरु गोबिंद सिंह केवल सिख पंथ के गुरु नहीं, वरन विश्व के महान लोकनायक और युग प्रवर्तक महापुरुष थे. उनका व्यक्तित्व असाधारण और बहुमुखी था लोकप्रिय धार्मिक गुरु भी थे और प्रगतिशील समाज सुधारक भी, चतुर राजनीतिज्ञ भी थे और सच्चे देश भक्त भी. कुशल सेनानी, निर्भीक योद्धा, दार्शनिक विद्वान और ओजस्वी महाकवि भी. राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक और साहित्यिक क्षेत्रों में से किसी एक-दो को चुनकर प्रयत्न करने वाले महापुरुष तो समय-समय पर अनेक हुए हैं, लेकिन उक्त सभी क्षेत्रों में समान रूप से अद्वितीय प्रगति प्राप्त करने वाले श्री गुरु गोबिंद सिंह जैसे महान पुरुष विश्व इतिहास में दुर्लभ हैं.

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