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H3N2 Virus: झारखंड में बढ़ा नये वायरस का खतरा, हर दिन मिल रहे 1 से 2 मरीज, डॉक्टरों ने सावधानी बरतने की अपील

राज्य में नये वायरस एच3एन2 इंफ्लूएंजा का खतरा भी बढ़ गया है. स्वास्थ्य विशेषज्ञ और लैब संचालकों की मानें, तो पिछले कुछ दिनों से इस वायरस से पीड़ित मरीज बढ़े हैं. हर दिन एक या दो मरीजों के सैंपल में एच3एन2 इंफ्लूएंजा की पुष्टि हो रही है.

H3N2 Influenza Virus: कोरोना वायरस से अभी पूरी तरह पीछा भी नहीं छूटा है कि इसी बीच राज्य में नये वायरस H3N2 इंफ्लूएंजा का खतरा भी बढ़ गया है. स्वास्थ्य विशेषज्ञ और लैब संचालकों की मानें, तो पिछले कुछ दिनों से इस वायरस से पीड़ित मरीज बढ़े हैं. हर दिन एक या दो मरीजों के सैंपल में एच3एन2 इंफ्लूएंजा की पुष्टि हो रही है. हालांकि यह वायरस बच्चों, किशोर और युवाओं के लिए उतना खतरनाक नहीं माना जा रहा है, लेकिन बीमार लोगों और बुजुर्गों के लिए यह घातक हो सकता है. चिंता की बात इसलिए भी बढ़ गयी है, क्योंकि देश में इस वायरस से दो लोगों की मौत हो गयी है. ऐसे में सावधानी और सतर्कता बरतना जरूरी है.

H3N2 इंफ्लूएंजा वायरस का लक्षण मौसमी बीमारी की तरह ही हैं. इसमें बुखार, खांसी, गले में खराश, नाक से पानी गिरना, शरीर में दर्द, सिरदर्द, ठंड लगना और थकान जैसे ही लक्षण दिखायी देते है. रिम्स के फिजिशियन डॉ विद्यापति ने बताया कि एच3एन2 इंफ्लूएंजा वायरस की गंभीरता के बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं है, लेकिन कोमोरबिडिटी (गंभीर बीमारी से पीड़ित लोग) और बुजुर्गों को सावधान रहना चाहिए. मेडिसिन ओपीडी में 200 से 250 मरीज आ रहे हैं, जिसमें मौसमी बीमारी के 25 से 30 फीसदी मरीज है. एच3एन2 इंफ्लूएंजा की पुष्टि जांच के बाद ही की जा सकती है. इसकी चपेट में आनेवालों में खांसी ज्यादा दिनों तक रह रही है. वहीं, बुखार और अन्य समस्याएं कुछ दिन में ठीक हो जा रही हैं. सतर्कता बरतना इसलिए जरूरी है कि वायरस फेफड़ा तक नहीं पहुंचे, क्योंकि इसी के बाद यह घातक हो जाता है.

सदर अस्पताल में भी इंफ्लुएंजा के मरीज बढ़े

सदर अस्पताल में भी इंफ्लुएंजा के संक्रमण से पीड़ित मरीजों की संख्या बढ़ गयी है. विगत 15 दिनों में मौसमी बीमारी से पीड़ित मरीजों की संख्या 200 से ज्यादा पहुंच गयी है. वरिष्ठ चिकित्सक डॉ अजय कुमार झा ने बताया कि संक्रमण से बचाव जरूरी है. बिना सलाह के एंटीबायोटिक का उपयोग नहीं करें. अस्पताल में डॉक्टर से संपर्क कर ही दवा लें. मास्क पहनने से खुद और अपने परिवार को सुरक्षित रख सकते हैं.

रिम्स में मशीन है, पर जांच किट नहीं

रिम्स में वायरस की जांच के लिए आरटीपीसीआर और जीनोम मशीन है, लेकिन वर्तमान समय में एच3एन2 इंफ्लूएंजा की जांच के लिए किट नहीं है. किट नहीं होने से गंभीर मरीजों में इंफ्लूएंजा का लक्षण होते हुए भी इसकी जांच नहीं की जा रही है. अधिकारियों का कहना है कि अभी इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, इसलिए जांच के लिए स्वास्थ्य विभाग से कोई आदेश नहीं मिला है. किट उपलब्ध होने पर जांच की जायेगी. इधर, निजी अस्पताल में जांच का खर्च 1,400 से 4,500 रुपये तक है. 4,500 रुपये में एच3एन2 इंफ्लूएंजा के साथ-साथ स्वाइन फ्लू की जांच भी एक साथ होती है.

डब्ल्यूएचओ और स्वास्थ्य विभाग ने किया है आगाह

डब्ल्यूएचओ और स्वास्थ्य मंत्रालय ने एच3एन2 इंफ्लूएंजा को लेकर आगाह किया है. इससे संबंधित आदेश और गाइडलाइन जारी की गयी है. आइएमए ने भी सभी राज्य के डॉक्टरों को सतर्कता बरतने और अपने स्तर से व्यवस्था रखने का निर्देश दिया है. मंत्रालय द्वारा कहा गया है कि कोरोना संक्रमण अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है, इसलिए कमजोर इम्युनिटी और बीमार लोगों पर विशेष ध्यान रखने की जरूरत है. इससे संक्रमण के फैलाव का खतरा भी है.

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इन गाइडलाइन का पालन आवश्यक

  • कोरोना गाइडलाइन का पालन करें.

  • मास्क का उपयोग करें और उसे पहनकर ही बाहर निकलें

  • सामान्य फ्लू होनेवाले व्यक्ति के संपर्क में आने से बचें

  • सर्दी और खांसी होने पर मास्क का उपयोग करें

  • जितना संभव हो, सामाजिक दूरी का पालन करें.

  • ज्यादा जरूरत होने पर ही भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाये.

  • लगातार हाथों की सफाई करें और सैनेटाइज करते रहें.

  • शरीर में पानी की कमी नहीं होने दें.

  • छींकते या खांसते समय मुंह और नाक को ढंक लेना चाहिए

एच3एन2 इंफ्लूएंजा के लक्षण

  • बुखार

  • खांसी

  • गले में खराश

  • नाक से पानी गिरना

  • शरीर और सिर में दर्द

  • ठंड लगना और थकान

  • सामान्य वायरस में भी आराम करें.

  • पौष्टिक खाना को डायट में शामिल करें

क्या कहते हैं एक्सपर्ट

मत घबरायें, नहीं है जानलेवा

लैब में प्रतिदिन एक से दो सैंपल में एच3एन2 इंफ्लूएंजा की पुष्टि हो रही है. दो महीना में 50 से 55 में इसकी पुष्टि हुई है. हालांकि इससे घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि यह उतना जानलेवा नहीं है. इसमें बीमारी ठीक होने में 12 से 15 दिनों का समय लग रहा है. बुजुर्ग और कोमोरबिडिटी वाले मरीजों का विशेष ख्याल रखना है.

-डॉ पूजा सहाय, माइक्रोबायोलॉजिस्ट

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