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International Nurse Day 2021: नर्स जो थाम रहीं सांसों की डोर, खुद कोरोना से उबरते ही डॉक्टर की अनुपस्थिति में 24 घंटे कर रहीं मरीजों की सेवा

Happy International Nurses Day 2021, History, Theme, Significance, Wishes, Jharkhand News, Coronavirus: आज अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस है. यह दिन प्रत्येक वर्ष 12 मई को मनाया जाता है. इटली की नर्स सह नर्सिंग आंदोलन की नायिका फ्लोरेंस नाइटिंगेल की जयंती पर इस दिवस को मनाया जाता है. वर्ष 2021 का थीम है : 'नर्स : नेतृत्वकर्ता के रूप में एक आवाज, भविष्य की स्वास्थ्य सेवा के लिए एक दृष्टि'. आज महामारी जब कहर बरपा रही है, इस दौर में नर्स की महत्ता काफी बढ़ गयी हैं. अपनी और परिवार की चिंता छोड़ मरीजों की जान बचाने में जुटी हैं. जान जोखिम में डाल ड्यूटी कर रही हैं़ इनका कहना है कि इस समय उनकी जिम्मेदारी और भी बढ़ गयी है. आज की यह स्टोरी इन्हीं नर्सों को समर्पित है, जो बिना छुट्टी मरीजों की सेवा में जुटी हैं.

Happy International Nurses Day 2021, History, Theme, Significance, Wishes, Jharkhand News, Coronavirus: आज अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस है. यह दिन प्रत्येक वर्ष 12 मई को मनाया जाता है. इटली की नर्स सह नर्सिंग आंदोलन की नायिका फ्लोरेंस नाइटिंगेल की जयंती पर इस दिवस को मनाया जाता है. वर्ष 2021 का थीम है : ‘नर्स : नेतृत्वकर्ता के रूप में एक आवाज, भविष्य की स्वास्थ्य सेवा के लिए एक दृष्टि’. आज महामारी जब कहर बरपा रही है, इस दौर में नर्स की महत्ता काफी बढ़ गयी हैं. अपनी और परिवार की चिंता छोड़ मरीजों की जान बचाने में जुटी हैं. जान जोखिम में डाल ड्यूटी कर रही हैं़ इनका कहना है कि इस समय उनकी जिम्मेदारी और भी बढ़ गयी है. आज की यह स्टोरी इन्हीं नर्सों को समर्पित है, जो बिना छुट्टी मरीजों की सेवा में जुटी हैं.

नर्स दिवस का इतिहास 

नर्स दिवस को मनाने का प्रस्ताव पहली बार अमेरिका के स्वास्थ्य, शिक्षा और कल्याण विभाग के अधिकारी डोरोथी सदरलैंड ने दिया था. बाद में अमेरिकी राष्ट्रपति डीडी आइजनहावर ने इसे मनाने की स्वीकृति दी. पहली बार 1953 में नर्स डे मनाया गया. जबकि इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ नर्स ने इस दिवस को पहली बार वर्ष 1965 में मनाया. वहीं पेशे के रूप में नर्सिंग की शुरुआत करने वाली इटली की नर्स फ्लोरेंस नाइटिंगेल के जन्म दिवस 12 मई को अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस के रूप में घोषणा जनवरी 1974 में की गयी.

डॉक्टर की अनुपस्थिति में नर्स 24 घंटे करती हैं मरीजों की सेवा

नर्स को शारीरिक ही नहीं, बल्कि मानसिक और भावनात्मक दृष्टि के माध्यम से रोगी की देखभाल करने के लिए प्रेरित किया जात है. इसके लिए इनका प्रशिक्षित, शिक्षित और अनुभवी होना जरूरी है. पेशेवर डॉक्टर जब दूसरे रोगियों को देखने में व्यस्त होते हैं, तब रोगियों की चौबीस घंटे देखभाल करने की जिम्मेदारी नर्स को दी जाती है. नर्स न केवल रोगियों के मनोबल को बढ़ाती है, बल्कि रोगी को बीमारी से लड़ने और देखरेख के साथ स्वस्थ होने के लिए प्रेरित भी करती है.

सिस्टर आइवी रानी खलखो, रिम्स (बिना छुट्टी कोविड वार्ड में कर रही हूं मरीजों की सेवा)

रिम्स में इन दिनों कोविड-19 वार्ड में ड्यूटी दे रही हूं. इस वार्ड में ड्यूटी अप्रैल से कर रही हूं. इस वार्ड से जुड़ने से पहले ट्रेनिंग और सुरक्षा व सावधानी से जुड़े कई नियमों की जानकारी दी गयी. 2003 से रिम्स के सर्जरी सी टू इंचार्ज का पद संभाला. उस समय से लेकर वर्तमान में नर्सिंग के काम से जुड़ी हुई हूं. कोविड वार्ड में काम करने के दौरान कई बार मन में संकोच होता है, पर मरीजों को ठीक होता देख आत्मसंतुष्टि मिलती है.

परिवार में मेरे दो बच्चे हैं, दोनों को संक्रमण से सुरक्षा देने का दायित्व भी है. इसके लिए पूरी एहतियात बरत रही हूं. कोरोना वार्ड में 53 मरीजों के देखभाल की जिम्मेदारी मेरी है. इसके लिए टीम भी तैयार है, जो 24 घंटे मरीजों की नियमित देखरेख करती है. मरीज के पास जब भी जाना होता है, तब पीपीइ किट पहनकर अंदर जाती हूं. मरीजों की सेवा को ही पेशे के रूप में चुना था, तो ऐसे में इस काम के प्रति ईमानदार हूं. बीमारी से डरने से काम पूरा करना संभव नहीं होगा. कोरोना से डरने की नहीं सावधानी बरतने की जरूरत है. वर्तमान में ड्यूटी समय सुबह नौ से शाम सात बजे तक का है. इन दिनों अवकाश पर रोक है़ छुट्टी की आवश्यकता भी नहीं क्योंकि मेरे लिए मरीजों का ठीक करना पहला दायित्व है.

सिस्टर असीम भेंगरा, रिम्स (खुशनसीब मानती हूं कि संक्रमितों की सेवा का मुझे मौका मिला है)

वर्ष 2003 से रिम्स में बतौर स्टाफ नर्स के पद पर ज्वाॅइन किया. वर्तमान में काम के अनुभव को देखते हुए सर्जरी आइसीयू में सिस्टर इंचार्ज के पद पर कार्यरत हूं. वार्ड इंचार्ज के रूप में अपना पदभार संभालना जिम्मेदारी पूर्ण काम है. इस वक्त कई कोरोना मरीज भी हैं, जिनके बीच ड्यूटी करनी पड़ रही है. ऐसे में डरने ज्यादा सावधान रहने की कोशिश में रहती हूं.

मरीज की देखभाल पहली जिम्मेदारी है. इसे सेवा भाव से पूरा कर रही हूं. ड्यूटी का समय सुबह नौ से शाम पांच बजे तक का है. पर काम खत्म करने में एक-दो घंटे अधिक लग ही जाते है. घर खूंटी में है, ऐसे में प्रतिदिन दो घंटे पूर्व निकलना पड़ता है और रात को लौटने में भी देर होती है. घर लौटने के बाद गर्म पानी से खुद को सैनिटाइज करने के बाद ही किसी के संपर्क में आती हूं. परिवार की सावधानी भी एक जिम्मेदारी है. नर्स के लिए मानव सेवा ही धर्म है. इसे अपनी खुशनसीबी मानती हूं कि मुझे कोरोना मरीज की देखरेख में शामिल किया गया है. कोरोना संक्रमित हताश नजर आते हैं, जबकि उन्हें डरने की जगह, हिम्मत के साथ बीमारी से लड़ने की सीख देती हूं.

सिस्टर वीणा कुमारी, सदर अस्पताल (मरीजों की सेवा से मिलती है खुशी)

10 वर्षों से नर्स के रूप में सदर हॉस्पिटल से जुड़ी हुई हूं. 2007 में पढ़ाई पूरी करने के बाद नर्स के रूप में करियर की शुरुआत की. और 2011 से सदर हॉस्पिटल से जुड़ी हुई हूं. वर्तमान में डिस्पेंसरी व फार्मेसी डिपार्टमेंट की सिस्टर हूं. मरीजों तक समय पर दवाइयां पहुंचाना और उन्हें उपलब्ध कराना मेरी जिम्मेदारी है. करोना काल में मरीजों की सेवा करने का मौका मिला है. यह करियर के लिए चुनौतीपूर्ण काम है, पर इसके लिए ही इस पेशे को अपनाया था. कोरोना के मराजों को दवाइयां देना, उन्हें दवाइयों की जानकारी देना मेरा मूल काम है. नर्स कोरोना से उबरते ही डॉक्टर की अनुपस्थिति में 24 घंटे कर रहीं मरीजों की सेवा तथा Latest News in Hindi से अपडेट के लिए बने रहें।

कोरोना संक्रमित मरीज परेशान नजर आते है, जबकि उन्हें हिम्मत देना भी हमारा दायित्व है. मुझे मेरे पेशे से काेई शिकायत नहीं हैं, इस काम में बिल्कुल डर नहीं लगता. बल्कि मरीजों की सेवा से खुशी मिलती है. बीते वर्ष अक्तूबर माह में कोरोना संक्रमित हो गयी थी. पॉजिटिव होने के बाद खुद को निगेटिव करने से क्रम में कई चिजें सीखने को मिली. खुद के अनुभव से मरीजों को समझाना आसान है. ड्यूटी आवर सुबह नौ से दोपहर तीन बजे तक का है. आपातकाल की परिस्थिति में ड्यूटी इमरजेंसी वार्ड में भी लगती है. ऐसे में काम पूरा करने के बाद घर लौटने में अक्सर रात हो जाता है. परिवार में बच्चे है, उनके बीच पहुंचने से पहले खुद को सैनिटाइज करने की प्रक्रिया आवश्यक है. इसका पूरी तरह पालन करती हूं.

सिस्टर अनिता, रिम्स (सेंसिटिव वार्ड में बच्चों की सुरक्षा सबसे जरूरी)

पीएमसीएच धनबाद से वर्ष 2000 में पढ़ाई और ट्रेनिंग पूरी की. 2003 में रिम्स के लिए आवेदन जारी हुआ था. उस वक्त नर्स के तौर पर बहाली हुई. वर्तमान में रिम्स के स्पेशल केयर न्यू बोर्न यूनिट में इंचार्ज के पद पर सेवा दे रही हूं. टीम में अन्य नर्स हैं, उनकी देखरेख के साथ मरीजों की देखरेख की जिम्मेदारी मेरी है. कोरोना काल में स्पेशल केयर यूनिट को सबसे ज्यादा सेंसिटिव घोषित किया गया है. गर्भवती महिलाओं की देखरेख से लेकर न्यू बोर्न बेबी को संक्रमण से बचाने की जिम्मेदारी है. ऐसे में मरीजों के संपर्क में आने से पहले खुद को सैनिटाइज करना जरूरी है. इन दिनों पीपीइ किट पहन कर घंटों गुजर रहे हैं़ खुद की परेशानी से ज्यादा नवजात बच्चे को सुरक्षित रखना जरूरी है. यह काम किसी भी रूप से बोझिल नहीं है.

सिस्टर राम रेखा राय, रिम्स (खुद कोरोना को हराया अब दूसरों की सेवा)

पीएमसीएच धनबाद से 1991 में पढ़ाई पूरी हुई. इसके बाद डॉ सीसी हाजरा हॉस्पिटल में नर्स के रूप में तीन वर्ष जुड़ी रही. बीएचयू से बीएचसीएम की पढ़ाई पूरी करने के बाद 1994 में केंदुआ में खुद की नर्सिंग होम की शुरुआत की. उसी वर्ष 2003 में रिम्स में एक वर्ष के अस्थायी नियुक्ति पर रिम्स से जुड़ी. देखते-देखते 12 वर्ष इस पेशे में बीत गये. डेंगू सॉल्यूशन वार्ड की इंचार्ज के तौर पर नियुक्ति हुई. कई बीमारियों को करीब से देखा है़ इन सबके बीच सकारात्मक रहना जरूरी है. 30 मार्च 2020 से रिम्स के कोविड वार्ड के इंचार्ज की भूमिका में हूं. अक्तूबर माह में खुद भी संक्रमित हुई. इस वर्ष बेटा भी संक्रमित हो गया. मरीजों के बीच बेटे की सेवा भी होती थी. कोरोना से सावधानी की जरूरत है, लोगों की लापरवाही से ही इस बार भयावह परिस्थिति हुई है.

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