Mother’s Day Special Story: ये हैं कोरोना काल की Super Mom, घर के साथ राज्य व देश की भी कर रहीं सेवा, कोई है पुलिस में तो कोई बैंककर्मी

Happy Mother's Day 2021, Mother's Day Special Story, Inspiration Story, Corona Warrior Mothers: मां का नाम आते ही दिल और दिमाग में करुणा, देखभाल व त्याग की भावना जाग जाती है. वैसे तो माताएं सबकी दिल-अजीज होती है. लेकिन, कुछ ऐसी भी माताएं हैं जो अपने परिवार ही नहीं बल्कि राज्य व देश की सेवा में भी जुड़ी है. जब कोरोना की दूसरी लहर देश में तबाही मचा रही है, ऐसे में भी इन कोरोना वारियर्स माताओं को अपना परिवार छोड़ सेवा करने बैंक, थाने आदि स्थानों में भी जाना पड़ रहा है. आइए इस मदर्स डे पर आपको मिलाते हैं कुछ ऐसे ही Super Moms से...

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 9, 2021 10:13 AM

Happy Mother’s Day 2021, Mother’s Day Special Story, Inspiration Story, Corona Warrior Mothers: मां का नाम आते ही दिल और दिमाग में करुणा, देखभाल व त्याग की भावना जाग जाती है. वैसे तो माताएं सबकी दिल-अजीज होती है. लेकिन, कुछ ऐसी भी माताएं हैं जो अपने परिवार ही नहीं बल्कि राज्य व देश की सेवा में भी जुड़ी है. जब कोरोना की दूसरी लहर देश में तबाही मचा रही है, ऐसे में भी इन कोरोना वारियर्स माताओं को अपना परिवार छोड़ सेवा करने बैंक, थाने आदि स्थानों में भी जाना पड़ रहा है. आइए इस मदर्स डे पर आपको मिलाते हैं कुछ ऐसे ही Super Moms से…

बैंककर्मी स्वाति सिन्हा

बिहार के आरा में स्टेट बैंक में कार्यरत 32 वर्षीय स्वाति सिन्हा बताती हैं कि उनके परिवार में सास, ससुर, देवर, पति व एक 2 साल का बच्चा भी है. इस कोरोना काल में इन सबको छोड़ जब वे बैंक के लिए निकलती हैं तो अच्छा बिल्कुल नहीं लगता. खासकर उन्हें डर ज्यादा घर लौटते समय लगता है कि कहीं कोई इन्फेक्शन उनके परिवार तक न पहुंच जाए. हालांकि, वे और उनका परिवार कोरोना के सभी गाइडलाइन व सुरक्षा के नियमों को सख्ती से पालन कर रहे हैं. वे बताती हैं कि परिवार और जॉब दोनों जगह एक संतुलन बनाकर काम रही हैं.

पुलिसकर्मी पुष्पा देवी

पुष्पा देवी एक पुलिसकर्मी है जिनकी ड्यूटी फिलहाल रांची के लालपुर के आस-पास लगी है. वह बताती है कि उनके परिवार में एक बेटा है, पति के गुजरने के बाद घर-परिवार की पूरी जिम्मेदारी आ गयी थी. उन्हीं के स्थान पर 2008 में उन्होंने पुलिस की नौकरी ज्वाइन की. फिलहाल, दोपहर 2 बजे से उनकी ड्यूटी शुरू होती है जो रात के 10 बजे तक चलती है. वे बताती हैं कि कोरोना के इस संकट के दौरान डर तो उन्हें भी अपने बेटे को लेकर बना रहता है. इसलिए वे कोविड से बचाव के सभी नियमों को कड़ाई से खुद भी पालन करती है लोगों से भी करवाती हैं और अपने बच्चे से भी करने को कहती है. हालांकि, वे बताती हैं कि उनका बेटा सन्नी 21 वर्ष का है और इस कोरोना काल में वह लोगों की सेवा में जुटा हुआ रहता है. जरूरतमंदों तक सेवाएं पहुंचा रहा है. यह देखकर उन्हें अच्छा भी लगता है, लेकिन उसके प्रति मन में एक डर भी बना रहता है.

एक कर्मठ मैनेजर है

कृति नौकरीपेक्षा महिला है, जो लॉकडाउन के कारण घर पर अपने पांच वर्षीय छोटे बच्चे और पति के साथ है. उसका दिन सूरज उगने से पहले शुरू होता है और देर रात ढले भी चलता रहता है. बच्चे के ऑनलाइन स्कूल को मैनेज करना, फिर दिन भर के घरेलू काम के साथ अपने ऑफिस के कॉल्स भी अटेंड करना. हर दिन वह मानों एक जंग लड़ रही हो, जहां उसके लिए आराम की कोई गुंजाइश ही नहीं है.

एक लाजवाब कुक है

खाना बनाना शायद मां की कार्यसूची में अत्यधिक महत्वपूर्ण है. इस ‘वर्क फ्रॉम होम’ के जमाने में अधेड़ होती मां बिना आराम किये सबकी फरमाइशें और नखरें पूरा कर रही है. जहां सब अपने लैपटॉप या मोबाइल से चिपके बैठे हैं, वहीं मां रसोई में दिन-रात एक किये हुए है.

एक बेहतरीन मार्गदर्शक है

कोरोना में नौकरी गवां बैठे संभव से मां हर थोड़ी-थोड़ी देर पर फोन कर हंसती हुई बाते करती है कि कहीं वह कोई गलत कदम न उठा ले. कहीं डिप्रेस्ड न हो जाये. दूर रह रहे बेटे को नौकरी छूटने पर हौसला बढ़ा रही है और अच्छे दिनों के आने का उसमें विश्वास भी जगा रही है.

रियल लाइफ अभिनेत्री है

सुदीप्ता बड़ी कुशलता से अभिनय कर विदेश में रह रही बेटी से अपनी संक्रमित हो जाने की खबर छुपाती है कि कहीं वह परेशान न हो जाये, आखिर यात्रा करना अभी के वक्त में बहुत जानलेवा जो है. सो वीडियो कॉल्स के वक्त मुस्कान तले अपने गम छुपा लेती है. इन्हीं कारणों के चलते अकेली रहती वृद्धा विमला जी अपनी बढ़ती मोतियाबिंद की तकलीफों की चर्चा अपने बेटे से कुशलतापूर्वक बातों को बदल कर छुपा ले जाती हैं.

ख्याल रखने वाली नर्स है

इन दिनों हर घर में माताएं पूरे परिवार के स्वास्थ्य का ख्याल रख रही हैं. काढ़ा-भाप जैसी घरेलू उपायों के साथ-साथ वे संक्रमित सदस्यों की दिन-रात देखभाल भी कर रही हैं. श्रीमती रेखा साहनी जी अपने कोरोना पॉजिटिव बेटे की सेवा में खुद को भूल गयीं. उनकी देखभाल से बेटा तो ठीक हो गया पर, संक्रमित हो गयी बुजुर्ग मां कोरोना के पंजों से खुद को नहीं बचा पायी. मानो अपनी जान अपने बेटे के नाम कर गयी.

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आपको बता दें कि राज्य व देश में ऐसी कितनी ही माताएं है जो दोहरी जिंदगी जी रही हैं. ऐसी कोरोना वारियर्स सभी माताओं को एक सलाम तो बनता ही है. इस मदर्स डे पर सभी माताओं को भेजें ढेर सारी शुभकामनाएं.

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Posted By: Sumit Kumar Verma

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