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झारखंड:12वीं तक के स्टूडेंट्स के लिए क्यों डिजाइन किया गया हर्ष जोहार पाठ्यक्रम, हेमंत सरकार का क्या है प्लान?

कक्षा 1 से 12वीं तक के बच्चों की जरूरतों को देखकर हर्ष जोहार पाठ्यक्रम लागू किया गया है. झारख‍ंड में शुरू हुए उत्कृष्ट विद्यालय के बच्चे हर्ष जोहार के जरिए अब अपने पाठ्यक्रम के महत्व के साथ-साथ रचनात्मकता और भावनात्मक तर्क विकसित करने की ओर अग्रसर हो रहे हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 30, 2023 4:14 PM

रांची: झारखंड के बच्चों के लिए हर्ष जोहार पाठ्यक्रम डिजाइन किया गया है. कक्षा 1 से 12वीं तक बच्चों के लिए यह पाठ्यक्रम लागू है. हर्ष जोहार पाठ्यक्रम सभी 80 उत्कृष्ट विद्यालयों और राज्य के 5 जिलों चतरा, पलामू, पूर्वी सिंहभूम, गिरिडीह और दुमका के अन्य 60 स्कूलों में चल रहा है. आने वाले दिनों में झारखंड के सभी प्रखंडों में 360 स्कूल ऑफ एक्सीलेंस में बच्चे हर्ष जोहार से जुड़ेंगे. फिलहाल हर उत्कृष्ट विद्यालय से दो शिक्षकों को इसके लिए प्रशिक्षित किया गया है.

कक्षा 1 से 12वीं तक के बच्चों के लिए किया गया है डिजाइन

कक्षा 1 से 12वीं तक के बच्चों की जरूरतों को देखकर हर्ष जोहार पाठ्यक्रम लागू किया गया है. झारख‍ंड में शुरू हुए उत्कृष्ट विद्यालय के बच्चे हर्ष जोहार के जरिए अब अपने पाठ्यक्रम के महत्व के साथ-साथ रचनात्मकता और भावनात्मक तर्क विकसित करने की ओर अग्रसर हो रहे हैं. राज्य सरकार ने कक्षा 1 से कक्षा 12वीं तक की आवश्यकता और सामाजिक-सांस्कृतिक पहलुओं पर ध्यान केंद्रित कर इसको शुरू किया है.

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हर्ष जोहार पाठ्यक्रम का ये है उद्देश्य

हर्ष जोहार पाठ्यक्रम का उद्देश्य राज्य के बच्चों को नकारात्मक भावनाओं के अनुभवों से उबरने की कला सीखना, जटिल समस्याओं को प्रभावी ढंग से हल करने में सक्षम बनाना, आत्म विकास के लिए उनके प्रयास को बल देना, एक दूसरे से सकारात्मक संबंध बनाने एवं दूसरों के प्रति सहानुभूति के महत्व को समझाना है.

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पांच जिलों में है लागू

हर्ष जोहार पाठ्यक्रम झारखंड के सभी 80 उत्कृष्ट विद्यालयों और राज्य के 5 जिलों चतरा, पलामू, पूर्वी सिंहभूम, गिरिडीह और दुमका के अन्य 60 स्कूलों में पिछले दो वर्षों से चल रहा है. आने वाले दिनों में झारखंड के सभी प्रखंडों में 360 स्कूल ऑफ एक्सीलेंस में बच्चे हर्ष जोहार से जुड़ेंगे. राज्य सरकार की ओर से 80 उत्कृष्ट विद्यालयों में से प्रत्येक से दो शिक्षकों का प्रशिक्षण हर्ष जोहार के लिए पूरा कराया जा चुका है.

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झारखंड की संस्कृति की झलक

हर्ष जोहार पाठ्यक्रम में झारखंड के प्रासंगिक क्षेत्र और संस्कृति की झलक है. जहां लोककथाओं, वास्तविक अनुभवों, क्षेत्रीय गतिविधियों को एकीकृत किया गया है, जिससे बच्चे रूबरू हो रहे हैं. इस पाठ्यक्रम को बदलते समय के अनुरूप नए तरीके से डिजाइन किया गया है, जो हमेशा खुश रहने की गतिविधियों से शुरू होगा और संकल्पना व अभिव्यक्ति के साथ समाप्त होगा. हर्ष जोहार का शत प्रतिशत लाभ बच्चों को देने के लिए सभी स्कूल ऑफ एक्सीलेंस के शिक्षकों और हेड मास्टर के प्रशिक्षण की एक श्रृंखला इस शैक्षणिक वर्ष से शुरू की जाएगी, जो प्रशिक्षण हर्ष जोहार पाठ्यक्रम पर आधारित होगी.

80 उत्कृष्ट विद्यालय व पांच जिलों के 60 स्कूलों में है लागू

हर्ष जोहार पाठयक्रम के जरिए सरकारी स्कूल के बच्चे आत्म विकास की ओर अग्रसर हो रहे हैं. झारखंड के 80 उत्कृष्ट विद्यालय एवं पांच जिलों के 60 स्कूलों में ये हर्ष जोहार पाठ्यक्रम लागू किया गया है.

80 उत्कृष्ट विद्यालयों के बदले गये थे नाम

आपको बता दें कि झारखंड में खुले 80 उत्कृष्ट विद्यालयों के नाम बदल दिये गये हैं. स्कूली, शिक्षा एवं साक्षरता विभाग द्वारा जारी आदेश के मुताबिक राज्य के 80 उत्कृष्ट विद्यालयों के नाम में एकरूपता लाने के लिए यह फैसला किया गया है. इसके लिए स्कूलों के नाम में बदलाव किया गया है. अब सभी 80 स्कूलों के नाम के आगे सीएम स्कूल ऑफ एक्सीलेंस जोड़ा गया है.

सभी उत्कृष्ट विद्यालयों के नाम में जुड़ा ‘सीएम स्कूल ऑफ एक्सीलेंस’

झारखंड के शिक्षा सचिव ने सभी जिलों को भेजे गये पत्र में कहा था कि आदर्श विद्यालय योजना के तहत विभिन्न जिलों में 80 स्कूलों को उत्कृष्ट विद्यालय के रूप में विकसित किया गया है. ये विद्यालय वर्तमान में अलग-अलग नाम से जाने जाते हैं. इस कारण इनकी पहचान स्कूल ऑफ एक्सीलेंस के रूप में नहीं बन पा रही है, जिससे इन विद्यालयों के स्वरूप को समझने में भी परेशानी हो रही है.

जगरनाथ महतो का सपना था उत्कृष्ट विद्यालय

दिवंगत शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने कहा था कि झारखंड के गरीब परिवार के बच्चे भी अंग्रेजी में पढ़ाई करेंगे. झारखंड के हर प्रखंड में ऐसा स्कूल बनायेंगे, जो अंग्रेजी माध्यम के प्राइवेट स्कूलों को टक्कर देंगे. इन स्कूलों में बेहतरीन आधारभूत संरचनाओं का विकास किया गया है. स्कूल में कम्प्यूटर लैब भी बनाये गये हैं, ताकि बच्चे डिजिटल युग में पीछे न रहें.

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