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ड्रग्स की बिक्री नहीं रुकने पर हाइकोर्ट ने जतायी नाराजगी, सूत्रधार को पकड़ने का निर्देश

झारखंड हाइकोर्ट ने खूंटी जिला में अफीम की खेती में खतरनाक वृद्धि को गंभीरता से लेते हुए स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर मंगलवार को सुनवाई की.

रांची. झारखंड हाइकोर्ट ने खूंटी जिला में अफीम की खेती में खतरनाक वृद्धि को गंभीरता से लेते हुए स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर मंगलवार को सुनवाई की. जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद और जस्टिस अरुण कुमार राय की खंडपीठ ने रांची में ड्रग्स के व्यापार पर रोक लगाने में अब तक विफल रहने पर पुलिस की कार्यशैली पर नाराजगी जतायी. नशे का कोरोबार करनेवालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दिया. खंडपीठ ने मौखिक रूप से पूछा कि क्यों ड्रग्स का कारोबार रुक नहीं रहा है? एसएसपी व अन्य पुलिस अधिकारी राजधानी में ड्रग्स की खरीद-बिक्री पर रोक नहीं लगा पा रहे हैं. खंडपीठ ने कहा कि ड्रग्स की खरीद-बिक्री की जड़ तक पुलिस को पहुंचना होगा. इसके मुख्य सूत्रधार के खिलाफ एक्शन लेना होगा. पुलिस सिर्फ छोटे-छोटे ड्रग्स विक्रेताओं को ही पकड़ रही है. मुख्य सूत्रधार खुला घूम रहा है, जिसके चलते ड्रग्स के कारोबार पर रोक नहीं लग पा रही है. खंडपीठ ने राज्य सरकार से पूछा कि रांची में जिन थाना क्षेत्रों में ड्रग्स की खरीद-बिक्री अब भी चल रही है, वहां के थाना प्रभारी ने क्या कार्रवाई की है? इसके अलावा जो पुलिस अधिकारी ड्रग्स की खरीद-बिक्री पर रोक लगाने में असफल रहे हैं, उनके खिलाफ क्या कार्रवाई की गयी है? खंडपीठ ने नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो को भी ड्रग्स की बिक्री पर रोक लगाने के लिए राज्य की एजेंसी के साथ मिल कर कार्रवाई करने का निर्देश दिया. खंडपीठ ने मामले में डीजी सीआइडी को ड्रग्स की खरीद-बिक्री रोकने के मामले में एक्शन टेकन रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया. साथ ही झारखंड स्टेट लीगल सर्विसेज अथॉरिटी (झालसा) को मामले में प्रतिवादी बनाया. मामले की अगली सुनवाई के लिए खंडपीठ ने 14 मई की तिथि निर्धारित की.

जमानत के एक मामले में सुनवाई के दौरान लिया था स्वत: संज्ञान :

उल्लेखनीय है कि जस्टिस राजेश कुमार की अदालत ने एक जमानत के मामले में सुनवाई के दौरान खूंटी में हो रहे बड़े पैमाने पर अफीम की खेती की जानकारी सामने आने पर उस पर स्वत: संज्ञान लिया था. मामले में खंडपीठ ने पिछली सुनवाई में कहा था कि नशे का प्रसार पीढ़ियों को बर्बाद कर रहा है. समाज व अर्थव्यवस्था पर पड़नेवाले प्रभाव काफी चिंताजनक हैं. किसी भी समाज के लिए मादक पदार्थों का प्रयोग घातक है. समाज में नशे का प्रसार पीढ़ियों को बर्बाद कर देता है. कहा जाता है कि नशा दीमक की तरह काम करता है, जो समाज और देश की युवा शक्ति को खोखला कर देता है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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