मुख्यालय ने खिलानधौड़ा बस्ती का सर्वे कराकर मांगी रिपोर्ट
केडीएच परियोजना की सर्वे टीम जब बस्ती पहुंची तो कई लोगों ने टीम को सर्वे करने से रोक दिया.
By Prabhat Khabar News Desk |
April 10, 2024 8:53 PM
डकरा
खिलानधौड़ा बस्ती की समस्या संबंधी खबर बुधवार को प्रभात खबर में प्रमुखता से छपने के बाद सीसीएल मुख्यालय ने एनके प्रबंधन से सर्वे कराकर रिपोर्ट मांगी है. एनके प्रबंधन को पूरे बस्ती का हाउस कंपनसेशन का सर्वे कराकर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है. केडीएच परियोजना की सर्वे टीम जब बस्ती पहुंची तो कई लोगों ने टीम को सर्वे करने से रोक दिया. वे पांच साल पहले जेहलीटांड़ की तर्ज पर दिये गये मुआवजा की मांग किये और सर्वे कार्य का विरोध किया. मामले में परियोजना पदाधिकारी अनिल कुमार सिंह ने कहा कि कुछ मकान का सर्वे हुआ है, लेकिन शेष लोग सर्वे नहीं करने दे रहे हैं. मामले की जानकारी मुखिया को दी गयी है. राज्य सरकार व पंचायत के प्रतिनिधि को थर्ड न्यूट्रल एजेंसी के रूप में सर्वे कार्य में शामिल कर मामले को निष्पादित करने का प्रयास किया जायेगा. श्री सिंह ने कहा कि हमलोग कंपनी के तय नियम के आधार पर ही मुआवजा दे सकते हैं. कंपनी के नियम को बस्तीवाले समझें, तभी मामले को सुलझाया जा सकेगा.
मुआवजा मिले तो शीघ्र खाली करेंगे बस्ती
खिलानधौड़ा के कुछ लोगों ने बताया कि प्रबंधन हमलोगों को मुआवजा का भुगतान करे तो वे बस्ती खाली करने को तैयार हैं. बस्तीवालों की जान को खतरा है, प्रबंधन मुआवजा देने में देरी कर बस्तीवालों के साथ न्याय नहीं कर रहा है. मामले की गंभीरता को देखते हुए एनके प्रबंधन ने देर शाम एनके एरिया सलाहकार समिति की बैठक बुलायी है.
बस्ती की स्थिति से अवगत कराया
एनके एरिया सलाहकार समिति की बैठक में प्रबंधन ने खिलानधौड़ा बस्ती की समस्या से सभी को अवगत कराया. कहा गया कि मुख्यालय ने पूरी बस्ती का सर्वे रिपोर्ट मांगी है. लेकिन बस्ती में रहनेवाले कुछ लोग सर्वे का विरोध कर रहे हैं. जिसके कारण काम प्रभावित हो रहा है. मामले को लेकर राज्य सरकार के संबंधित पदाधिकारी और पंचायत प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर समस्या का निदान किया जायेगा.
प्रबंधन समय रहते कार्रवाई करे : कमलेश
सीसीएल सलाहकार समिति के सदस्य कमलेश कुमार सिंह ने कहा कि खिलानधौड़ा बस्ती की समस्या की गंभीरता और भयावहता को प्रभात खबर ने जिस गंभीरता से संज्ञान में लाया है, उसे उतनी ही गंभीरता से निराकरण किया जाना चाहिए. अगर समय पर समस्या का समाधान नहीं किया तो आनेवाले समय में झरिया जैसी घटनाओं की पुनरावृत्ति हो सकती है. कहा कि निर्णय लेने में देरी होने से भू-धंसान होने पर जान-माल का बड़ा नुकसान होगा.