स्वास्थ्य मंत्री ने लटकायीं टेंडर से जुड़ी रिम्स की फाइलें, मरीज हित के कई फैसले अटके

राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने टेंडर से जुड़ी रिम्स की मूल फाइलें अप्रैल में अपने पास मंगवा ली. साथ ही निर्देश दिया है कि इन फाइलों का निबटारा उनके अनुमोदन के बिना नहीं किया जाये.

By Prabhat Khabar News Desk | May 12, 2020 12:24 AM

रांची : राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने टेंडर से जुड़ी रिम्स की मूल फाइलें अप्रैल में अपने पास मंगवा ली. साथ ही निर्देश दिया है कि इन फाइलों का निबटारा उनके अनुमोदन के बिना नहीं किया जाये. ऐसे में रिम्स में सीटी स्कैन मशीन खरीदने, मरीजों को खाना खिलाने और सुरक्षा से जुड़े कई अहम मुद्दों पर फैसला नहीं हो सका है. मंत्री चाहते हैं कि पूर्व की सरकार के कार्यकाल में हुई शासी परिषद की बैठकों में किये गये फैसलों को रद्द कर नये सिरे से टेंडर का प्रकाशन हो. टेंडर प्रक्रिया पर पैनी नजर रखनेवाले मंत्री इससे पहले कोविड-19 में केंद्र सरकार द्वारा दिये गये दिशा-निर्देश के आलोक में स्वास्थ्य विभाग द्वारा अपनायी गयी खरीद प्रक्रिया पर सवाल उठा चुके हैं.

पहले फोटोकॉपी मांगी, फिर मूल फाइल मंगवायीस्वास्थ्य मंत्री ने पहले रिम्स में टेंडर प्रक्रिया से जुड़ी फाइलों की फोटोकॉपी की मांग की. रिम्स की ओर से फाइलों की फोटोकॉपी उपलब्ध कराने के बाद मंत्री ने दूसरा पत्र लिखा. इसमें उन्होंने संबंधित कार्यों से जुड़ी मूल फाइलों की मांग की. उन्होंने लिखा कि मरीजों के लिए खाना, मैनपावर, सफाई और सुरक्षा से जुड़ी फाइलों की फोटोकॉपी उन्हें उपलब्ध करायी गयी है. इन मामलों से जुड़ी मूल संचिकाओं में टेंडर से जुड़ी प्रकिया चल रही होगी. मंत्री ने मूल फाइलों की मांग करते हुए यह भी जानना चाहा कि इन फाइलों पर मंत्री के अनुमोदन की जरूरत है या नहीं.

सिर्फ इतना ही नहीं, वह पूर्व की सरकार के कार्यकाल में हुई जीबी की बैठक में लिये गये फैसले को भी रद्द करना चाहते हैं. वह नये सिरे से फैसला कर टेंडर प्रक्रिया शुरू कराना चाहते हैं, लेकिन पूर्व के फैसलों की समीक्षा का कारण नहीं बता रहे हैं. बॉक्स एक्सटेंशन पर चल रहे कार्य, नहीं खरीदी गयी सीटी स्कैन मशीनमंत्री के इस कदम सेे मरीजों के लिए खाना सहित अन्य काम फिलहाल एक्सटेंशन के आधार पर चल रहे हैं. साथ ही सीटी स्कैन मशीन नहीं खरीदे जाने से इलाज प्रभावित हो रहा है. रिम्स में सीटी स्कैन मशीन की खरीद के लिए पहले दो बार टेंडर हो चुका है, लेकिन मशीन नहीं खरीद जा सकी है. रिम्स में मरीजों के खाने-पीने पर सालाना खर्च करीब चार करोड़ रुपये और सुरक्षा व्यवस्था व मैनपावर का खर्च प्रति माह करीब 25 लाख रुपये है. मैनपावर का टेंडर पिछले पांच सालों से नहीं हुआ है. एमजीएम में इससे जुड़ा टेंडर हुआ था, उसी को आधार मान कर यहां काम कराया जा रहा है.

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