झारखंड में स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे का पर्याप्त लाभ लोगों तक नहीं पहुंच पा रहा है. वास्तव में, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के आंकड़ों से पता चलता है कि एनएचएम के तहत केंद्रीय स्वास्थ्य व्यय का हिस्सा पिछले कुछ वर्षों में कम हो गया है. हर साल राशि कम खर्च होने के कारण केंद्र अब मदद में कटौती कर रहा है. विगत पांच वर्षों में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार के स्तर से स्वीकृत प्रोग्राम इंप्लीमेंटेशन प्लान (पीआइपी) के विरुद्ध एनएचएम की उपलब्धि महज 4,680.54 करोड़ (58%) रही,
जबकि इस दौरान भारत सरकार की ओर से स्वास्थ्य योजनाओं पर खर्च करने के लिए झारखंड को 7,966.90 करोड़ रुपये की मदद मंजूर की गयी थी. स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से इसे असंतोषजनक बताते हुए कड़ी प्रतिक्रिया जतायी गयी है. अब राज्य में स्वास्थ्य कर्मियों को प्रोत्साहित करने के लिए स्टैंडर्ड ऑफ एक्सीलेंस स्कीम लायी गयी है, ताकि स्वास्थ्य खर्चे को बढ़ाया जा सके.
Also Read: फर्जी बेलर के सहारे जेल से बाहर झारखंड के इन 33 अपराधियों की जमानत होगी रद्द, CID डीजी ने दिये निर्देशइस साल कम कर दिया गया आवंटन : वित्तीय 2020-21 के दौरान 1692.28 करोड़ स्वास्थ्य योजनाओं के लिए दिये गये. इनमें महज 1071.45 करोड़ यानी 63.3% राशि ही खर्च हो सकी. कम राशि खर्च होने के कारण इस साल स्वास्थ्य व्यय में हिस्सेदारी कम कर दी गयी, जबकि कोरोना के बाद स्वास्थ्य क्षेत्र में राज्य को सबसे ज्यादा जरूरत थी. इस बार वास्तविक व्यय संशोधित अनुमान 2021-22 में 1694.43 करोड़ रुपये रहा यानी आवंटन में महज दो करोड़ रुपये का ही इजाफा किया गया.
VIDEO: गिरिडीह में दबोचा गया नशे का सौदागर, भारी मात्रा में नशीली दवाइयां बरामदहर साल योजना मद में कम राशि खर्च होने के कारण अब मदद में कटौती कर रहा केंद्र
7,966.90 करोड़ स्वास्थ्य योजनाओं पर खर्च के लिए झारखंड को पांच साल में केंद्र की ओर से मिले
4,680.54 करोड़ रुपये महज खर्च किये राज्य ने योजना मद में, स्वास्थ्य मंत्रालय ने जतायी आपत्ति