ए-2 दूध कैसे है इम्यूनिटी बूस्टर? ए-1 दूध से डायबिटीज व हृदय रोग का खतरा, बोलीं बीएयू की वैज्ञानिक डॉ नंदनी
बिरसा कृषि विश्वविद्यालय की पशु आनुवंशिकी विशेषज्ञ डॉ नंदनी कुमारी ने कहा कि जर्सी, एचएफ और संकर गायों से प्राप्त ए-1 दूध के लगातार प्रयोग से मधुमेह और हृदय रोगों का खतरा बढ़ जाता है एवं सेंट्रल नर्वस सिस्टम और आंतरिक हार्मोन सिस्टम पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है.
रांची: बिरसा कृषि विश्वविद्यालय की पशु आनुवंशिकी विशेषज्ञ डॉ नंदनी कुमारी ने बेहतर स्वास्थ्य और रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए देसी गायों से प्राप्त ए-2 दूध के उपभोग करने पर जोर दिया है. उन्होंने कहा कि करनाल (हरियाणा) स्थित राष्ट्रीय पशु आनुवंशिकी संसाधन ब्यूरो ने अब तक गोवंश की 53 भारतीय नस्लों की पहचान और गुण का निर्धारण किया है. झारखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में पाई जाने वाली छोटी-छोटी गोवंश नस्लों को हालांकि नाम नहीं दिया जा सका है, लेकिन ये भी गोवंश की देसी नस्लें हैं. डॉ नंदनी रांची के कांके रोड स्थित विश्व संवाद केंद्र में ‘ए1 एवं ए2 दूध तथा देसी गोवंश के अन्य लाभ विषय पर रविवार को व्याख्यान दे रही थीं.
ए-1 दूध से मधुमेह और हृदय रोग का बढ़ जाता है खतरा
बिरसा कृषि विश्वविद्यालय की पशु आनुवंशिकी विशेषज्ञ डॉ नंदनी कुमारी ने कहा कि जर्सी, एचएफ और संकर गायों से प्राप्त ए-1 दूध के लगातार प्रयोग से मधुमेह और हृदय रोगों का खतरा बढ़ जाता है एवं सेंट्रल नर्वस सिस्टम और आंतरिक हार्मोन सिस्टम पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है.
ए-1 दूध से बच्चों को त्वचा की एलर्जी
बिरसा कृषि विश्वविद्यालय की पशु आनुवंशिकी विशेषज्ञ डॉ नंदनी कुमारी ने बताया कि ए-1 दूध में मौजूद हिस्टामाइन के कारण बच्चों में त्वचा की एलर्जी, नाक बहना, अस्थमा, खांसी जैसी समस्या बढ़ सकती है. इस दूध में उपलब्ध लिपिड के कारण बच्चों का चयापचय प्रभावित होता है. लंबे समय तक उपभोग से बच्चों में मोटापा और मधुमेह का खतरा पैदा हो सकता है. बच्चियों में समय से पूर्व तरुणाई (puberty) की भी समस्या पैदा हो सकती है.
ए-1 एवं ए-2 दूध तथा देसी गोवंश के अन्य लाभ विषय पर व्याख्यान
बीएयू की पशु आनुवंशिकी विशेषज्ञ डॉ नंदनी कुमारी रांची के कांके रोड स्थित विश्व संवाद केंद्र में ‘ए-1 एवं ए-2 दूध तथा देसी गोवंश के अन्य लाभ विषय पर व्याख्यान दे रही थीं. उन्होंने कहा कि भारतीय देशज नस्लों से प्राप्त A-2 दूध को कोलेस्ट्रोल और ब्लड शुगर स्तर घटाने में सहायक पाया गया है. ए-2 दूध, इम्यूनिटी बूस्टर एजेंट होने के साथ-साथ ऑटिज्म और न्यूरो डिसऑर्डर्स से भी मनुष्य को बचाता है.
देसी गायों के हैं कई फायदे
डॉ नंदनी कुमारी बताती हैं कि देसी गायों में रोग प्रतिरोधक क्षमता, स्थानीय परिस्थिति में ढलने की क्षमता, रीप्रोडक्टिव स्वास्थ्य, गर्मी सहने की क्षमता बेहतर होती है तथा उनके खानपान एवं रखरखाव में भी लागत कम आती है. उन्होंने किसानों को देसी गाय एवं भैंस पालने के लिए प्रोत्साहित करने एवं इसके लिए विशेष सुविधा एवं सब्सिडी देने पर जोर देते हुए कहा इससे न केवल हमारी देसी नस्लों का संरक्षण होगा बल्कि जर्सी की तुलना में उनसे प्राप्त होने वाले विशेष स्वास्थ्य लाभों को भी प्राप्त किया जा सकेगा.
A-2 दूध का बाजार विदेशों में बढ़ रहा
डॉ नंदनी ने बताया कि ए-2 दूध मुख्य रूप से भारतीय नस्लों और सीमित मात्रा में कुछ अन्य देशों की नस्लों में पाया जाता है. यद्यपि इस दिशा में फूलप्रूफ अनुसंधान परिणाम आने बाकी है, किंतु अब तक प्राप्त संकेतों और उपलब्ध साहित्य के आधार पर A-2 दूध का बाजार विदेश में बढ़ रहा है तथा भारत में भी महानगरों में A-2 ब्रांड से दूध की पैकिंग कर उसे दोगुनी कीमत पर बेचा जा रहा है.
दुनिया में A-2 मिल्क के बाजार में सबसे बड़ा देश बन सकता है भारत
रांची में भी गोशाला और डेयरी संचालकों द्वारा देसी गाय का ए-2 दूध अधिक कीमत पर बेचा जाता है. आम जनता को A-2 दूध के लाभों से अवगत कराने तथा पशुपालकों को ए-2 दूध की बेहतर कीमत दिलाने की दिशा में योजनाबद्ध प्रयास होना चाहिए. यदि इस संबंध में समुचित नीतियां बनाई जाएं तो भारत दुनिया में A-2 मिल्क के बाजार में सबसे बड़ा देश बन सकता है. जिससे न केवल हमारी अर्थव्यवस्था मजबूत होगी, बल्कि देश और देशवासियों का स्वास्थ्य भी सुदृढ़ होगा.
संजय कुमार आजाद ने लोगों का किया स्वागत
विश्व संवाद केंद्र, झारखंड के प्रमुख संजय कुमार आजाद ने लोगों का स्वागत करते हुए मुख्य वक्ता का परिचय दिया. इस अवसर पर कृषि उद्यमी एवं गौ संहिता के लेखक रवि सिंह चौधरी, बीएयू-बीपीडी सोसाइटी के सीईओ सिद्धार्थ जायसवाल, वनवासी कल्याण केंद्र के सचिव वीएन झा तथा गो-आधारित खेती एवं ए-2 मिल्क के प्रचारक कृष्णकांत पाठक ने भी अपने विचार रखे.