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Health Tips: झारखंड में बदलते मौसम में लोग हो रहे बीमार, सेहत का रखें ऐसे ख्याल

मौसम परिवर्तन के साथ बढ़ते प्रदूषण का स्तर लोगों की सेहत को बिगाड़ रहा है. इस मौसमी बदलाव के कारण 60-70 प्रतिशत लोगों को सर्दी, जुकाम, खांसी, बुखार और सांस संबंधी शिकायतें होने लगी हैं. ऐसे में सावधान रहने की सख्त जरूरत है.

By Nutan kumari | November 3, 2022 10:13 AM

Jharkhand News: दिवाली के बाद से जिला में सुबह और शाम हल्की ठंडक महसूस होने लगी है. बदल रहे मौसम के साथ सर्दी-जुकाम और खांसी के मरीजों में भी इजाफा होने लगा है. बुधवार की सुबह से ही आसमान में बादल छाए रहे. चल रही हवाओं ने ठंडक का एहसास कराया. घर-घर में लोग बीमार पड़ रहे हैं. मौसम विभाग की मानें तो बुधवार को अधिकतम तापमान जहां 30 डिग्री रहा है, न्यूनतम तापमान 18 डिग्री रिकॉर्ड किया गया. बादल छंटने के बाद तापमान में गिरावट के आसार हैं.

एसएनएमएमसीएच के मेडिसीन के विभागाध्यक्ष डॉ यूके ओझा ने बताया कि मौसम बदलने पर मरीजों की संख्या बढ़ जाती है. मौसम परिवर्तन से संक्रमण संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. पिछले कुछ दिनों से मरीजों में भी बढ़ोतरी हुई है. ऐसे मौसम में शरीर में विटामिन सी और बी-कांप्लेक्स का स्तर कम हो जाता है. फलत: सर्दी, खांसी, बुखार, सिर दर्द सहित अन्य समस्या तेजी से बढ़ती है. यह जरूरी नहीं कि सभी मरीजों को कोरोना के लक्षण ही हों, पर समय रहते चेकअप कराने और जांच कराने पर बेहतर उपचार दिया जा सकता है. ठंडे मौसम में खान-पान, पहनावा एवं साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए. अगर किसी प्रकार के संक्रमण जैसे लक्षण दिखें तो चिकित्सक से तत्काल सलाह लें और नियमित उपचार कराएं.

सावधानी बरतने की जरूरत : डॉ एनके सिंह

फिजीशियन डॉ एनके सिंह का कहना है कि बदलते मौसम और प्रदूषण के बढ़ते स्तर के कारण अस्पतालों में सर्दी, जुकाम, खांसी, बुखार, सांस और दमा के मरीज बढ़े हैं. इन दिनों जितना वायरल फैल रहा है, उतना कोरोना संक्रमण नहीं. कहा कि बदलते मौसम में लोगों को बीमारी से बचने के लिए सावधानी बरतने की जरूरत है. घर से निकलते समय गर्म कपड़ा साथ जरूर रखें. गले में खराश हो रही हो और गार्गेल करने के बाद भी आराम नहीं मिल रहा है तो चिकित्सक से सलाह जरूर लें.

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ऐसे रखें स्वास्थ्य का ख्याल

  • आसपास की टंकियों और कूड़ेदानों में पानी जमा न होने दें. जमे हुए पानी से डेंगू और मलेरिया का खतरा होता है.

  • दिन में तुलसी के तीन-चार पत्ते खाना भी बहुत फायदेमंद होता है. तुलसी इम्यूनिटी बूस्टर का काम करते हुए सर्दी और वायरल से लड़ सकती है.

  • गरारे करना, भाप लेना, आराम करना, पर्याप्त पानी लेना फायदेमंद है. गर्म सूप, पौष्टिक आहार और हर्बल चाय पीना चाहिए.

  • बाहर से लौटने पर हाथ धोएं और अगर आप किसी बीमार व्यक्ति के संपर्क में आए हों तो घर आकर जरूर नहाएं.

  • कॉफी, नींबू की चाय, सूप जैसी गर्म चीजों से खुद को हाइड्रेटेड रखें. कोल्ड ड्रिंक या बाहर के जूस से बचें, इनमें बैक्टेरिया हो सकते हैं.

वायु की गुणवत्ता हो रही प्रभावित

पीएम 2.5 बढ़ा : वायु गुणवत्ता सूचकांक के अनुसार शहर में पीएम 2.5 (पर्टिक्यूलेट मैटर, ठोस पदार्थ व तरल बुंदों का मिश्रण) में अधिक वृद्धि हुई है. बुधवार की सुबह 11.45 बजे पीएम 2.5 को 113 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रिकॉर्ड किया गया. यह 10 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहना चाहिए. ये महीन धूलकण होते हैं, जो परिवहन के कारण हवा में उड़ते हैं और लंबे समय तक हवा में घुली रहती है. इससे श्वास संबंधी बीमारी होती है.

पीएम 10 हो गया है दो गुणा

प्रदूषण में पीएम 10 की भूमिका निर्णायक होती है. रिपोर्ट के अनुसार शहर में पीएम 10 बढ़कर 208 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर हो गया है, जबकि इसे 100 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर होना चाहिए. यह मोटे धूलकण होते हैं, जो खनन समेत अन्य कारणों से हवा में ऊपर आते हैं. हालांकि यह लंबे समय तक हवा में नहीं रहते, पर यह फेफड़े को अधिक नुकसान पहुंचाते हैं.

पशुओं व पक्षियों में भी दिख रहा असर

ठंड के शुरुआती दिनों में मौसम बदल रहा है. ऐसे में जहां प्रदूषण का स्तर बढ़ा हुआ है, वहीं दूसरी ओर मौसम में बदलाव का असर लोगों के साथ ही पशुओं व पक्षियों में भी दिख रहा है. हालांकि यह मौसम पशुओं के लिए हेल्दी है. जिला पशुपालन पदाधिकारी डॉ प्रवीण कुमार की मानें तो प्रदूषण से मनुष्य की तरह ही पशु भी प्रभावित होते हैं. प्रदूषण से उनका फेफड़ा प्रभावित हो जाता है. इसका सर्वाधिक असर कोलियरी इलाकों में दिखता है.

पशुओं को भी होती है दिक्कत

पशुओं की मौत के बाद पोस्टमार्टम होने पर देखा जाता है कि उनका फेफड़ा काला हो गया है या फिर खराब हो गया है. वातावरण दूषित होने पर पक्षी एक से दूसरी जगह जाते हैं. यही कारण है कि साइबेरिया में ठंड अधिक होने पर वहां के पक्षी तोपचांची के आसपास दिखते हैं, पर पशुओं में यह नहीं होता है. बताया कि पशुओं में बदलते मौसम में सर्दी-खांसी व कोल्ड डायरिया होती है. इससे घबराने की जरूरत नहीं. पशु रखे जाने की जगह को स्वच्छ रखें.

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