रांची : कोरोना काल में स्थायीकरण की मांग को लेकर अनुबंधित स्वास्थ्यकर्मी बुधवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गये. इनमें एएनएम, जीएनएम, लैब टेक्नीशियन और पारा मेडिकल स्टाफ शामिल हैं. हड़ताली स्वास्थ्यकर्मियों का दावा है कि राज्य के सभी 24 जिलों में कोरोना मरीजों के इलाज, काॅन्टैक्ट ट्रेसिंग, सैंपलिंग और जांच पर इस हड़ताल का सीधा असर पड़ा है. इस बीच स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव डॉ नितिन कुलकर्णी ने आपदा के समय में स्वास्थ्यकर्मियों की हड़ताल को अनुचित करार दिया है.
उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर अनुबंधित स्वास्थ्यकर्मियों ने हड़ताल वापस नहीं ली, तो सरकार उनके खिलाफ कोई ठोस कदम उठा सकती है. इधर, कई जिला मुख्यालयों में विभिन्न संघों के बैनर तले हड़ताली स्वास्थ्यकर्मियों ने प्रदर्शन भी किया. रांची सदर अस्पताल, लातेहार, गढ़वा और पलामू में भी काम पर असर पड़ा है. विभाग ने हड़ताली कर्मचारियों से वार्ता की कोशिश की, लेकिन वे वार्ता के लिए राजी नहीं थे.
एनएचएम के एमडी रविशंकर ने भी पहल की, उनसे वार्ता के लिए कोई गया. इसके बाद उन्होंने टेलीफोन पर बात की, पर बात नहीं बनी. इधर, रांची एसडीओ ने सिविल सर्जन कार्यालय में हड़ताल पर गये स्वास्थ्यकर्मियों से वार्ता की. झारखंड राज्य एनआरएचएम(एएनएम एवं जीएनएम) अनुबंध कर्मचारी संघ की महासचिव जूही मिंज ने बताया कि एसडीओ से वार्ता विफल रही. एसडीओ ने हड़ताल समाप्त नहीं करने पर प्रशासनिक कार्रवाई की चेतावनी दी है.
समायोजन पर सहमति नहीं होने तक जारी रहेगा आंदोलन : झारखंड राज्य एनआरएचएम (एएनएम एवं जीएनएम) अनुबंध कर्मचारी संघ की प्रदेश महासचिव जूही मिंज ने बताया कि संघ के 10,000 से ज्यादा लोग हड़ताल पर हैं. पहले दिन हड़ताल सफल रही और सभी 24 जिलों में स्वास्थ्य सेवाएं पूर्णत: प्रभावित हुई हैं.
जूही मिंज के अनुसार, वार्ता एमडी ने वार्ता स्वास्थ्यकर्मियों को कोविड कार्य के लिए एक माह का अतिरिक्त इंसेंटिव देने की बात कही, लेकिन समायोजन व समान कार्य समान वेतन पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दिखायी. जब तक सरकार समायोजन की मांग नहीं मानती है, तब तक हमारा आंदोलन जारी रहेगा.
ये हैं मांगें
1. पद सृजित हो और अनुबंध पर कार्यरत स्वास्थ्यकर्मियों को समायोजित किया जाये
2. कोविड कार्य में योगदान दे रहे स्वास्थ्यकर्मियों को एक माह का अतिरिक्त इंसेंटिव दिया जाये
राज्य में आपदा प्रबंधन एक्ट लागू होने के बावजूद हड़ताली स्वास्थ्यकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई करने की जगह हमने वार्ता का प्रयास किया है. इंसेंटिव देने पर सहमति जतायी, लेकिन ये लोग समायोजन पर अड़े हैं. यदि नहीं माने, तो सरकार ठोस कदम उठा सकती है.
– डॉ नितिन कुलकर्णी, प्रधान सचिव, स्वास्थ्य विभाग
राज्य भर में लैब टेक्नीशियन, फार्मासिस्ट, एक्स-रे और टेक्नीशियन आदि हड़ताल पर रहे. स्वास्थ्य व्यवस्था भी प्रभावित हुई है. सरकार की उदासीनता की वजह से यह समस्या आयी है. अनुबंधित स्वास्थ्यकर्मियों का स्थायीकरण हमारी मुख्य मांग है.
विनय कुमार, अध्यक्ष, अनुबंधित पारा चिकित्साकर्मी संघ
Post by : Pritish Sahay