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सीवरेज-ड्रेनेज का डीपीआर बनानेवाली कंपनी मैनहर्ट मामले में सुनवाई पूरी, फैसला सुरक्षित

मामला मैनहर्ट की प्रारंभिक जांच के बाद उसके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का

रांची़ झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने रांची के सीवरेज-ड्रेनेज का डीपीआर बनानेवाली कंपनी मैनहर्ट मामले की एसीबी में दर्ज प्रारंभिक जांच (पीइ) रिपोर्ट के बाद प्राथमिकी दर्ज नहीं होने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई की. इस दौरान अदालत ने प्रार्थी, प्रतिवादी व हस्तक्षेपकर्ता का पक्ष सुना. इस दाैरान अदालत ने प्रार्थी के अधिवक्ता से पूछा कि जब आपको यह पता था कि सीवरेज-ड्रेनेज का डीपीआर बनाने का काम देने में वित्तीय गड़बड़ी हुई है, तो आपने थाना में केस दर्ज क्यों नहीं कराया. सिविल कोर्ट में शिकायतवाद भी दर्ज करा सकते थे, लेकिन आपने एसीबी में शिकायत कर मामले को छोड़ दिया. मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. इससे पूर्व प्रार्थी की ओर से वरीय अधिवक्ता एके कश्यप ने अदालत को बताया कि एसीबी ने प्रारंभिक जांच कर रिपोर्ट सरकार को साैंप दी थी, लेकिन सरकार की ओर से कोई निर्देश नहीं दिया गया. उन्होंने इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करने के लिए उचित आदेश देने का आग्रह किया. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी विधायक सरयू राय ने क्रिमिनल रिट याचिका दायर की है. इसमें कहा गया है कि मैनहर्ट कंपनी को रांची के सीवरेज-ड्रेनेज का डीपीआर तैयार करने का कार्य दिया गया था. इसके लिए 21 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है. डीपीआर घोटाले का मामला झारखंड विधानसभा में भी उठा था. बाद में राज्य सरकार के निर्देश के बाद दिसंबर 2020 में एसीबी में पीइ दर्ज किया गया था. निगरानी (एसीबी) ने अगस्त 2022 में ही विधि परामर्श मांगा था. विधि परामर्श मांगने का मामला राज्य सरकार के पास एक वर्ष से अधिक समय से लंबित है.

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