आपराधिक मामलों में एमपी-एमएलए की रिहाई के बाद कितनी एक्विट्टल अपील दायर की : हाइकोर्ट
झारखंड हाइकोर्ट ने एमपी-एमएलए के खिलाफ दर्ज आपराधिक लंबित मामलों के स्पीडी ट्रायल को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई की.
रांची. झारखंड हाइकोर्ट ने एमपी-एमएलए के खिलाफ दर्ज आपराधिक लंबित मामलों के स्पीडी ट्रायल को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई की. एक्टिंग चीफ जस्टिस एस चंद्रशेखर व जस्टिस नवनीत कुमार की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान उपस्थित निदेशक अभियोजन से पूछा कि एमपी-एमएलए के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों में रिहा होने के बाद ऐसे कितने मामलों में ऊपरी अदालत में क्रिमिनल एक्विट्टल अपील दायर की गयी है. यदि दायर नहीं की गयी है, तो इसके क्या कारण हैं. संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर खंडपीठ ने राज्य सरकार को पूरी जानकारी शपथ पत्र में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया. साथ ही मामले की अगली सुनवाई के लिए खंडपीठ ने 17 मई की तिथि निर्धारित की. मामले की सुनवाई के दौरान निदेशक अभियोजन सशरीर उपस्थित थे. इससे पहले मामले के एमीकस क्यूरी अधिवक्ता मनोज टंडन ने पैरवी की. उल्लेखनीय है कि एमपी-एमएलए के खिलाफ चल रहे मामलों के स्पीडी ट्रायल को लेकर झारखंड हाइकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया था. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने लंबित मामलों को शीघ्रता से निबटाने के लिए सीबीआइ द्वारा उठाये गये कदमों पर नाराजगी जतायी. कहा था कि ट्रायल में विलंब के लिए सीबीआइ का स्पष्टीकरण अपर्याप्त है. खंडपीठ ने कहा कि यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि मुकदमे के दौरान लंबे स्थगन के कारण गवाहों को धमकी दी जाती है तथा आरोपियों के खिलाफ गवाही नहीं देने के लिए मजबूर किया जाता है.
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