सुप्रीम कोर्ट में छठी JPSC संयुक्त सिविल सेवा परीक्षा मामले की सुनवाई पूरी, फैसला सुरक्षित
सुप्रीम कोर्ट में छठी JPSC संयुक्त सिविल सेवा परीक्षा मामले की सुनवाई हुई. कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है. इस मामले में स्पेशल लीव पिटिशन पर गुरुवार को सुनवाई हुई.
Jharkhand News: सुप्रीम कोर्ट में छठी JPSC संयुक्त सिविल सेवा परीक्षा को लेकर दायर स्पेशल लीव पिटिशन (Special Leave Petition- SLP) पर गुरुवार को सुनवाई हुई. जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस सीटी रवि कुमार की खंडपीठ में सुनवाई हुई. कोर्ट ने सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रखा है. इससे पहले बुधवार को भी कोर्ट में इस मामले में सुनवाई हुई थी.
झारखंड हाईकोर्ट ने जोय गुड़िया के मामले में दिया था फैसला
बता दें कि बुधवार को भी इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में बहस हुई थी. इससे पूर्व प्रतिवादी की ओर से सीनियर एडवोकेट गोपाल शंकर नारायण ने कहा कि वर्ष 2018 में झारखंड हाईकोर्ट ने जोय गुड़िया के मामले में जो फैसला दिया था, वह आज भी मान्य है. JPSC ने स्पष्ट स्टैंड लिया था कि अभ्यर्थी को प्रत्येक पेपर में पास होना जरूरी है. हाईकोर्ट के एकलपीठ के फैसले की जानकारी आयोग और अभ्यर्थियों को थी. इस फैसले को किसी पक्ष ने चुनौती नहीं दी थी.
अभ्यर्थियों को सभी पेपर में न्यूनतम पास मार्क्स लाना जरूरी
सीनियर एडवोकेट श्री नारायण ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उदाहरण देते हुए कहा कि छठी JPSC के विज्ञापन एवं नियमावली के अनुसार, अभ्यर्थियों को सभी पेपर में न्यूनतम पास मार्क्स लाना जरूरी है. क्वालिफाइंग पेपर कर मार्क्स मुख्य परीक्षा में जोड़ना गलत है. प्रतिवादी दिलीप कुमार सिंह की ओर से अधिवक्ता सुभाशीष रसिक सोरेन ने पक्ष रखते हुए खंडपीठ को बताया कि JPSC ने कई अभ्यर्थियों को इंटरव्यू में नहीं बुलाया था. वंचित अभ्यर्थियों का इंटरव्यू लिया जाए. उसके बाद संशोधित रिजल्ट जारी हो.
अभ्यर्थियों का भविष्य हो जाएगा अंधकारमय
प्रार्थियों की ओर से सीनियर एडवोकेट पीएस पटवालिया और सीनियर एडवोकेट वी मोहना ने बताया कि पूर्व में भी कुल मार्क्स के आधार पर रिजल्ट जारी हुआ है. पहली मेरिट लिस्ट में शामिल अभ्यर्थी डेढ़ साल से नौकरी कर रहे हैं. उन्हें हटाने से उनका भविष्य अंधकारमय हो जाएगा.
Posted By: Samir Ranjan.